Head Office

SAMVET SIKHAR BUILDING RAJBANDHA MAIDAN, RAIPUR 492001 - CHHATTISGARH

अजय कुमार, लखनऊ
गांधी परिवार लगातार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार पर हमलावर है। इसी के चलते मोदी सरकार के हर फैसले पर उंगली उठाई जाती है। जनता के बीच भ्रम पैदा किया जाता है। करीब सात वर्षो से(मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद) यह सिलसिला देश की जनता देख रही है। इससे पूर्व गुजरात के मुख्यमंत्री रहते भी गांधी परिवार ने मोदी को कम कोसा-काटा नहीं था। तब की कांगे्रस अघ्यक्ष सोनिया गांधी ने तो मोदी को 'खून का सौदागरÓ तक की उपमा दे डाली थी, जिस भाषा का प्रयोग 18-20 वर्ष पूर्व सोनिया गांधी और अन्य कांगे्रसी, मोदी के लिए गुजरात में किया करते थे,उसी परम्परा को कई वर्षो से पूरी शिद्दत के साथ राहुल-प्रियंका वाड्रा एवं अन्य कांगे्रसी आगे बढ़ाने में लगे हैं। इतना ही नहीं समय के साथ मोदी पर हमले का अंदाज और तीखा तथा भौंडा हो गया है। प्रियंका गांधी जिस तरह से उत्तर प्रदेश में किसानों की पंचायत में मोदी के लिए अनाप-शनाप भाषा का प्रयोग कर रही हैं उससे तो यही लगता है कि कांगे्रसियों ने प्रियंका वाड्रा को सियासत में लाकर पार्टी में जो बड़े बदलाव और उभार की उम्मीद की थी वह थोथा चना जैसी साबित हुई। प्रियंका भी उसी लाइन को आगे बढ़ा रही हैं जिस पर  राहुल गांधी चलते हुए कांगे्रस का सत्यानाश कर रहे थे। 
गांधी परिवार मोदी विरोध में इतना नीचे गिर गया है कि उसे देश की आबरू और इज्जत की भी चिंता नहीं रह गई है। मोदी से दुश्मनी के चलते ही गांधी परिवार को देशहित से जुड़े सरकार के फैसलों में भी खोट नजर आता है। नागरिकता संशोधन कानून, कश्मीर से धारा 370 हटाए जानें, पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक,राफेल विमान को लेकर भ्रामक प्रचार, सीमा पर भारतीय सेना का पराक्रम, तिरंगे का अपमान, गणतंत्र दिवस की गरिमा से खिलवाड, आतंकवादियों के प्रति सहानुभूति़ किए जाने जैसी तमाम घटनाओं को गिनाया जा सकता है जिसमें गांधी परिवार के सुर कभी चीन तो कभी पाकिस्तान हुक्मरानों के मिलते नजर आए। आजकल गांधी परिवार ने 'नये कृषि कानूनÓ की आड़ में मोदी को नीचा दिखाने की मुहिम छेड़ रखी है। यह तो सबको पता है, लेकिन मोदी विरोध में जिस तरह से गांधी परिवार 26 जनवरी को लाल किला और दिल्ली में उपद्रव और विदेश में देश की छवि खराब करने वालों के साथ खड़ा हो गया है,उसके बाद तो यही कहा जा सकता है कि कांग्रेस के अभी और बुरे दिन आने बाकी रह गए हैं। वर्ना गांधी परिवर कम से कम उन देशद्रोहियों का तो साथ नहीं देते जिन्होंने टूलकिट बनाकर गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में अराजकता और उपद्रव कराकर दुनिया में देंश की छवि खराब करने की बहुत गहरी साजिश रची थी। राहुल गांधी,प्रियंका वाड्रा दिल्ली में हिसा फैलाने वाली मास्टर मांइड लड़की दिशा रवि के पक्ष में ठीक वैसे ही खड़ी नजर आ रही हैं जैसे 13 सितंबर 2008 को सोनिया गांधी दिल्ली के बटाला हाउस में हुए बम कांड में आंतकवादियों का पुलिस एनकांउटर को देखकर रोने लगी थीं।  
बहरहाल, यह तो सब जानते हैं कि सोनिया हों या फिर राहुल गांधी-प्रियंका वाड्रा सभी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फूटी आंख नहीं सुहाते हैं,इसकी वजह भी है कांगे्रस को जो दुर्दिन देखना पड़ रहे हैं उसकी सबसे बड़ी वजह मोदी की लोकप्रियता ही है। गांधी परिवार लगातार इस कोशिश में लगा रहता है कि मोदी की छवि को किस तरह से खंडित किया जा सकें। इसी लिए गांधी परिवार मोदी के खिलाफ लगातार झूठ का प्रपंच फैलाता रहता है। उसके इस कृत्य में वह कांगे्रसी भी साथ देते हैं जिनकी सियासत गांधी परिवार की चरण वंदना से ही चलती है। वर्ना कांगे्रस में एक ऐसा भी धड़ा है जिसको लगता है कि मोदी पर लगातार व्यक्तिगत हमले के चलते ही कांगे्रस जनता की नजर में गिरती जा रही है। यह और बात है कि इस धड़े को कांगे्रस में साइड लाइन कर दिया गया है। इसमें गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल,मनीष तिवारी जैसे तमाम नेता शामिल हैं। 
    यह देख और सुनकर दुख होता है कि किस तरह से लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए एक प्रधानमंत्री के खिलाफ गांधी परिवार और उनके नजदीकियों द्वारा  सड़क छाप भाषा का इस्तेमाल किया जाता है और इसका स्तर लगातार गिरता ही जा रहा है। किसी के लिए भी समझना मुश्किल नहीं है कि क्यों राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा इतने निम्न स्तर  पर उतर आए हैं,लेकिन लाख टके का यही सवाल है कि इससे गाधीं  परिवार को हासिल क्या हो रहा है? क्यों गांधी परिवार के पास किसी का यह मैसेज नहीं पहुंच पा रहा है कि मोदी विरोध के चलते देश की गरिमा से खिलवाड़ नहीं किया जाए। यदि वह अथवा उनके सहयोगी यह समझ रहे हैं कि गाली-गलौज वाली भाषा का इस्तेमाल करने से उनकी लोकप्रियता बढ़ जाएगी तो यही कहा जा सकता है- विनाशकाले विपरीत बुद्धि। गांधी परिवार की अदूरदर्शिता के चलते ही पूरे देश में राज करने वाली कांगे्रस करीब-करीब हासिए पर चली गई है। जहां दिखाई भी देती है तो वहां वह क्षेत्रिय दलों की बैसाखी के सहारे खडी दिखती है। राहुल गांधी मोदी सरकार और खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर राजनीतिक हमला करने के लिए किस कदर आतुर रहते हैं, इसका ताजा और शर्मनाक उदाहरण है चीन से सैन्य तनाव घटाने संबंधी समझौते के मामले में उनका बेतुका और तथ्यों की अनदेखी करने वाला बयान। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का बयान सामने आने के बाद ही राहुल गांधी ने इस समझौते को चीन के समक्ष मोदी का समर्पण करार दिया। शायद उनका इतने से मन नहीं भरा तो उन्होंने नए सिरे से प्रधानमंत्री के खिलाफ भड़ास निकाली। उन्होंने प्रधानमंत्री को कायर बताते हुए यह भी कहा कि गद्दारों ने भारत माता को चीरकर एक टुकड़ा चीन को दे दिया। हैरानी है कि राहुल यह सब कहते हुए 1962 में चीन की ओर से हड़पी गई जमीन को कैसे भूल गए?
   प्रधानमंत्री के प्रति अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर राहुल गांधी केवल उनके प्रति ही अपनी घृणा का परिचय नहीं दे रहे, बल्कि सेना के उन जवानों का भी अपमान कर रहे हैं, जो बेहद कठिन हालात में लद्दाख के दुर्गम इलाकों में चीनी सेना को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए डटे हुए हैं। क्या इससे बुरी बात और कोई हो सकती है कि जो सेना अपने पराक्रम से देश के मान की रक्षा करने में लगी हुई है, उसके प्रति कोई भारतीय नेता इस कदर अविश्वास जताए? लगता है सेना पर अविश्वास जताना राहुल गांधी का पुराना शौक है। र्सिजकल स्ट्राइक के बाद उनके बेतुके बयान को भूला नहीं जा सकता। 
चीन के साथ सीमा विवाद के मामले में तो यह लगता है कि उन्होंने प्रधानमंत्री और सेना के साथ देश को भी नीचा दिखाने की ठान ली है। ऐसा ही रवैया गांधी परिवार 26 जनवरी को किसान आंदोलन के नाम पर हिंसा फैलाने वाली शक्तियों का साथ देकर निभा रहा है।
    लब्बोलुआब यह है कि गांधी परिवार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति अपनी नफरत का परिचय देने के लिए सामान्य शिष्टाचार और सार्वजनिक जीवन की मर्यादा का उल्लंघन करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहा हैं।भले ही इसके लिए उसे बड़ी सियासी कीमत चुकानी पड़ रही है। अब तो लोग यह भी कहने लगे हैं कि मोदी को मिटाते-मिटाते कहीं गांधी परिवार ही देश की सियासत से नहीं निपट जाए ?