अहमदाबाद। हेमचन्द्राचार्यजी महाराजा वीतराग स्त्रोत के माध्यम से फरमाते हैं कि -
नारका अपि मोदन्ते, यस्य कल्याण पर्वसु
पवित्रं तस्य चारित्रं, को वा वर्णयितुं क्षम:
परमात्मा का अचिन्त्य पुण्य प्रताप है कि जब परमात्मा का कल्याणक होता है तब कुछ क्षणों के लिए नरक में भी आनंद का वातावरण छा जाता है। एक बात खास समझने जैसी है कि जिनके हृदय में सभी का हित हो-सभी का कल्याण हो ऐसी भावना जिनमें है उनके साथ दुनिया के सभी लोग अनुकूल बनकर रहते हैं। परमात्मा के हृदय में सवि जीव करूं शासन रसि की जो भावना है इस भावना के मुताबिक परमात्मा, चाहे जैसा भी जीव क्यों न हो उनकी हरेक जीव पर प्रेम दृष्टि करूणा दृष्टि एवं मैत्री दृष्टि अभूतपूर्व है।
अहमदाबाद में बिराजित प्रखर प्रवचनकार, संत मनीषि, गच्छाधिपति प.पू.आ.देव राजयश सूरीश्वरजी महाराजा श्रोताजनों को संबोधित करते हुए फरमाते है हम परमात्मा बनेंगे कि नहीं, हम तीर्थंकर बन सकेंगे कि नहीं परंतु हमारे में परमात्मा की तरह सभी को चाहने का, सभी जीवों को खुशी करने का, सभी जीवों को आनंद में ले जाने का मार्ग अवश्य अपनाना है। ये मार्ग जब आपमें विकसित हो जाएंगे तब आपके आसपास जो भी जीव आएगा, वह अंदर से तथा बाहर से भी शांत को पाएगा। इसी के साथ आपके ईर्दगीर्द जो भी आएगा वह अपनी इच्छित को पाएगा।
प्रवचन की धारा को आगे बढ़ाते हुए पूज्यश्री फरमाते है जिस व्यक्ति में सभी को चाहने का, सभी को खुशी करने का तथा सभी को आनंद में ले जाने के गुण है वह व्यक्ति स्वयं ही महसूस करेगा कि ये जो मार्ग परमात्मा ने बताए हैं वे मार्ग व्यक्तित्व का विकास करने के श्रेष्ठ मार्ग हैं। परमात्मा ने तो सभी का कल्याण हो, सभी का अच्छा हो इस भावना से ही हमें ये मार्ग दिखाए है। कल्याणक हरेक के आते है मगर विशेष तौर से जब प्रथम तीर्थकर आदिनाथ प्रभु का जन्म कल्याणक आता है दुनिया के हरेक कोणे में इस महान सितारे के प्रकट होने की सुवास फैल जाती है। एक सुंदर पंक्तियां है।
कितने लोग ऐसे होते है कि जिनके आने की लोगों को ईतजारी होती है तो, कितने लोग ऐसे भी होते है कि जिनके जाने की लिोग ईंतजारी करते है पूज्यश्री फरमाते है तीर्थंकर परमात्मा के लिए न केवल देवों, न ही मनुष्यों बल्कि समस्त विश्व उनके लिए राह देखकर बैठा है कि कब परमात्मा का जन्म हो?
मानतुंग सूरि महाराजा भक्तामर स्त्रोत के माध्यम से फरमाते है चारों ओर जब अंधकार छाया हुआ है तब लोग सूर्य के उदय की राह देखकर बैठे है कब सूर्य की किरणें आए और अंधकार का विलय हो बस इसी तरह तीर्थंकर जैसे महापुरूषों का समस्त विश्व को इंतजार है कि कब परमात्मा का जन्म हो और दु:खों का नाश हो। आदिनाश भगवान के जन्म कल्याणक के समय आप और हम कहां थे पता नहीं? अंतिम तीर्थंकर महावीर स्वामी भगवान के कल्याणक के समय भी कहां थे कुछ पता नहीं है लेकिन लोक स्थिति ऐसी है कि तीर्थंकर का अवतार इस पृथ्वी पर डायरेक्ट नहीं हुआ सभी के लिए एक ही नियम है चाहे वह देवलोक का जीव हो या अन्य किसी भी गति का जीव हो। सभी का च्यवन माता की कुक्षि में ही होता है। स्थान कैसा है महत्व का नहीं मां की कुक्षि में ही होता है। स्थान कैसा है महत्व का नहीं मां को कुक्षि से ही तीर्थंकर-चक्रवर्ती-राजा अथवा तो कोई साधारण व्यक्ति का जन्म होता है।
देवलोक में सुख का अनुभव करने वाले देवों को भी लोक स्थिति के नियम के मुताबिक मां की कुक्षि से ही जन्म लेना पड़ता है। कुलकरों की परंपरा थी। कुलकर के रूप में नाभिराजा की पत्नी मरुदेवा जर पुत्र को जन्म देने वाली थी उस समय नाभि राजा के दरबार में कैसा वातावरण छाया होगा। पूज्यश्री फरमाते है आपके यहां पुत्र का जन्म होता है तब कैसा आनंद का माहौल छा जाता है आप कल्पना करो परमात्मा के जन्म के समय में कैसा माहौल छाया होगा?
पूज्यश्री फरमाते है कोई चीज आपको बिना मेहनत की मिलती है कितनी खुशी, बिना लड़ाई चीज मिली कितना आनंद इसी तरह बिना मेहमत की सत्ता मिले उसे हम पुण्य कहते हैं। शास्त्रकार महर्षि पुण्य को बेड़ी तुल्य कहा है आप ट्रेन की मुसाफिरी कर रहे हो। फस्र्ट क्लास एसी की सीट बुकिंग कराई। मज से एसी में बैठकर आनंद मिलाया आपका मुकाम आ गया आप उतर जाते हो? क्या आप सीट को साथ में लेकर उतरते हो? नहीं साहेब। जब तक सीट पर बैठे थे आनंद मिला लिया। वह सीट हमारे साथ नहीं आ सकती बस, इसी तरह पुण्य है तब तक सुख एवं आनंद को मिला लो उसके पीछे पागल बनकर मत दौडऩे आपका दौडऩा ही है तो अरिहंत सिद्ध आचार्य उपाध्याय साधु इन पांच के पीछे दौड़ो। परमात्मा का बताया हुआ मार्ग उसे अपनाओ।
फागण वद आठम के दिन प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ परमात्मा का जन्म कल्याणक है। सोला रोड के उत्साही मंडल जैनं जयति शासनम् सोशल डिस्टेंस पूर्वक परमात्मा आदिनाथ का जन्माभिषेक करेंगे। लाइव पर आपको भी निहालने का अवसर मिलेगा।
आसन्न उपकारी परमात्मा महावीर का जन्म कल्याणक जिस प्रकार आप धूमधाम से मनाते हो इसी तरह आध उपकारी ऋषभ देव भगवान को भी यदि करके फारगण वद आठम को उनका जन्मकल्याणक मनाना है। बस, आपके मन में, घर घर में घट घट में ऋषभ भगवान को बिराजमान करके शीघ्र आत्मा से परमात्मा बनें।
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