अहमदाबाद।दुनिया का हरेक मानवी किसी न किसी प्रकार से जीवन में आगे बढऩे की सोचता है। जीवन में आगे बढऩा हो तो पराक्रम करना ही पड़ेगा। सम्यक्त्व ही सबसे बड़ा पराक्रम है। कहते है सम्यक्त्व के पराक्रम से संवेग निर्वेद-धर्मश्रद्धा-गुरू तथा साधर्मिकों की सेवा-आलोचना निंदा एवं गर्हा से जीव को क्या फल मिलता है उसके बारे में अब तक जाना। आज हम छह आवश्यक में से सामायिक चउविसत्थो एवं वंदन के बारे में जानेंगे। शास्त्रकार महर्षि फरमाते है सामायिक जैन श्रावक एवं साधुओं के लिए बड़ी से बड़ी साधना है। विशेष श्रावकों को अड़तालीस मिनिट के लिए संसार के व्यापारों से दूर रहकर आत्मा में एकाग्र बनना वह सामायिक है।
अहमदाबाद में बिराजित प्रखर प्रवचनकार, संत मनीषि, गच्छाधिपति प.पू.आ.देव राजयश सूरीश्वरजी महाराजा श्रोताजनों को संबोधित करते हुए फरमाते है जब हम आत्मा में एकाग्र बन जाते है तब बाहर की पाप प्रवृत्ति हमसे दूर हो जाती है। सामायिक का अर्थ ही समता का लाभ है। जब हममें समता आती है तब तमाम पाप के मार्ग बंद हो जाते है।
एक भाई हमारे पास आए हमने उनको कहा, भाई! रिटायर्ड हो गए हो कुछ धार्मिक पुस्तकों का वाचन करो। साहेब! दिल तो करता है पुस्तकों का वाचन करूं मगर कोई न कोई घर से फरमाईश आती है और मैं डिस्टर्व हो जाता हूं कभी पत्नी की फरमाईश आती है घर में सब्जी नहीं तो सब्जी की फरमाईश आती है घर में सब्जी नहीं तो सब्जी ले आओ तो कभी मेरे पोते कहते है दादा --फट गए है तो दादा बाजार से ले आओं इस तरह से मुझे बार बार डिस्टर्व करते है। तब हमने उनसे कहां आपको इन सभी से बचना है तो आपको आराधना का एक मार्ग दिखाता हूं जिससे आपको कोई डिस्टर्व नहीं करेगा। 48 मिनिट के लिए सामायिक लेकर बैठक जाना कोई आपको कुछ नहीं कह सकेगा। साहेब आपके कहने से मैंने सामायिक चालु की। घर वालों ने देखा मैं तो सामायिक में हूं इसलिए कुछ भी बोलना ही बंद कर दिया और मुझे भी शांति मिल गई। शास्त्रकार महर्षि फरमाते है पाप प्रवृत्तियों से बचना है सामायिक ले लो। उत्तराध्ययन सूत्र में सामायिक से जीव क्या प्राप्त करता है उसकी समझ देते हुए बताते है सामायिक से जीवन सावध योगों से असम प्रवृत्तियों से विरति को प्राप्त करता है।अब दूसरा आवयक चउविसत्थो यानि चौबीस वीतराग परमात्मा की स्तुति। कितने को लोगस्स सूत्र आता है मगर चौबीस भगवान के नाम पूछो तो कहते है हमें 24 भगवान के नाम नहीं आते है। लोगस्स सूत्र प्राकृत होने से लोगों को समझने में देर लगती है। लोगस्स की तीन गाथा में चौबीस भगवान के नाम आते है। गुरू भगवंत के पास सूत्र के अर्थ जानोंगे भगवान के 24 नाम ख्याल में आ जाएगें। लोगस्स का बराबर ध्यान करेंगे परमात्मा से प्रतिति हो जाएगा। एक एक घंटे की आराधना इन चौबीस भगवंत का नाम लेकर कर सकते हो। कहते है इन चौबीस भगवान की स्तुति से हारे में शक्तियां पैदा होती है। तथा प्रभु से प्रतिति और पाप से भीति पैदा होती है। सम्यक्त्व का पराक्रम करने वाले पाप से डकर, संसार से डरकर प्रभु के प्रति प्रतिति वाले बनते है।
पूज्यश्री फरमाते है चउविसत्थो से परमात्मा की आराधना का लाभ है वंदन से गुरू की आराधना का लाभ है। रास्ते में चलते समय गुरू मिले तो उन्हें सिर झुकाकर नमस्कार करना जघन्य वंदन है उपाश्रय में इच्छकार-अव्भूट्ठिओं पूर्वक साधु को वंदन करना वह मध्यम वंदन है तथा बारह प्रकार की हाथ की क्रिया पूर्वक का वंदन द्वादशावर्त वंदन है। वह भी उत्कृष्ट वंदन है। कितने का गुरूओं का संपर्क अच्छा लगता है मगर उन्हीं लोगों को पूछे कि आपको वंदन का पाठ आता है? तो कहते है नहीं आता। कहते है गुरू को वंदन करने से पुष्य का बंध तो होता ही है साथ ही नीच गोत्र कर्म का बंधन नहीं होता है. नीच गोत्र के बंध से मुक्त होना है तो वंदन का पाठ सिखर नियमित वंदन करते रहना। नीच गोत्र में जन्म लेने वाले लोग जहां भी जाते वहां अन्य लोग उनका तिस्कार करते है एवं अपमान करते है जबकि उच्च गोत्र वाले लोगों का पुण्य कितना प्रबल है से दाक्षिण्य भाव भी प्राप्त होता है। वंदन करना यात्रि गुरू का बहुमान है।
पूज्यश्री फरमाते है आप आपके जीवन में तीन चीज का ख्याल रखना सामायिक से आत्मा की शक्ति के साथ अनुसंधान, चउविसत्थो से परमात्मा के साथ अनुसंधान, वंदन से गुरू तत्वकी शक्ति के साथ अनुसंधान है। ये तीन चीज जिनके जीवन में आ जाए उनके जीवन में शुभ एवं शांति का वातावरण छा जाता है परमात्मा से प्रतिति-पाप से भीति करके शीघ्र आत्मा से परमात्मा बनें।
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