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अहमदाबाद। परम मंगलकारी इस असार संसार में आत्मा अनादि काल से परिभ्रमण कर रही है उसमें कारण भूत है। अनेक प्रकार के दोष उसमें मुख्य चार दोष है। अज्ञान, अहंकार, अनाचार व आसक्ति ये चार भयंकर दोष है। इसे दूर किस प्रकार से करेंगे? शास्त्रकार महर्षि फरमाते है अज्ञान को हटाने के लिए सम्यग् ज्ञान की आराधना करनी चाहिए अहंकार को नष्ट करना है तो सम्यग् दर्शन की आराधना करना याने परमात्मा की भक् ित करना। अनाचार का नाश करना हो तो सम्यग् चारित्र की आराधना करना आसक्ति को दूर करना है तो सम्यग् तप की आराधना करना। अज्ञान, अहंकार, अनाचार और आसििक्त को नष्ट करने के लिए ज्ञान योग, भक्ति योग, चारित्र योग और तपयोग में की साधा अनिवार्य है।
अहमदाबाद में बिराजित प्रखर प्रवचनकार संत मनीषि, प्रसिद्ध जैनाचार्य, गच्छाधिपति प.पू. राजयश सूरीश्वरजी महाराजा श्रोताजनों को संबोधित करते  हुएफरमाते है। स्त्रीयों के साथ राग कभी नहीं करना चाहिए। राग का परिणाम अपना सर्वनाश। सेठ देवदत्त को को देवदिन्न नाम का लड़का था। उसकी पत्नी दुर्गीला थी दुर्गीला चंचल स्त्री थी। लगभग स्त्रीयां जाहिर स्थान में स्नान नहीं करती है लेकिन ये दुर्गीला एक बार नहीं में स्नान नहीं करती है लेकिन ये दुर्गीला एक बार नदी में स्नान करने गई। कोई अनजान पुरूष दूर से उसे देख रहा था। दुर्गीला भी जानबूझकर उसके सामने विकार प्रकट करती जाती है।
शास्त्रकार महर्षि फरमाते है एक बार स्त्री की चुगल में आ गया उसकी जिंदगी भ्रष्ट हुई समझो। स्त्रीयों के पास ऐसे ट्रीक होते है जो पुरूष को आकर्षित करके उसे बरबाद करके रहती है। अनजान पुरूष ने दुर्गीला के हाव भाव से आकर्षित हो गया. उसके मन में भोग की आग उत्पन्न होने लगी। पुरूष ने कहा, नदी तेरा कल्याण हो, नदी में स्नान करने वाली उस स्त्री का भी कल्याण हो।स्त्री ने भी प्रत्युत्तर दिया, हे लोकमाता। नदी का कल्याण होगा। मनोवांछित भी पूर्ण होंगे। उमास्वाति महाराजा फरमाते भोग भोगने वाला हमेशा भूखा ही रहता है उसे कभी भी तृप्ति नहीं होती है।
अनजाना पुरूष ने उस स्त्री को पाने के लिए बच्चों को इकट्ठा किया। बच्चों को मिठाई खीलवाकर उस स्त्री का पता जान लिए। शास्त्रकार महर्षि फरमाते संसार आसानी ने छूट सकता है। जिनको राग का रंग लगा हो उसके फिर संसार छोडऩा कठिन है। उस अनजान पुरूष ने एक वृद्ध स्त्री को उस स्त्री के पास भेजने के लिए तैयार कर रहा है। पैसों की लालच देकर बड़ी मुकिल से तैयार हुई। विषयों की आकांक्षा महा भयंकर है यही आकांक्षा हम परमात्मा से करे तो हमारा कल्याण हो जाएगा।
वह वृद्ध स्त्री दुर्गीला के पास जाकर कहने लगी। अरे सुन्दरी! सेठ का लड़का तुम्हारे रूप से मोहित होकर तुमझे भोग सुख की आशा रखता है। शास्त्रकार भगवंत कहते है किसी के रूप को देखकर मोह करने के बजाय परमात्मा के मुख के दर्शन से आनंद मिलाओंगे तो तुम्हारा मानव जन्म सफल हो जाएगा दुर्गीला बूठिया की बात सुनकर गुस्सा हुई। निर्लज्ज ऐसी बात करने में तुमझे शर्म नहीं आई क्योंकि मैं तो कुलीन धर की स्त्री हूं इस प्रकार बोलकर उस बूढीया के पीछे काला थप्पा करके अशोक वाटिका से बाहर निकाल दिया। बूठीया ने जाकर अपनी सारी बात उस अनजान पुरूषो को बताई। इसका मतलब, वह मुझे यह कहना चाहती है कि वद पंचमी को अशोक वाटिका में आना। विचित्र दशा आई है भोग सुख को पाने के लिए अपनी पत्नी होते हुए भी उस अनजान पुरूष को दुर्गीला पर राग था। राग की लपेटे आदमी से क्या नहीं करवाती। दुर्गीला कब मिले रात दिन यही माला फिराने लगा। व्यक्ति को खाने की तड़पन है पीने की तडपन है भोग सुख को पाने की तड़पन है पूज्यश्री फरमाते है वैराग्य की तड़पन मोक्ष की तड़पन कब होगी? वह पुरूष अशोक वाटिका में दुर्गीला के पास पहुंचकर विषय का सेवन किया। क्रीड़ा करके थक जाने से दोनों वाटिका में ही सो गए। इस ओर देवदत्त जंगल जाने के लिए निकला। उसने देखा कोई स्त्री-पुरूष अशोक वाटिका में सोये है। नजदीक जाकर देखा तो पुत्रवधु थी। अरे, ये सिके साथ सो रही है? मेरा बेटा हवेली में सोया है और ये परपुरूष के साथ। धिक्कार है ऐसी स्त्रीयों को मन ही मन दुखी होती है फिर उसने फ्रुफ के तौर से दुर्गीला के पैर से पायल निकाल दी ताकि अपने पुत्र को ये साक्षी दिखा सके।
जंबू कुमार प्रभाव से कहता है, स्त्रीयों के पीछे अपना जीवन बरबाद हो जाता है इसलिए संयम ही ठीक है संसार में रहने जैसा नहीं है। आप भी इन स्त्रीयों के प्रेम में पागल बनकर संसार को न बढ़ाओ। आत्म साधना करके आत्मा से परमात्मा बनें।