अहमदाबाद। आज प्रात: जैनं जयति शासनम् रास्का तीर्थ में प.पूज्य तपागच्चाधिपति मनोहर कीर्ति महाराजा आदि ठाणा तथा प.पू.आ. देव श्री पुंडरिक रन्न सूरीश्वरजी महाराजा आदि ठाणा को भव्य प्रवेश खूब ही उत्साह से हुआ। लब्धि विक्रम गुरूकृपा प्राप्त हमारे उपकारी पू. गुरूदेव राजयश सूरीश्वरजी महाराजा 15/2/2021 सोमवार को तपागच्छाधिपति प.पू. मनोहरकीर्ति महाराजा के कर कमलों से गच्छाधिपति पद को अंगीकार करेंगे।
जैनं जयति शासनम् तीर्थ में बिराजित प्रखर प्रवचनकार संत मनीषि, प्रसिद्ध प्रसिद्ध जैनाचार्य प.पू. राजयश सूरीश्वरजी महाराजा श्रोताजनों को संबोधित करते हुए फरमाते हैं कि मानव ने पूर्व के भव में कुछ न कुछ आराधना साधना की होगी, तब जाकर उसने इस भव में मनुष्य जन्म को पाया। मानव भव इतना आसानी से नहीं मिलता है। इस मानव देह को पाने के लिए कितनी तपस्या-आराधना करो तब जाकर मानवी मनुष्य का अवतार पाता है।
प्रवचन की धारा को आगे बढ़ाते हुए पूज्यश्री फरमाते है परमात्मा का शासन जिसने मिलाया है उस मानवी का लक्ष्य मुक्ति है। मोक्ष की प्राप्ति के लिए मानवी को अपने देह से जितना हो सके उतना काम ले लेना है शास्त्रकार महर्षि चारगति बताते है। देव-मनुष्य-तिर्यंच एवं नरक। देव गति में सुख काफी है मगर कोई भी व्यक्ति देवगति से मोक्ष की प्राप्ति नहीं कर सकता। देव गति में जो जीव गया है उसे फिर से मनुष्य गति में जन्म लेना ही पड़ता है क्योकि मुक्ति की प्राप्ति मनुष्य गति से ही होगी।
परम पुष्योदय हुआ तब जाकर हम निगोद से एकिंद्रीय, एकिंद्रिय से बेईंन्द्रिय से तेईंद्रिय, तेईंद्रिय से चउरिंद्रिय, चउरिंद्रिय से पंचेन्द्रिय यानि मनुष्यगति में जन्म पाए। यह मनुष्य भव बार बार नहीं मिलने वाला है। पूज्यश्री फरमाते है इस मनुष्य के देह से जितना काम लेना है ले लो।
कहते है अब तो आम के पेड पर मंजरी आ गई है धीरे-धीरे आम भी आ जाएंगे। आपको पता है बहनें आम का उपयोग कुछ भी वाटर किए बगैर किस तरह करते है। आम के उपर जो चिल्के है उसे निकालकर वे धूप में सूखो देते है फिर अंदर के भाग का इस निकालते है रस निकालने के बाद जो गुटली बची है उसको भी सूखा देते है और फिर उस गुटली को सेक कर अथवा तो उसकी सब्जी बनाकर भी खाते है। उस गुटली के चिल्के को सूखाकर उसे गरम पानी करते वक्त चलू में जलाने हेतु उसका उपयोग करते है तथा आम के चिल्के का आठम-चौदश जैसी तिथियों में सब्जी बनाते है पूज्यश्री फरमाते है आम का कोई भाग वाटर जाने नहीं दिया पूरा का पूरा उपयोग किया गया इसी तरह। पूज्यस्री फरमाते है मानव को भी अपने हाथ से सुकुृत करने के लिए यह देह मिला है। जितना बन सके उतना आपके देह से जो हो सके वह कर लो। आपको कभी किसी की सेवा का अथवा परोपकार करने का मौका मिले तुरंत एक मिनिट का भी विलंब किए बगैर कार्य कर लेना चाहिए।
किसी के पास धन नहीं, तो उन्हें पैसों की मदद कर सकते हो इसी तरह कोई व्यक्ति भूख से पीडि़त हो ऐसों को अनाज अथवा भोजन देकर भी परोपकार का काम कर सकते हों। शास्त्र में जगडुशाह का उदाहरण बताया है जिस तरह जगडुशाह ने दुष्काल में लोगों को अनाज देकर मदद की थी इसी तरह किसी न किसी तरह से हमें भी परोपकार का कार्य अवश्य करना चाहिए।
आज तपागच्छाधिपति प.पू. मनोहर कीर्ति महाराजा पूज्यश्री की विनंति से पछारे है उसका पूज्यश्री को खूब खूब आनंद है। पू. मनोहर कीति महाराजा के शिष्य रत्न प.पू. आ. देव उदयकीर्ति महाराजा ने भाविकों को संबोधित करते हुए फरमाया पूज्यश्री का प्रेम एवं स्नेह के कारणही वें तुरंत चले आए है। आज पू. गुरूदेव राजयशसूरीश्वरजी महाराजा शासन के बड़े-बड़े कार्य कर रहे है वास्तव में उनके कार्य सराहनीय एवं अनुमोदनीय है। बस, आप सभी भी पू्ज्यश्री के गच्छाधिपति पद पर पधारकर जिन शासन की शोभा बढ़ाये तथा अपने जीवन में किसी का भी परोपकार करके शीघ्र आत्मा से परमात्मा बनें।
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