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अहमदाबाद। दुनिया में कई तरह के महान शास्त्र पड़े हैं। उसमें भी परमात्मा के शासन के जो भी शास्त्र है, उसमें बताया है आप कितनी भी ऊंची पोस्ट पर क्यों न हो, आपके पास सत्ता भी होगी, आप खूब पैसे भी कमाते होंगे लेकिन जो सत्य हकीकत है उस सत्य को आपको स्वीकारना ही पड़ेगा। चाहे वर्तमान काल की बात हो या भूतकाल की बात हो या फिर भविष्य काल की ही बात हो जो सत्य है उस सत्य को आपको स्वीकार कर चलना ही पड़ेगा।
अहमदाबाद में बिराजित प्रखर प्रवचनकार, संत मनीषि, गच्छाधिपति प.पू.आ.देव राजयश सूरीश्वरजी महाराजा श्रोताजनों को संबोधित करते हुए फरमाते हैं कि हमारे पास संपत्ति है सत्ता है, हर तरह की सामग्री भी है एक न एक दिन इन सब को छोड़कर जाना ही पड़ेगा। सत्य हकीकत यह है कि जिसने जन्म लिया है उसकी मृत्यु निश्चित है, कोई भी मृत्यु को टाल नहीं सकता फिर भी हमारा मन कैसा संकुचित है कि सुबह 7.00 बजे आपके हाथ में अखबार आया। चाय पीने के पहले आपने उस अखबार को पढ़ा। आप अब अपने दूसरे कार्य में लगे है और यकायक आपका पड़ोसी आकर आपसे अखबार की मांग करता है तब आप उसे ईंकार करके कहते हो भैया! मेरा अखबार पढऩे का बाकी है। पड़ोसी बिना कुछ कहे चुपचाप चला जाता है।
प्रवचन की धारा को आगे बढ़ाते हुए पूज्यश्री फरमाते है हमारा मन कितना संकुचित है। जो चीज अब काम की नहीं शाम को रद्दी में वे पेपर चले जाएगें फिर भी हमें दूसरों को देने को दिल नहीं करता है। आप ने खूब ही मेहनत-परिश्रम-समय का सही तरीके से सद्पुयोग करके ये सभी भौतिक सामग्री एवं वैभव इकट्ठा किया है। ये सभी सामग्री आपको यही छोड़कर जाना पड़ेगा। आपके साथ कुछ नहीं आने वाला है फिर भी हमारा मन उदार रखने के बजाय संकुचित होता जा रहा है घर पर चीज निकम्मी पड़ी है कभी उपयोग में नहीं आ रही फिर भी हमारा दिल किसी को देने के लिए हिचकिचाता है। संग्रह करने में ही लगे रहे। जो भी खाया पीया कल के लिए कुछ काम नहीं आएगा इन सभी में आसक्ति रखने से बेहतर है दूसरों का भला किस प्रकार से कर सको उसके लिए प्रयत्नशील रहना चाहिए।
आज कोरोना के कारण कितने लोग भूखे-प्यासे मर रहे है। कितने युवान बेरोजगार होकर घर पर यूं ही ही बैठे है। उन लोगों की सहाय रूप अपनी हेसियत के मुताबिक कुछ न कुछ सुकृत करना ही चाहिए पूज्यश्री फरमाते है जो व्यक्ति दूसरों का ख्याल रखकर किसी का भी भला करता है वह व्यक्ति अपने जीवन में आगे बढ़कर शीघ्र मोक्ष को पाता है। मोक्ष में जाने के पूर्व कुछ ऐसी प्रवृत्ति करके जाओ कि लोग आपको बरसों तक याद रखें। जन्म लिया अपने लिए तो मरना है दूसरों की भलाई करके, ज्ञान मिलाया स्वयं के लिए तो अब ज्ञान को बांटना है दूसरों को सिखाकर, धन कमाया अपने लिए तो अब धन का व्यय करना है दूसरों के हितार्थ के लिए बस इस तरह की भावना रखकर शीघ्र आत्मा से परमात्मा बनें।