स्वराज कुमार
लोकतंत्र में लोक -कल्याण किसी भी लोकतांत्रिक सरकार की पहली प्राथमिकता होती है। छत्तीसगढ़ विधान सभा के आम चुनाव में प्रचंड बहुमत से बनी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार ने सिर्फ डेढ़ साल के अपने अब तक के कार्यकाल में लोक कल्याण के अनेक ऐसे निर्णय लिए हैं ,जिनसे स्पष्ट नीतियों के साथ सरकार की सामाजिक वचनबद्धता का भी परिचय मिलता है।
अपने घोषणा पत्र के अनुसार किसानों की कर्ज माफी और 2500 रुपए प्रति क्विंटल का समर्थन मूल्य देकर सहकारी समितियों में उनका धान खरीदने की शुरुआत करके भूपेश सरकार ने जहाँ अपना वादा निभाया ,वहीं जनता को यह भी सन्देश दिया कि यह किसानों की सरकार है। गौर तलब है छत्तीसगढ़ देश का इकलौता ऐसा राज्य है जो अपने किसानों से 2500 रुपए क्विंटल की दर से धान खरीद रहा है । कोविड 19 की वैश्विक महामारी और इसके चलते इस वर्ष मार्च के आखिऱी सप्ताह से जून के पहले हफ्ते तक करीब सवा दो महीने के देश व्यापी लॉक डाऊन में भी भूपेश सरकार ने कोरोना पीडि़तों और लॉक डाऊन से प्रभावित मज़दूरों के प्रति अपनी करुणा का परिचय दिया। विपदा की इस घड़ी में मुख्यमंत्री ने स्वयं इन सभी मेहनतकश मज़दूरों के साथ खड़े होकर उनका मनोबल बढ़ाया । उन्हें राहत पहुंचाने के हर संभव बेहतर से बेहतर इंतज़ाम किए लॉक डाऊन की वजह से देश के विभिन्न राज्यों और महानगरों से छत्तीसगढ़ के लगभग डेढ़ लाख श्रमिक विशेष ट्रेनों से अपने गृह राज्य लौट आए हैं। इन्हें मिलाकर इस कोरोना काल में 5 लाख 34 हजार श्रमिक और अन्य लोग अपने छत्तीसगढ़ वापस आ गए हैं। इनमें अधिकांश मेहनतकश मज़दूर हैं। क्वारन्टीन सेंटरों में रखने के बाद उन्हें उनके गाँवों के आस -पास मनरेगा के निर्माण कार्यो में रोजगार भी दिया जा रहा है।
इसी कड़ी में पिछले एक सप्ताह में भूपेश सरकार ने सार्वजनिक स्वच्छता सहित किसानों और आदिवासियों की बेहतरी की दिशा में चार बड़े महत्वपूर्ण और नये कदम उठाए हैं ,जो छत्तीसगढ़ को नई मंजिलों की ओर ले जाएंगे । राजधानी रायपुर स्मार्ट सिटी के रूप में तेजी से आकार ले रहा है ,लेकिन शहर में गलियों नालियों ,सड़कों और चौक -चौराहों को स्वच्छ बनाए रखना स्मार्ट सिटी की राह में एक बड़ी चुनौती है । राजधानी में घरों ,दुकानों होटलों आदि से निकलने वाले ठोस कचरे से खाद और बिजली बनाने की परियोजना के रूप में 500 मीट्रिक टन दैनिक क्षमता के ठोस अपशिष्ट(कचरा) प्रसंस्करण संयंत्र का निर्माण और लोकार्पण इस दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसका ई -लोकार्पण किया। नगर निगम का यह संयंत्र 197 करोड़ रुपए की लागत से शहर के नजदीक सकरी में बनवाया गया है । इसका लोकार्पण करते हुए मुख्यमंत्री ने स्वच्छ रायपुर सहित स्वच्छ छत्तीसगढ़ निर्माण की अपनी प्रतिबद्धता प्रकट की । इस प्रोजेक्ट में नगर निगम की ओर से शहर के घरों और दुकानों में जाकर कचरा इक_ा किया जाएगा।परियोजना सार्वजनिक -निजी सहभागिता अर्थात पब्लिक -प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी ) के आधार पर संचालित होगी। इसमें कचरे से छह मेगावाट बिजली बनाने का भी प्रावधान है।
अब आइए ,देखते हैं भूपेश सरकार के दूसरे बड़े कदम के रूप में एक महत्वपूर्ण फैसले को ,जिससे पूरे देश में हलचल मच गयी है। यह है गोधन न्याय योजना शुरू करने का फ़ैसला । यह देश में अपने किस्म की पहली योजना होगी । भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा होने जा रहा है जब कोई राज्य सरकार पशुपालकों से उनके पशुधन का गोबर खरीदने जा रही है। छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान राज्य है।यहाँ की ग्रामीण अर्थ -व्यवस्था में खेती -किसानी के साथ पशु पालन का भी बहुत बड़ा योगदान रहता है । इसे देखते हुए गोधन न्याय योजना पशु धन के संरक्षण और संवर्धन की दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है । मुख्यमंत्री ने इस योजना के तहत पशु पालकों से पशुओं का गोबर खरीदने का ऐलान किया है और कहा है कि सावन अमावस्या पर मनाए जाने वाले छत्तीसगढ़ के किसानों के प्रमुख पर्व हरेली के दिन इसकी शुरुआत होगी। गोबर की कीमत तय करने के लिए मंत्रिपरिषद की उप समिति का गठन कर दिया गया है। समिति आम जनता से भी सुझाव लेगी। गौ पालन के व्यवसाय को लाभदायक बनाना और गोवंश का संरक्षण गोबर का बेहतर प्रबंधन तथा उससे जैविक खाद उत्पादन इस योजना का मुख्य उद्देश्य है। एकत्रित गोबर से वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाकर उचित मूल्य पर किसानों को दिया जाएगा ।
आम तौर पर आजकल देखा जाता है कि कई पशु पालक अपने कुछ पशुओं को अनुपयोगी समझकर सड़कों पर खुला छोड़ देते हैं। इससे सड़क हादसों की भी आशंका बनी रहती है और कई बार हादसे हो भी जाते हैं। शहरों और राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे के गांवों में यह एक बड़ी समस्या है। मानसून के आगमन के साथ ही छत्तीसगढ़ में खेती -किसानी का मौसम भी शुरू हो गया है। बोनी अभी प्रारंभिक दौर में है। ऐसे समय में खेतों में अंकुरित पौधों को खुले में घूमते मवेशियों से बचाना भी जरूरी हो जाता है ।
लावारिस भटकते इन पशुओं के गोबर से सड़कों पर गंदगी भी फैलती है ,क्योंकि उसे उठाने वाला कोई नहीं होता ।ऐसे में गोबर खरीदने की सरकारी योजना शुरू होने पर पशुपालकों को जहाँ गोबर का उचित मूल्य मिलेगा ,वहीं उन्हें अपने पशुधन की बेहतर ढंग से देखभाल करने की भी प्रेरणा मिलेगी । पशुओं के खुले में घूमने पर भी अंकुश लगेगा और खेतों में फसल सुरक्षित रहेगी।नाम के अनुरूप गोधन न्याय योजना से प्रदेश के गोवंश को भी न्याय मिलेगा ।यानी उसे लावारिस छोड़ देने की मानवीय प्रवृत्ति खत्म होगी । मुख्यमंत्री का कहना है कि इस योजना से गाँवों और शहरों की वर्तमान स्थिति आगे चलकर पूरी तरह बदल जाएगी ।
वैसे भी भूपेश सरकार ने अपनी इस नयी योजना से पहले सुराजी गाँव योजना के तहत प्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों के लिए चरणबद्ध ढंग से गौठान निर्माण की भी शुरुआत कर दी है। पहले गौठान हमारी ग्रामीण संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा हुआ करते थे। हर गांव का अपना गौठान होता था । धीरे -धीरे सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण जैसे कई कारणों से गौठान विलुप्त होने लगे ,लेकिन भूपेश सरकार ने राज्य की बागडोर संभालते ही नरवा ,गरुवा ,घुरूवा ,बाड़ी -ये ला बचाना हे संगवारी का नारा देकर बरसाती नालों सहित गोधन के संरक्षण तथा घूरे से जैविक खाद उत्पादन और बाड़ी के रूप में उद्यानिकी फसलों की खेती को बढ़ावा देने का काम शुरू कर दिया । गौठान निर्माण भी इसी नरवा,गरुवा ,घुरूवा ,बाड़ी योजना का एक हिस्सा है।
राज्य में लगभग ग्यारह हजार ग्राम पंचायतें हैं ,जबकि उनके आश्रित गाँवों की संख्या 20 हजार के आस -पास है। अब तक बाइस सौ गौठान बन चुके हैं ,जहाँ गाँवों के बेसहारा पशुओं को आश्रय मिला है।प्रदेश की शत -प्रतिशत ग्राम पंचायतों को इस योजना में कव्हर किया जाएगा। इस साल के आखिऱ तक पांच हजार गौठान बनाने का लक्ष्य है। जिन गांवों में गौठान बन गए हैं ,उनके आस -पास की सड़कों पर मवेशियों का जमावड़ा भी लगभग नहीं के बराबर रह गया है। कारण यह है कि इन मवेशियों को गौठानों में पर्याप्त चारा और पानी मिल रहा है। गौठानों के सुचारू संचालन के लिए ग्रामीणों की समितियों का भी गठन किया जा रहा है।प्रत्येक समिति को सरकार की तरफ से दस हजार रुपए की मासिक सहायता भी दी जा रही है । गौठानों में पशुओं के बेहतर रख -रखाव के लिए राज्य शासन द्वारा एक रोडमैप भी बनाया गया है। इसके तहत प्रत्येक गौठान में अधिकतम तीन लाख रुपए की लागत से शेड निर्माण के साथ इसी तरह दो लाख रुपए उपकरणों पर खर्च किए जा सकेंगे । इसके लिए राज्य सरकार उन्हें अनुदान भी दे रही है। प्रति गौठान चालीस हजार रुपए के मान से अनुदान की पहली किश्त जारी कर दी गयी है।
गौठानों में एकत्रित होने वाले गोबर से बायोगैस बनाने की भी योजना है। इतना ही नहीं ,बल्कि हर गौठान के आस -पास मुर्गी पालन सहित अन्य रोजगारमूलक कार्य भी होंगे। उद्देश्य यह है कि गौठानों को ग्रामीणों के लिए आजीविका केन्द्र के रूप में विकसित किया जाए।कुछ गौठानों में महिला -स्वसहायता समूहों ने जैविक खाद (वर्मी कम्पोस्ट)बनाना भी प्रारंभ कर दिया है। लगभग साल भर पहले शुरू की गई गौठान परियोजना और बीते सप्ताह घोषित गोधन न्याय योजना से छत्तीसगढ़ जैविक खेती के मामले में भी देश की अग्रिम पंक्ति के राज्यों में शामिल हो सकता है। फिलहाल सिक्किम पभारत का पहला शत -प्रतिशत जैविक कृषि वाला राज्य है। उसने साढ़े चार साल पहले जनवरी 2016 में सौ फ़ीसदी जैविक कृषि राज्य का दर्जा हासिल कर लिया था । छत्तीसगढ़ को भी यह कामयाबी जरूर मिलेगी। वह अपनी गौठान योजना और गोधन न्याय योजना के जरिए किसानों को जैविक अथवा गोबर खाद उपलब्ध करवाकर उन्हें जैविक कृषि के लिए प्रोत्साहित कर सकता है।
जैविक खेती से मिलने वाली पैदावार रासायनिक खेती के दुष्प्रभावों से मुक्त रहती है ।इसलिए पूरी दुनिया में इसकी लोकप्रियता बढ़ रही है ।इसके फलस्वरूप जैविक कृषि उपजों को अच्छा बाज़ार मिलने की संभावनाएं भी बढ़ती जा रही हैं । इसका लाभ किसानों को मिलना तय है ।कई इलाकों में मिल भी रहा है।
भूपेश सरकार ने बीते सप्ताह एक और बड़ा निर्णय लिया है। वो यह कि अब प्रदेश के विद्यार्थियों को जाति और निवास प्रमाणपत्र डाक द्वारा उनके घर पहुँचाया जाएगा । विगत कई दशकों का यह कटु अनुभव रहा है कि इन दो प्रमाण पत्रों के लिए अनुसूचित जाति ,जनजाति और पिछड़े वर्गों के विद्यार्थियों सहित जरूरतमंद आवेदकों को काफी हलाकान होना पड़ता था। अब सरकार ने तय किया है कि लोक सेवा केन्द्र और तहसील कार्यालय डाक रजिस्ट्री शुल्क लेकर उन्हें इसकी पावती देंगे और प्रमाणपत्र बन जाने के बाद रजिस्टर्ड डाक से उनके घर भेजेंगे । इस घर पहुँच सेवा के लिए मुख्यमंत्री की ओर से सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी जिला कलेक्टरों को आदेश जारी कर दिया है। कोरोना काल में यह निश्चित रूप से इन प्रमाण पत्रों के आवेदकों को राहत पहुँचाने वाला निर्णय है।
भूपेश सरकार आदिवासियों पर विगत वर्षों में दर्ज सामान्य किस्म के आपराधिक मुकदमों को वापस लेगी ताकि वो तनाव मुक्त होकर सामान्य जीवन जी सकें । यह भी बीते सप्ताह का एक बड़ा फ़ैसला है। किसी भी सरकारी योजना अथवा फ़ैसले की कामयाबी उसे अमलीजामा पहनाने वालों की सक्रियता पर निर्भर रहती है । उम्मीद की जानी चाहिए कि भूपेश सरकार के इन लोक हितैषी फ़ैसलों को भी धरातल पर सफल ,सार्थक और साकार बनाने में राजधानी से लेकर सुदूर गाँवों तक प्रशासनिक अमला पूरी गंभीरता से अपनी भूमिका निभाएगा। नये कदमों से नई दिशा की ओर बढ़ते छत्तीसगढ़ को नई मंजिलों की ओर ले जाने में आम जनों की भागीदारी की भी जरूरत होगी। इसके लिए भी एक सकारात्मक और उत्साहजनक वातावरण का निर्माण छत्तीसगढ़ में हो रहा है ।