देश की महानता एकता और अखंडता के लिए देश के विभिन्न राजनीतिक दलों की मानसिकता देश के प्रति वफादारी होना बहुत जरूरी है। इसे अगर हम दूसरे शब्दों में यूं कहें तो हमारे देश में और प्रदेश में शासन करने के लिए- और केवल शासन करने के लिए राजनीतिक दलों की हमारे देश के प्रति वफादारी बहुत जरूरी है। यदि हमारे देश के राजनीतिक दलों की हमारे देश के प्रति वफादारी- सुनिश्चित है तो हमारे देश को मजबूती प्रदान होगी। और हमारी देश की एकता और अखंडता हमेशा हमेशा के लिए बनी रहेगी। जो हमारे देश का प्राथमिक कर्तव्य है जो हमारे देश का प्रथम कर्तव्य है हमारे देश की एकता और अखंडता जितनी मजबूत होगी हमारा देश भी उतना ही ज्यादा मजबूत और संगठित होगा हमें हमारे देश में नेतृत्व करने वाले सही नेतृत्व करने वाले ईमानदार नेतृत्व करने वाले नेताओं की आवश्यकता है दलालों की नहीं जो दलाली करते हो जो सौदेबाजी करते हो- जो धर्म जाति और बिचौलियों की राजनीति करते हो ऐसे लोगों को हमारे देश में नेतृत्व नेता पद से हटाने की जवाबदारी हमारे देश की जागरूक जनता को है हमारे देश की आम जनता को इतना जागरूक होना चाहिए कि उसके सामने कोई दलाल नेता जातिवादी धर्म वादी और पंथवादी नेतृत्व करने वाला लोगों में अराजकता के बीज बोने वाला नेता पैदा ही ना हो जनता उसे अपने वोटों से इतनी बार मारे कि उसकी वास्तविक मृत्यु हो जाए, यह तभी संभव है जब हम अपने देश की और प्रदेश की राजनीति के प्रति जागरूक होंगे नेतागिरी तो नेता लोग करते ही हैं किंतु हमें यह देखना तो होगा कि आखिर हो क्या रहा है।
हमें जो अधिकार प्रदत्त किया गया है हमें जो अधिकार प्रदान किया गया है हम उसका सही उपयोग करके समाज देश और प्रदेश में सही नेतृत्व तो खड़े कर सकते हैं सही नेता तो पैदा कर सकते हैं। कम से कम इतना अधिकार तो हमें संविधान ने हमारे देश के संविधान ने हमें दिया हुआ ही है जिसका हमें पूर्ण जागरूकता के साथ प्रयोग करना चाहिए हमेशा अपने देश और प्रदेश की राजनीति पर नजर रखनी चाहिए जहां भी हमारी समझ में यह आता है की बात गलत हो रही है फौरन अपना मत बदल देना चाहिए और समय आने पर उसका उपयोग करना चाहिए किसी एक ही की छाप लगाकर बैठे रहना उचित नहीं है जो अच्छा करेगा वही देश और प्रदेश की सत्ता में आएगा यही हमारा एकमात्र उद्देश होना चाहिए मतदाता का उद्देश्य यदि सही है तो देश और प्रदेश भी सुरक्षित हाथों में रहेंगे गद्दारी करने वालों को दोबारा मौका ना मिले इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए जिस ने जो कहा है वह पूरा किया या नहीं और किया तो कैसे हो नहीं किया तो क्यों सारी विचार धाराओं का मंथन करते हुए हमें अपने मत का प्रयोग करना चाहिए।
हमारे देश का संविधान जो कि वास्तविक तौर पर देखा जाए तो संविधान से तात्पर्य नियम कानून कायदे जिन्हें हमें काल और पात्र,और मांग के हिसाब से बदलते रहना चाहिए, इसी में हमारे देश की भलाई है, और हमारे देश की जनता की भलाई है। यदि हम रूढि़वादी प्रथाओं को अपने कानून में चलाते रहेंगे, तो हम वास्तव में अपना देश बर्बाद कर डालेंगे अपने देश का कोई हिस्सा- खो देंगे या अपने देश में गृह युद्ध जैसे माहौल पैदा कर लेंगे। इसमें बेवफाई किसी और की नहीं किसी अपने ही राजनीतिक दल की होगी। हमें केवल और केवल प्रदेश और देश में सत्ता चलाने और शासन करने के लिए नियमों- धीयमो को कानूनों को कायदों से चलाना होगा। अनाप-शनाप नियमों के द्वारा और सोच के द्वारा हमारे देश पर आंच आ सकती है। हमें सत्ता हथियाने के लिए किसी दूसरे देश से मिलकर अपने देश में ग्रह युद्ध जैसे स्थितियां पैदा करवाना, दंगे फसाद, करवाना जातिवाद पूर्ण दंगे फसाद करवाना, लोकतंत्र का सबसे बड़ा पाप है। जिसे ऊपर वाला कभी क्षमा नहीं करेगा। अगर हमें सत्ता में आना है, तो हमें अपने सकारात्मक कार्यों का प्रदर्शन करना होगा। देश और प्रदेश को मजबूत करना होगा- देश से लालच, भ्रम और मुफ्तखोरी की चीजों के लालच को बंद करना होगा। जिससे देश और प्रदेश गर्त की ओर जाते हैं। ऐसी अवधारणाएं हमें अपने मन में नहीं लाना होगी। और ऐसे कृत्य को अंजाम देने से हमें बचना होगा। हमें एक साफ-सुथरी राजनीति करनी होगी। यदि हमारा काम अच्छा होगा हम ईमानदार होंगे- हमारे कदम देश के प्रति वफादार होंगे। तो दुनिया की कोई ताकत हमें सत्ता में आने से नहीं रोक सकती। लेकिन यदि हम छल कपट और बेवफाई मुफ्तखोरी, मुनाफाखोरी फैलाकर झूठी अफवाहें फैलाकर सत्ता में आए हैं। तो फिर दोबारा हमें इस सत्ता में रहना मुश्किल हो जाएगा। यदि हम अपने देश और प्रदेश से प्रेम करते हैं, प्यार करते हैं तो हमें अपने देश और प्रदेश के प्रति प्रेम और प्यार की भावना रखकर कार्य करना होगा।
हमें अपने देश और देशवासियों के प्रति वफादारी से पेश आना होगा उनके उज्जवल भविष्य के लिए उनकी- शिक्षा, चिकित्सा और जीवन यापन के लिए रोजी रोजगार के लिए कृषि और उद्योग धंधों के लिए ईमानदारी पूर्वक कार्य करना होगा। जिसका पारिश्रमिक जनप्रतिनिधियों को सरकारों द्वारा खुद तय किया गया हुआ है- हमें उसी में अपना गुजारा चलाना होगा, हमें लूटमार मचाने की जरूरत नहीं है- तभी हम सच्चे देश के एक सच्चे नेता एक वफादार नेता बन पाएंगे। देश का नेता यदि अपने देश और प्रदेश से वफादारी नहीं कर सकता, तो वह किस काम का ? देश का नेता यदि अपनी जुड़ी हुई पार्टी से कमीशन खोरी और हिस्सेदारी में भागीदार है तो इससे अच्छे तो बिना पार्टी के नेता हैं ? नेता- में नेतृत्व के गुण होना चाहिए नेता का उद्देश्य ईमानदारी सच्चाई, बेरोजगारी को दूर करना शिक्षा, चिकित्सा सड़क बिजली पानी जैसी सुख सुविधाओं पर ज्यादा ध्यान देना शीर्ष नेतृत्व के मुख्य गुण हैं। जो बुराइयों को मिटाकर अच्छाइयों की ओर देश और प्रदेश को ले जाए। जो देश और प्रदेश को मजबूती प्रदान करें। जो देश और प्रदेश को दूसरे देशों की बुरी नजरों से बचाएं। उनसे मिलकर हमारे देश को नुकसान ना पहुचवाएं हमारे देश का नुकसान ना करवाएं। हमारे देश की स्थिति को अस्तव्यस्त ना करें- यही सच्ची देश सेवा है- और यही सच्ची नेतृत्व क्षमता है- और यही सच्ची नेतागिरी है। इसी प्रकार देश में जाति- पाति की राजनीति से दूर देश के प्रत्येक नागरिक प्रदेश के प्रत्येक नागरिक को बराबरी का दर्जा मिल सके देश और प्रदेश के लोगों को सारी सुविधाएं समानता से मिल सके, इस हेतु प्रयास करना चाहिए। यही वास्तविक और सही नेतृत्व है। वरना किसी एक गुट को आगे करके दूसरे गुट को नीचे गिराना राजनीति नहीं कूटनीति नहीं गुंडागर्दी है।
जिसमें दूसरे गुट की बर्बादी होती है। आखिर वह भी तो हमारे देश के नागरिक हैं, उनकी जाति कुछ भी हो- उनका धर्म कुछ भी हो- हमें सभी के लिए कार्य करना है। यही वास्तविक नेतृत्व है, वह भी समानता के साथ यदि हम जातिवादी की राजनीति करते हैं तो हम ना जाने कितने लोगों का जीवन बर्बाद कर देते हैं।
अपने ही देश के प्रति ना जाने कितने लोगों में दूरी की भावनाएं भर देते हैं, अपने ही देश के लोगों में अपने ही देश के प्रति ना जाने कितना दर्द भर देते हैं, हमें समानता की राजनीति करना चाहिए। गुटीय राजनीति देश के साथ एक धोखा और छलावा है, हमें साफ-सुथरी और स्वच्छ राजनीति करनी चाहिए, जब हम अपने जीवन में साफ सफाई और स्वच्छता को इतनी तवज्जो देते हैं- तो फिर हमें राजनीति भी साफ-सुथरी बिना भेदभाव की करनी चाहिए। हमें केवल शासन करने के लिए अपने देश और प्रदेश के साथ गद्दारी कदापि नहीं करना- चाहिए चाहे वह गद्दारी जातिवादी की हो धर्मवादी की हो या किसी दूसरे देश से मिलकर हमने उस को अंजाम दिया हो, यह अंजाम दिलवाया गया हो- यह तो वही हुआ कि जिस थाली में हम खा रहे हैं- उसी में छेद कर रहे हैं। उसी को बर्बाद कर रहे हैं। ऐसे में एक दिन हमारे देश की आबरू और इज्जत ही खतरे में पड़ जाएगी। उस दिन फिर हम किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे हमें सदैव देश हित प्रदेश हित और जनहित की राजनीति करना चाहिए। चाहे हम सत्ता में रहे या ना रहे। यह कोई जरूरी नहीं है सत्ता में रहना और सत्ता में ना रहना दोनों एक बराबर हैं। दोनों की देश को चलाने में बराबरी की भागीदारी है। और यह सत्य नहीं पूर्णता सत्य है। यदि विपक्ष नहीं होगा तो केवल सत्तापक्ष महत्वहीन है। और केवल सत्ता पक्ष के विपक्ष महत्वहीन है। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं- मिलजुल कर और सबसे प्राथमिक स्तर पर पहला जो हमारा एजेंडा होना चाहिए पहली जो हमारी सोच होनी चाहिए पहला जो हमारा कर्तव्य होना चाहिए वह देश हित होना चाहिए। हम जो भी करना चाहते हैं हम जो भी कर रहे हैं। हम जो भी करेंगे। वह देश हित में है। या नहीं इस पर हमें चिंतन मनन सोच विचार और विचार मंथन करने की प्राथमिक आवश्यकता है- देशहित से परे हम किसी भी प्रकार की राजनीति अपने देश में नहीं करेंगे- यह हमारी राजनीति की प्राथमिकी हो- इसके बिना हमारा राजनीति करना व्यर्थ है। हम दलाल हैं हम धोखेबाज में हम दगाबाज हैं हम लाल जी हैं हम सदैव आज हैं हम जातिवादी की राजनीति करते हैं हम धर्म वादी की राजनीति करते हैं हम पंचवाद की राजनीति करते हैं हम काले घोड़े की राजनीति करते हैं हम मानवता में भेदभाव की राजनीति करते हैं हम देता नहीं बिचौलिए हैं दलाल हैं सिर्फ वेश नेता का धारण किए हुए हैं हम शेर की खाल में सियार हैं आम जनता को चैलेंज है कि वे पहचान सके तो पहचान ले। हम तो राजनीति में हैं हम भारतीय राजनीति में बहुत लंबे समय से हैं। लोग हमें भी नेता ही कहते हैं-
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