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हर्ष वी पंत
पश्चिम एशिया में इजरायली सुरक्षा बलों और गाजा पट्टी में जड़ें जमाए फलस्तीनी आतंकी संगठन हमास के बीच जारी संघर्ष में इसके बावजूद कोई कमी आती नहीं दिख रही है कि दुनिया भर की ताकतें उसे रोकने की जरूरत जता रही हैं। जमीनी हालात यही बयान कर रहे हैं कि टकराव जल्द नहीं थमेगा। दोनों तरफ से हमले जारी हैं। जहां हमास इजरायल में राकेट हमले कर रहा है, वहीं इजरायली सेना गाजा में हमास के ठिकानों को निशाना बना रही है। इन हमलों में दोनों ओर से लोग मारे गए हैं। अभी तक दो सौ से अधिक लोग फलस्तीन में और करीब दस इजरायल में मारे जा चुके हैं। चूंकि हिंसा जारी हुए दो सप्ताह हो चुके हैं, इसलिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी उसे रोकने के लिए सक्रिय हो गया है, लेकिन यह कहना कठिन है कि उसे जल्द सफलता मिलेगी।
2014 के बाद पहली बार फलस्तीन और इजरायल के बीच ऐसा भीषण संघर्ष देखने को मिल रहा है। इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने साफ कहा है कि हमास के आतंकी ठिकानों और उसके कमांडरों पर चरणबद्ध हमले जारी रहेंगे। उनका उद्देश्य हमास को इतना पस्त करना है, ताकि वह वैसे हमले फिर न कर सके, जैसे इन दिनों कर रहा है। अमेरिका इस संघर्ष में इजरायल का खुलकर समर्थन कर रहा है। अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आए बयान का भी विरोध किया। अमेरिका ने संघर्ष समाप्त करने की आवश्यकता तो जताई, लेकिन यह भी स्पष्ट किया कि इजरायल को अपनी रक्षा करने का अधिकार है। इसी कारण इजरायल जान रहा है कि उसके पास गाजा में अपने मकसद को पूरा करने का समय है, लेकिन उसे ध्यान रखना होगा कि अगर वहां मौंतों की संख्या बढ़ी और खासकर महिलाओं और बच्चों की, तो उसे मिल रहा अंतरराष्ट्रीय समर्थन कम होगा। कम से कम 25 देशों का खुला समर्थन इजरायल को है। इजरायल को यह समर्थन इसलिए मिल रहा है, क्योंकि जहां वह एक वैध एवं संप्रभु राष्ट्र है, वहीं अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजर में हमास एक आतंकी संगठन है। 
फिलहाल संतुलन इजरायल के पक्ष में है, लेकिन यह ज्यादा दिन तक नहीं रह सकता, क्योंकि जैसे-जैसे अंतरराष्ट्रीय मीडिया में गाजा में होने वाली मौतों के बारे में लिखा जाएगा, वैसे-वैसे विश्व जनमत इजरायल के खिलाफ होता जाएगा। जाहिर है कि इजरायल को गाजा में अपने लक्ष्य जल्द पूरे करने होंगे। भले ही इजरायल के पास अंतरराष्ट्रीय समर्थन की कमी न हो, लेकिन वह लंबे समय तक नहीं रह सकता। हालांकि इजरायल का यह कहना है कि गाजा में हमलों के वक्त इसका ध्यान रखा जा रहा है कि नागरिक आबादी को क्षति न पहुंचे, लेकिन बावजूद इसके दुनिया भर में इस संघर्ष को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है। 
हमास और इजरायल के बीच संघर्ष दुनिया के अन्य देशों के साथ-साथ भारत के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा है। इस संबंध में भारत ने कई पहलुओं पर गौर करने के बाद अपना बयान दिया। भारत ने गाजा से इजरायल को निशाना बनाकर हमास द्वारा किए गए हमलों का कड़ा विरोध किया, लेकिन इसके साथ ही फलस्तीन का समर्थन भी किया। भारत के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह न केवल इजरायल और फलस्तीन के संबंधों में स्थायित्व लाने की कोशिश करे, बल्कि इजरायल और अरब देशों के साथ अपने रिश्तों को बरकरार रखे। दरअसल भारत खुद भी पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद का शिकार है। इसे देखते हुए उसे यह स्वीकार नहीं हो सकता कि कोई आतंकी संगठन इजरायल को निशाना बनाए। हमास के एक राकेट हमले में केरल की नर्स सौम्या संतोष की मौत की वजह से भी भारत के लिए यह जरूरी हो गया था कि वह दुनिया के सामने अपना स्पष्ट मत रखे। भारत ने अपने बयान में इजरायल और फलस्तीन सरकार के बीच सीधा संवाद करने की बात कही है। 
यह उल्लेखनीय है कि भारत के इजरायल और अरब देशों, दोनों के साथ अच्छे संबंध हैं। पिछले कुछ वर्षों में मोदी सरकार अपनी इजरायल और फलस्तीन नीति में काफी स्पष्टता लाई है। इसका फायदा भारत को मिल रहा है। इससे भारत इजरायल के साथ-साथ अरब देशों के साथ अपने हितों को साध पाया है। जैसे भारत की इजरायल को लेकर हिचक टूटी, उसी तरह अरब देश भी अब इजरायल से अपने संबंध सुधारने में लगे हुए हैं। इसका भी फायदा भारत को मिल रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए भारत ने इजरायल और फलस्तीन के साथ अपने संबंधों में संतुलन लाने की कोशिश की है। भारत ने हमास के राकेट हमलों का विरोध कर दुनिया को यही बताया कि वह आतंकवाद का कभी समर्थन नहीं करेगा। इसी के साथ भारत ने यह भी जाहिर किया कि इस समस्या का स्थायी हल निकलना जरूरी है। इससे पश्चिम एशिया की कई समस्याओं का भी समाधान हो सकेगा। वास्तव में इस संघर्ष को लेकर भारत का जो रुख है, वह आतंकवाद के खिलाफ और पश्चिम एशिया में शांति और स्थिरता कायम करने को लेकर है।
चूंकि भारत या कोई और देश अपने स्तर पर इस संघर्ष को बंद नहीं करा सकता, इसलिए दोनों पक्षों को यह संदेश देना जरूरी है कि टकराव से समस्या का समाधान नहीं निकलने वाला। दुनिया को हमास जैसे आतंकी संगठनों को यह कड़ा संदेश भी देना होगा कि वह किसी भी संप्रभु राष्ट्र को इस तरह चुनौती नहीं दे सकता। अगर स्थिति हमास के पक्ष में झुक गई तो दुनिया की दुष्ट ताकतों को एक नया रास्ता मिल जाएगा। यदि इजरायल ने अपनी सैन्य ताकत के बल पर स्थिति को अपने पक्ष में कर लिया तो दुनिया को यह संदेश जाएगा कि हमास जैसे आतंकी संगठन एक संप्रभु राष्ट्र को चुनौती नहीं दे सकते। 
एक संप्रभु राष्ट्र के पास ऐसे विकल्प होने ही चाहिए कि वे आतंकी ताकतों सबक सिखा सकें। मौजूदा लड़ाई में दोनों तरफ काफी नुकसान हो रहा है, लेकिन इसके दूरगामी नतीजे निकलने की संभावना है। ये नतीजे न सिर्फ इजरायल और हमास के लिए, बल्कि वैश्विक आतंकी संगठनों, वैश्विक लोकतंत्र और दूसरे अंतरराष्ट्रीय संगठनों के लिए भी मायने रखेंगे।