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श्री वल्लभ आचार्य जयंती हिन्दू वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इस दिन को श्री वल्लभ आचार्य जी की जयंती के रूप में मनाया जाता है। इन्हें पुष्य संप्रदाय के संस्थापक वल्लभ के रूप में भी जाना जाता है। वल्लभ आचार्य एक उत्साही दार्शनिक थे जिन्होंने पुष्य संप्रदाय की मान्यताओं की स्थापना की। हिंदू धर्म में वल्लभ आचार्य जयंती सबसे समर्पित त्यौहारों में से एक है। कई लोग यह भी मानते थे कि श्री वल्लभ आचार्य ही वह व्यक्ति थे जिन्हें श्रीनाथजी के रूप में भगवान कृष्ण से मिलने का अवसर प्राप्त हुआ था। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि श्री वल्लभ आचार्य अग्नि देवता का पुनर्जन्म है। आइए जानते हैं वल्लभ आचार्य जयंती कब मनाई जाएगी।
  श्रीनाथजी के रूप में श्री कृष्ण की पूजा करना श्री वल्लभ आचार्य द्वारा ही प्रस्तुत किया गया था। इसी के चलते वल्लभ आचार्य जयंती को भगवान कृष्ण और वल्लभ आचार्य के भक्तों द्वारा हर वर्ष बेहद ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस जयंती का महत्व तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, चेन्नई और महाराष्ट्र में बेहद विशेष है। श्रीनाथ जी के मंदिर में इस त्यौहार को बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। कई स्थानों पर लोग प्रसाद भी चढ़ाते हैं और भक्तों में वितरित भी करते हैं।