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आज हम बात एक ऐसे मंदिर की कर रहे हैं, जहां हनुमान जी की पूजा उनके मूल स्वरूप में नहीं, बल्कि स्त्री स्वरुप में होती है। कहां है यह मंदिर और इसकी कथा क्या है? आइए जानते हैं इसके बारे में।
आस्था का केंद्र हैं यह हनुमान मंदिर : वैसे तो हमारे देश में हनुमान जी के कई प्रसिद्ध मंदिर हैं, जो अलग-अलग विशेषताओं के लिए अपनी पहचान बनाए हुए हैं। हनुमान जी को संकटमोचन भी कहा जाता है और वे अलग-अलग कारणों से भक्तों के बीच श्रद्धा का केंद्र हैं। जैसे कि उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के लेटे हनुमान जी का मंदिर। वहीं राजस्थान के बालाजी में तो हनुमान जी की कोई भी मूर्ति नहीं है, बल्कि यहां पर एक चट्टान है, जिसमें हनुमान जी की आकृति है और इसी आकृति को हनुमान जी का स्वरुप मान कर पूजा की जाती है।
छत्तीसगढ़ में हनुमान जी का अनोखा मंदिर : आज बात एक ऐसे हनुमान मंदिर कि जिसके बारे में आपने शायद ही पहले कभी सुना होगा। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से करीब 25 किलोमीटर दूर रतनपुर गांव में स्थित है गिरिजाबंध हनुमान जी का प्रसिद्ध मंदिर। यहां हनुमान जी की पूजा स्त्री रूप में की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में स्थापित स्त्री के रूप वाले हनुमान जी की मूर्ति करीब 10 हजार साल पुरानी है और कोई भी भक्त यहां से निराश या खाली हाथ वापस नहीं जाता है।
मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा : मंदिर से जुड़ी कहानियों में बताया जाता है कि पुराने समय में रतनपुर के राजा पृथ्वी देवजू हनुमान जी के भक्त थे। एक बार राजा को कुष्ठ रोग हो गया, जिसकी वजह से राजा अपने जीवन से निराश रहने लगे। एक रात हनुमान जी ने अपने भक्त के सपने में आए और मंदिर का निर्माण कराने का आदेश दिया। साथ ही अपनी प्रतिमा को महामाया कुंड से निकालकर मंदिर में स्थापित करने के लिए कहा। महामाया कुंड से राजा ने मूर्ती लाकर मंदिर में स्थापित की, वो मूर्ती स्त्री के रूप में थी और मंदिर का काम पूरा होने के बाद राजा का रोग भी दूर हो गया।

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