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अहमदाबाद। परम मंगलमय उत्तराध्ययन सूत्र रूप परमात्मा की वाणी में वीतरागीता के आदर्श की तथा वैराग्य की बात आती है। इन बातों को सुनकर आत्मा पर आनंद का अनुभव करती है। इस अध्ययन में संजय राजा की बात आती है कि राजा कितने कुरिवाजों के कारण मृगया करता है। मृगया यानी जंगल में जाकर निरपराधी जीवों को मारना। इस दुनिया में कितने अविचारी निकम्मी परंपराएं चल रही है। कहते है जब तक जागृत आत्मा पैदा नहीं होती, जब तक जागृत आत्मा के मार्गदर्शन प्राप्त नहीं होत,े तब तक ये रिवाजों रूढि़ओं चलती ही रहेगी। वर्तमान में छोटे से छोटा मानव में भी ये जागृती नहीं आई है। अभी भी भारत भर में हजारों लोग देव देवियों को बली चढ़ाते हंै। बिन जरूरी मांस का भक्षण भी करते हैं।
अहमदाबाद में बिराजित प्रखर प्रवचनकार, संत मनीषि, गच्छाधिपति प.पू.आ.देव राजयश सूरीश्वरजी महाराजा श्रोताजनों को संबोधित करते हुए फरमाते है समझदार लोगों को प्रमाद किए बगैर अपनी शक्ति एवं सामथ्र्य से इस बलिप्रथा को दूर करने के लिए कुछ न कुछ करना चाहिए। लोगों को सत्य मार्ग क्या है इसकी जानकारी देनी चाहिए। जैन साधुृ-साध्वी इस चीज में सफलता मिला सकते हैं क्योंकि जैन साधुृ-साध्वी के मंगल प्रभाव से तथा उनके इस मंगल आचरण से कोई भी व्यक्ति हिंसा छोड़ सकता है। छोटे से छोटा व्यक्ति को अच्छा आयोजन करके उसे ठीक तरह से समझाकर उस व्यक्ति को साधु के पास लाने का कत्र्तव्य श्रावकों का है। इस प्रकार के श्रावक यदि तैयार हो जाए तो पूरे हिन्दुस्थान में क्रांति आ जाएगी। पूरा हिन्दुस्तान ही नहीं समस्त विश्व में भी क्रांति आ जाएगी। परंतु जितना पुरूषार्थ करना चाहिए उतना पुरूषार्थ नहीं हो पा रहा है। क्योंकि हम इस बात को द्बद्वश्चशह्म्ह्लड्डठ्ठद्ग देकर काम नहीं कर रहे है सिर्फ चर्चा करके बात को उड़ा देते है।
पूज्यश्री फरमाते है जब जब महापुरूषों का योग मिलता है, परमात्मा की शासन प्रभावना करने वाले महात्माओं का योग होता है तब जाकर कुछ काम बनता है। पूर्व परंपरा के संस्कार से राजा संजय शिकार करने जाता है। शास्त्रकार महर्षि फरमाते है एक खराब परंपरा, करोड़ों का नाश करती है। जिस प्रकार खराब परंपरा है उस प्रकार अच्छी परपंरा भी है। कोरोना के इस वातावरण के कारण गर्मी बहुत कितने लोग पशु-पक्षीयों के लिए हौज बनाते है तो कितने लोग पानी के कुंड बनाकर बेचते है। इस विश्व में खराब है तो अच्छाईयां भी है। बूरे लोगों का तिरस्कार करने के बजाय प्रेम एवं स्नेह से उन्हें समझाया जा सकता है। अच्छे लोग परस्पर एक दूसरे से मिले तो काम हो सकता है।इस ओर राजा संजय शिकार के लिए गए हिरण को जंगल में दौड़ते हुए देखा तुरंत ही बाण छोड़ा अचानक नजर बाजु में गई तो साधु भगवंत को अपने पास खड़े देखा मन में सोचने लगे निशाना इधर उधर हो जाता तो इस निर्दोष साधु के प्राण चले जाते अथवा तो उन्हें बाण लग गया होता तो वें पीड़ा के कारण मुझे शाप देते। अथवा तो गुस्से से मुझे भस्म कर देते। व्यवहार में कहते है अब पछताये क्या होता है जब चिडिय़ा चुग गई खेत अब पछताने से क्या फायदा जब चिडिय़ा दाने को खा गई। शास्त्रकार महर्षि फरमाते है हरेक बार किया गया पश्चाताप निष्फल नहीं जाता है।
राजा गर्दभाली मुनि के पास आए। मुनि ने देखा राजा के हाथ में धनुष एवं बाण है मुख्य पर पश्चाताप का भाव है। पूज्यश्री फरमाते है साधु कभी भी नीच-दर्गणी हलका अथवा खराब व्यक्ति को देखकर धिक्कार-तिरकार नहीं करते है। उन्हें पता है कर्म के वश होकर मानवी अपराध करता है। मुनि भगवंत अपने प्रसन्न चेहरे से तथा पवित्र नेत्र में से करूणा की वर्षा करते है। राजा के मन में विचार आया मैंने भूल की है फिर भी इस महात्मन् ने मुझे पर गुस्सा नहीं किया कोई व्यक्ति यदि भूल करता हो तो उसे प्रसन्नता से माफ कर देना चाहिए। राजा कहता है, मैंने तो सुना है कि मुनि जब गुस्से में आ जाता है सारे नगर को ही भस्म कर देते है मगर आपकी आंखों से तो अभी वर्षा हुई है। महात्मन। मुझे कुछ धर्म सुनाओ। मुनि राजा को मोक्ष की बातें बताता है। राजा मुनि की बातों से खुश हुआ और सोचने लगा ये मुनि बिना संपत्ति के, बिना प्रोपर्टी के कितने आनंदित है। उनके जैसी प्रसन्नता मुझमें नहीं है मैं यात्रा के लिए गाड़ी में बैठा हूं मगर गलत गाड़ी में बैठ गया जिस तरह वैरागी के लिए संसार के मौज मजा वह गलत गाड़ी है। राजा सोचने लगा मैं भी गलत गाड़ी में चढ़ गया हूं महात्मा के पास संसार का स्वरूप जानकर संयम को ग्रहण करता है।उत्तराध्ययन सूत्र में बताया कभी भी किसी को जबरदस्ती नहीं करनी यदि कोई मुसाफिर रास्ता भूल गया हो और वो आपसे सामने से पूछे तो रास्ता जरूर दिखाना। बस परमात्मा के इस मंगलमय मार्ग पर चलकर आप भी मुनि की तरह अन्य लोगों को मांसाहार-संसार छुड़ाकर -अनादिकाल से जो खराब आदत लगी है उसको छोड़कर शीघ्र आत्मा से परमात्मा बनें।कल गच्छाधिपति पूज्यश्री 77 वें वर्ष में प्रवेश करेंगे।पूज्यश्री के जन्म दिन की बधाई पूर्वक आप सभी पूज्यश्री के दीर्घ आयु की प्रार्थना करना तथा भविष्य में इससे भी ज्यादा शासन प्रभावना करे उसकी शुभ कामना करना।