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अहमदाबाद। परम मंगलमय परमात्मा का मंगलमय शासन हमें मिला है हमारा जीवन मंगल है। इस मंगल जीवन को और भी उत्कृष्ट एवं पूर्ण बनाना है। कहते है अरिहंत मंगल है सिद्ध मंगल है साधु मंगल है, केवली भगवंतों का बताया हुआ धर्म भी मंगल है। इसी के साथ मनुष्य का जीवन भी मंगल बताया है।
अहमदाबाद में बिराजित प्रखर प्रवचनकार, संत मनीषि, गच्छाधिपति प.पू.आ.देव राजयश सूरीश्वरजी महाराजा श्रोताजनों को संबोधित करते हुए फरमाते हैं मनुष्य का जो मंगलमय जीवन है उसे परम विशुद्ध मंगलमय एवं पूर्ण बनाने के लिए उत्तराध्ययन सूत्र में इसके मार्ग दिखाते है। कोरोना महामारी के कारण कितने लोग प्रवचन में नहीं आ पाते है हरेक को अपनी मृत्यु का भय होता है। उत्तराध्ययन सूत्र में परमात्मा की अंतिम देशना में बताया है मरण दो प्रकार के होते है सकाम मरण, अकाम मरण, हमारी अपनी इच्छा से मरण को ग्रहण करना वह सकाम मरण है तथा हमारी इच्छा बगैर का मरण वह अकाम मरण है। पूज्यश्री फरमाते हैं कि जिन लोगों का जीवन संपूर्ण तरीके से शुद्ध है उन्हें मृत्यु का डर नहीं रहता है। जिन्हें मृत्यु का डर नहीं रहता उन्हें किसी का भय भी नहीं होता है। जब तक हम पूर्ण नहीं बनते है तब तक हमारा एक भव से दूसरे भव में भटकना चालु ही रहता है। कहते है जिन्हें मृत्यु का डर नहीं, वृद्धावस्था का डर नहीं लगता उनका मरण वह सकाम मरण है। सकाम मरण वाले हर हमेश सावधान रहते है।दुनिया का कोई भी व्यक्ति हो उसकी मृत्यु कब एवं किस तरह होगी उसे हम कह नहीं सकते हैं। सकाम मरण वाला हर हमेशा इसकी तैयारी रखकर अपनी आराधना में मस्त बन जाता है। एवं पूरी जागृति रखता है। 
मानलो, आज अपनी भूल हो गई हो तो वह सामने से एक्स-वाई के घर जाकर खड़ा रह जाता है और उससे माफी मांगता है तब एक्स-वाई को होता है अरे! माफी मांगने अभी के अभी जाने की क्या जरूरत थी? तब सकाम मरण वाला व्यक्ति कहता है मुझमें उर्मी जब आ जाती है उसी समय में न जाण्युं जानकी नाथे, प्रभाते शुं थवानुं छे। हम रातको सुख पूर्वक सो गए, सुबह क्या होगा किसी को पता नहीं हो जाती है उसका पता ही नहीं चलता है। कर्म का सिद्धांत है कोरोना महामारी आई है कितने इस महामारी के लपेट में आकर स्वर्गस्थ हो गए है।
पूज्यश्री फरमाते है मृत्यु आने के पहले जो जो करना है सो वे सुकृत कर लो। किसी से झघड़ा हुआ उसे मिच्छामि टुकडुं देकर बात को बंद करूंगा, प्रामाणिक रूप से धंधा करूंगा हराम का नहीं खाऊंगा। किसी को दु:ख लगे ऐसा वचन नहीं बोलूंगा मानलो कभी भूल से उसका दिल भी भावना पूर्वक का जो व्यक्ति जीवन जीता है उसे मृत्यु का डर नहीं होता है। वह सकाम मरण पाता है।
हमेशा अपने दिल को साफ रखना है आप का प्रवेश न हो उसका ख्याल रखना है। किसी भाई को पूछा, आप किसका धंधा करते हो? पापड़ का, पापड का माल बरामर नहीं रखा धूल घुस गई तो आप तुरंत उस धूल को फटकाकर निकाल देते हो बस इसी तरहहमारी आत्मा में पाप का प्रवेश हुआ हो, कषाय लग गए हो, विषयों में लंपट बनें हो तो इन कचरों को हमारी आत्मा से दूर करना है जो व्यक्ति सावधानी पूर्वक इन सब से दूर रहता है, वह व्यक्ति मृत्यु से उरता नहीं है।
पूज्यश्री फरमाते है जो जो व्यक्ति इस कोरोना महामारी के फंदे में फंस गए है उन लोगों के लिए प्रार्थना करना है कि शीघ्र वे इस महामारी से बाहर आ जाए। दया अनुकंपा विगेरे से भी जो इस महामारी के कारण भूखे मर रहे है उनकी सहाय करके सकाम मरण पूर्वक आत्मा से परमात्मा बनें।