कंचन ज्वाला कुंदन
हाथों में मोबाइल लेकर पैदा होने वाली हमारी नई नस्ल, हमारे नए पौध में खिलौनों से वास्ता लगातार कम होता जा रहा है। बच्चे ऑनलाइन खेल और खिलौनों की ओर बेतहाशा बढ़ रहे हैं। बच्चे सबसे ज्यादा समय वीडियो गेम और मोबाइल के अन्यान्य गतिविधियों में बिताने लगे हैं। खेल और खिलौनों का भौतिक रूप से कम होना चिंता का विषय है। ऐसे समय में भारत खिलौना मेला की प्रासंगिकता और ज्यादा बढ़ जाती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस विषय के दूरगामी परिणाम को सोचते हुए पहली बार भारत खिलौना मेला का शुभारंभ किया है। भारत खिलौना मेला आत्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल का एक अहम हिस्सा है। वैसे तो भारत में 1.5 अरब डॉलर का खिलौना बाजार है। मगर चिंता का विषय यह है कि इसमें से 80 प्रतिशत खिलौने विदेश से आते हैं। दशकों से उपेक्षित भारतीय खिलौना निर्माताओं ने खिलौनों से लगभग दूरी बना ली है। ऐसे समय में खिलौना मेला ने खिलौना विनिर्माताओं में नई स्फूर्ति का संचार किया है। भारतीय खिलौनों का बाजार में एक बार फिर रूतबा और दबदबा बढ़ेगा। खिलौनों की दुनिया में भारत को आत्मनिर्भर बनाने शंखनाद हो चुका है।
इसे कुछ यूँ कहा जाए कि खिलौना उद्योग को नई रफ़्तार देने की नए सिरे से कवायद शुरू हो चुकी है। पीएम मोदी ने भारत खिलौना मेला-2021 का उद्घाटन कर खिलौना उद्योग जगत में नया प्राण प्रतिष्ठापित किया है। भारतीय खिलौनों को बढ़ावा देने के मकसद से आयोजित यह वर्चुअल मेला 27 फऱवरी से 2 मार्च तक चलेगा। भारत को खिलौना निर्माण का वैश्विक हब बनाने के प्रयासों की कड़ी में यह आयोजन मील का पत्थर साबित होगा। इस वर्चुअल मेले के जरिए ग्राहक, खिलौना निर्माता और डिजाइनरों को एक मंच पर लाने की कोशिश की जा रही है। इसमें देशभर के 1,000 से ज्यादा खिलौना निर्माताओं के खिलौनों को देखने और उन्हें खरीदने का मौका मिलेगा। इस वर्चुअल प्रदर्शनी मंल भारतीय खिलौनों के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक टॉय समेत तमाम तरह के खिलौने दिखाए जाएंगे। करीब एक साल पहले खराब गुणवत्ता वाले खिलौने, आयात किए जा रहे सस्ते खिलौनों से भारतीय खिलौना उद्योग पर बुरा असर पडऩे की शिकायतें मिली थीं। नकली चीनी खिलौनों पर संसदीय समिति भी चिंता जता चुकी है। भारत में खिलौनों का बाजार 12,769 करोड़ रुपए का है। दुनिया के खिलौना बाजार में भारतीय खिलौनों की हिस्सेदारी 2 फीसदी से भी कम है और भारत के करीबी 90 फीसदी खिलौना बाजार पर चीन का कब्जा है। पीएम मोदी ने 30 अगस्त 2020 को प्रसारित मन की बात कार्यक्रम में भी भारतीय खिलौनों को बढ़ावा देने की बात कही थी। उसी दिशा में भारत खिलौना मेला अहम कदम है।
पीएम मोदी ने भारत खिलौना मेला के वर्चुअल शुभारंभ में कहा कि भारतीय खेल और खिलौनों की ये खूबी रही है कि उनमें ज्ञान होता है विज्ञान भी होता है मनोरंजन होता है और मनोविज्ञान भी होता है। खिलौने एक बच्चे के दिमाग के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और बच्चों में साइकोमोटर और संज्ञानात्मक कौशल को बेहतर बनाने में भी मदद करते हैं। अगस्त 2020 में अपने मन की बात संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि खिलौने न केवल गतिविधि में वृद्धि करते हैं, बल्कि आकांक्षाओं की उड़ान के लिए भी जरूरी हैं। एक बच्चे के समग्र विकास में खिलौनों के महत्व को ध्यान में रखते हुए, प्रधानमंत्री ने पहले भी भारत में खिलौना निर्माण को बढ़ावा देने पर जोर दिया है। खिलौना मेला के इस अवसर पर हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम इस ऊर्जा को आधुनिक अवतार दें, इन संभावनाओं को साकार करें। अगर आज मेड इन इंडिया की डिमांड है तो आज हेंड मेड इन इंडिया की डिमांड भी उतनी ही बढ़ रही है। देश ने खिलौना उद्योग को 24 प्रमुख क्षेत्रों में दर्जा दिया है। राष्ट्रीय खिलौना कार्य योजना भी तैयार किया गया है। इसमें 15 मंत्रालयों और विभागों को शामिल किया गया है ताकि ये उद्योग प्रतियोगी बने, देश खिलौनों में आत्मनिर्भर बनें और भारत के खिलौने दुनिया में जाएं। खिलौनों का जो वैज्ञानिक पक्ष है, बच्चों के विकास में खिलौनों की जो भूमिका है, उसे अभिभावकों को समझना चाहिए और अध्यापकों को स्कूलों में भी उसे प्रयोग करना चाहिए। इस दिशा में देश भी प्रभावी कदम उठा रहा है। व्यवस्था में जरूरी कदम उठा रहा है। हमारी परंपराओं, खानपान, और परिधानों में ये विविधताएं एक ताकत के रूप में नजर आती है। इसी तरह भारतीय खिलौना उद्योग भी इस अद्वितीय भारतीय परिप्रेक्ष्य को, भारतीय विचारबोध को प्रोत्साहित कर सकती है।
खिलौनों की दुनिया में छत्तीसगढ़ के संदर्भ में भी बात करना समीचीन होगा। आर्थिक रूप से अन्यान्य बड़े राज्यों से पिछड़ा छत्तीसगढ़ प्रदेश खेल और खिलौनों की दुनिया में बहुत अग्रणी रहा है और अग्रणी है भी। छत्तीसगढ़ में खेलों की विविधता है। छत्तीसगढ़ ने कई राज्यों के खेल और खिलौनों को परिष्कृत और परिमार्जित कर नए-नए रूपों में आत्मसात किया है। छत्तीसगढ़ के खेल और खिलौनों में बित्ता कूद, डंडा कोलाल, परी-पत्थर,अमरित-बिस, गिल्ली डंडा, गोटी (पचवा ), नदी-पहाड़,अंधियारी-अंजोरी, बाँटी-भौंरा इत्यादि प्रमुख हैं। देश में पहली बार आयोजित भारत खिलौना मेला को लेकर छत्तीसगढ के लोगों में भी बेहद उत्साह का माहौल रहा। रायपुर के खिलौना कारोबारी पवन कुमार मंसहानी ने इसमें पंजीकरण कराया और शामिल हुए। खिलौना कारोबारी पवन मंसहानी ने केंद्र सरकार के इस अभिनव पहल की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
गलवान घाटी में तनाव के बाद से भारत में चीनी बाजार ने पांव समेटना शुरू कर दिया है। कोरोना काल में भी चीन की नकारात्मक छवि के कारण भारतीय बाजार में चीनी उत्पादों और खिलौनों की मांग घटी है। इसका लाभ अब भारतीय खिलौना निर्माताओं को मिल रहा है। भारत खिलौना मेला को लेकर द टॉय असोसिएशन ऑफ इंडिया (ञ्जञ्ज्रढ्ढ) के पदाधिकारी भी बेहद उत्साहित नजर आये। ञ्जञ्ज्रढ्ढ के मुताबिक दिल्ली और आसपास के शहरों में ही खिलौनों से जुड़ी छोटी-बड़ी यूनिट मिलाकर करीब 1000 यूनिट हैं। भारत खिलौना मेला का एक बड़ा उद्देश्य यह भी है कि भारतीय बच्चों के हाथों से चीनी खिलौने छिन लेने होंगे। क्योंकि भारतीय खिलौनों से ही बच्चों की हँसी और देश की ख़ुशी में अग्रोत्तर इजाफा होगा। भारत खिलौना मेला आयोजन के निष्कर्ष में हम कह सकते हैं कि खिलौना उद्योग को नई रफ्तार देने की कवायद में यह शुभारंभ मील का पत्थर साबित होगा।
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