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अहमदाबाद। उत्तराध्ययन सूत्र का सम्यक्त्व पराक्रम अध्ययन भगवती सूत्र को याद दिला देता है, क्योंकि इस सूत्र में अनेक प्रश्न पूछे गए हैं। ठीक इसी तरह भगवती सूत्र में गौतम स्वामी ने भी अनेक प्रश्न पूछे है, जिनका जवाब भगवान महावीर ने सरल शैली में बताया है। इस अध्ययन में जो जो प्रश्न पूछे हैं उन सभी के जवाब ऐसे है कि मानव के मन मस्तिक में प्रवेश करके उनके जीवन का रंग ही बदल देते है। कहते है कोई भी चीज ध्यान से सुने तो उसका असर हमारे जीवन पर पड़े बिना नहीं रहता है। आज का प्रश्न खूब ही सुन्दर है। काल की प्रतिलेखना करना यानि समय का बराबर ख्याल रखना। काल की प्रतिलेखना से जीव क्या प्राप्त करता है? काल की प्रतिलेखना से स्वाध्याय आदि धर्म क्रिया के लिए उपयुक्त समय का ध्यान बराकर रखने से जीवन ज्ञानावरणीय कर्म का क्षय करता है।
अहमदाबाद में बिराजित प्रखर प्रवचनकार, संत मनीषि, गच्छाधिपति प.पू. आ देव राजयश सूरीस्वरजी महाराजा श्रोताजनों को संबोधित करते हुए फरमाते है इस विश्व का जड़ या चेतन ऐसी कोई चीज नहीं जो काल के साथ जुड़ी हुई न हो। हरेक व्यक्ति को समय को समझने की जरूरत है। काल की गति को आगे-पीछे का नया-पुराना पर्याय बताने का कार्य काल का है। काल का कोई रूप नहीं रंग नहीं स्पर्श नहीं स्वाद नहीं फिर भी उसका असर विश्व के तमाम पदार्थ पर पड़ता है। हरेक पदार्थ पर अरुपी ऐसा काल अपना चिरम लगा देता है। आज नये कपड़े पहने है कल वे ही कपड़े पुराने बन जाएगें ये काल का ही प्रभाव है काल के साथ पर्याय में भी चेन्जस आते रहते है इस बात को मानवी यदि अच्छी तरह से समझ जाएगा तो वह सम्यक्त्व पराक्रम से काल पर विषय पा सकता है।
कहते है जो व्यक्ति समय को बराबर समझता है वह व्यक्ति समय पर अपनी मालिकी स्थापित कर सकता है। काल को समय को हम घड़ी के द्वारा जानते है। हमारे शरीर एवं मन में ऐसा तत्व रहा हुआ यदि हम उस पर ध्यान देंगे तो वह काल को अच्छी तरह से समझ पाएगा आको 4:00 बजे उठना है और आप मन को बराबर ऑर्डर करेंगे 4:00 बजे आपकी आंख खुल जाएगी। मन को अेलार्म देते है तो वह बराबर काम करता है। कितने की आदत है सुबह जल्दी उठने के लिए अेलार्म देते है जब सुबह अेलार्म बजता है तो खुद ही उठकर उसे बंद करके सो जाते है और स्वयं झुठे बनते है।
प्रवचन की धारा को आगे बढ़ाते हुए पूज्यश्री फरमाते है जीवन चीज अलग है और जड़ चीज अलग है आप यदि जड़ चीज के साथ सम्यक व्यवहार करोंगे तो वह अच्छी तरह से का करेगा एवं वह ज्यादा समय तक टिकेगा।
यहां पर हरेक चीज की महत्ता है। सामायिक 48 मिनिट की होती है उपयोग के बगैर आप सामायिक में दो घंटे बैठे और आपका ध्यान न रहा तो अतिचार लगेगा। काल ही अरूपी पदार्थ है और आत्मा भी अरूपी पदार्थ है यदि हम अरुपी काल को समझ सकते है उसका अनुभव कर सकते ह तो अरुपी आत्मा को भी समझना ही पड़ेगा। काल अपने जीवन का पल-पल-क्षण-क्षण के साथ जुड़ा है। जीवन वह समय है और समय वह जीवन है ये चीज हमारे दिमाग में बराबर बैठ जाए तो हमें जीवन एवं समय का बराबर सदुपयोग करना आ जाएगा। समय के लिए नियमित रहने वाले ऐसे गांधी जी की मीटिंग में एक भाई पांच मिनिट लेट पड़े। गांधी जी ने उस भाई को कहां, यहां 500 लोग सभा में आपका ईंतजार करके बैठे है और आपने 2500 मिनिट हमारी बिगाड़ी।
पूज्यश्री फरमाते है कोई भी कार्य अच्छी तरह से पार लाना है तो ------एवं----- चाहिए। आराधना में समय का ख्याल जिसे रहता है उसे हर एक चीज का ख्याल रखना चाहिए। आप रोज नवकारशी सूर्योदय के 48 मिनिट बाद करते हो इसी तरह पोरिसी साड्ड पोरिसी के समय का भी ख्याल रखना चाहिए।
जवाबदार लोगों को समय का ख्याल रखना खूब जरूरी है। जो व्यक्ति समय का ख्यालय करके आयोजन करता है उनके कार्य भी योग्य समय पर पूरे एवं सफल होते है दूसरी एक बात का ख्याल रखना है कि आप अपने जीवन में सुख-शांति चाहते हो तो ब्रम्हमुहूत्र्त में उठने का ख्याल करना चाहिए। प्राय: करके सुबह 4.30 से 5.00 बजे का समय ब्रम्हमुहुत्र्त का कहां जाता है। ब्रम्ह याने परमात्मा। परमात्मा को मिलने का समय याने ब्रम्हमुहत्र्त. कहते है ब्रम्हमुहूत्र्त में किया गया जाप-आराधना शीग्र सफल होते है।
बस आप भी समय का ख्याल रखकर सम्यक्त्व पराक्रम से काल पर विजयी मिलाकर शीघ्र आत्मा से परमात्मा बनें।