Head Office

SAMVET SIKHAR BUILDING RAJBANDHA MAIDAN, RAIPUR 492001 - CHHATTISGARH

अहमदाबाद। परमंगलकारी श्री दशवैकालिक सूत्र में श्री शय्यम्भवसूरि महाराजा फरमाते है,
कोहो पीई पणासेई, माणो विनय नासणो,
माया मित्ताणी नासेई, लोभो सव्व-विणासणो।।
क्रोध प्रीति का नाश करता है, मान विनय का नाश करता है, झूठ-कपट-माया मित्रों का नाश करता है तथा लोभ तो सब का नाश करता है। सोचने जैसी रात है कि जब हमें किसी व्यक्ति पर गुस्सा आता है तब हमारा दिमाग काम नहीं करता है। बात छोटी हो या बड़ी गुस्सा आने से हम अपने आप पर काबू नहीं रख पाते है। कुछ लोगों का कहना है गुस्सा दिखाने से पर्सनालिटी पड़ती है। उनका मानना है गुस्सा करके सबको अपने कंट्रोल में लूं। मगर ऐसी सोच गलत है। आप दूसरों को दबाकर उनका प्रेम नहीं मिला पाओंगे। वह व्यक्ति आपके करीब आने के बजाय दूर होता जाएगा।
अहमदाबाद में बिराजित प्रखर प्रवचनकार, संत मनीषि, गच्छाधिपति प.पू.आ.देव राजयश सूरीश्वरजी महाराजा श्रोताजनों को संबोधित करते हुए फरमाते है हवा के बिना ईंसान रह सकता है बल्कि प्रेम के बिना आदमी को जीवन जीना मुश्किल हो जाता है। दुनिया किसी के कहने से नहीं चलती है वह अपने हिसाब से चलती है। एक भाई को खूब गुस्सा आया। उसने आकाश में रहे हुए बादल पर धूल फेंकी। जोर से बारिश बरसने लगी। किसी से उस भाई से पूछा, अरे! बादल पर गुस्सा क्यों कर रहे हो? क्या करूं जब भी मैं छत्री लेकर बाहर निकलता हूं तब बारिश नहीं आती है जब छत्री के बगैर बाहर निकलता हूं तो बारिश जरूर आ जाती है। मगर, आपने तो बादल पर मिट्टी फेंकी। आखिर वह मिट्टी तो आप पर ही गिरी। आपको इससे क्या फायदा हुआ? मिट्टी फेंककर नुकसान तो आपका ही हुआ है।
प्रवचन की धारा को आगे बढ़ाते हुए पूज्यश्री फरमाते है हम भी किसी पर गुस्सा करेंगे तो नुकसान हमारा ही होगा ओरों का नहीं। जीवन में एक दूसरे को प्रेम बांटना है तत एक दूसरे का प्रेम मिलाना है। दुनिया दुनिया के हिसाब से चलेगी। अपने को अेडजस्ट फ्री साईज की गंजी मिलती है जो सबके लिए काम आती है इसी तरह हमारे माईंड को भी फ्री माईंड रखना है जिससे सबके साथ हमारा अच्छा बनें। किसी के ऊपर गुस्सा न आए। पूज्यश्री फरमाते है कितने लोगों का घृणा  गुस्सा वाला होने से यदि वह किसी के यहां जाता है तो लोग तुरंत कहते है हमारे यहां आफत आई। जब वे हमारे घर से विदा लेते है तो तुरंत कहते है आफत चली गई अब शांति है क्रोध करना कोई अच्छी चीज नहीं है शरीर के लिए तो नुकसानकारी ही है। कितने लोग तो ऐसे भी देखे छोटी बात में बहस हुई तो सीधा आत्महत्या कर लेता है। आज ही के समाचार पत्र में खबर आई कि पिता-पुत्र के बीच में दो शब्दों की बोलाबोली हुई। पुत्र ने सीधा निर्णय लेकर प्लास्टिक का धागा गले में डालकर आत्महत्या कर ली। गुस्से का कैसा बुरा अंजाम आया। शरीर में डायबिटीज होता है तो तुरंत हम ब्लड टेस्ट करवाते है इसी प्रकार जब गुस्सा आए तब हमें क्रोध का टेस्ट कराना जरूरी है। 80 प्रतिशत क्रोध किया हुआ झूठा ही होगा। कुछ समय के बाद हमें विचार आएगा गुस्सा करने जैसा नहीं था। इस दुनिया में ईंसान को यदि महान बनना है तो उसे मान को छोड़कना पड़ेगा क्योंकि अभियान करने से विनय का नाश होता है। रावण ने अभियान के कारण ही राज्य को गुमाया था। मान जीवन को खेदान मैदान कर देता है। क्रोध एवं मान को जीवन से बहिष्कार करके शीघ्र आत्मा से परमात्मा बनें।