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जो जन्म लेता है उसे एक न एक दिन इस जगत को छोड़कर जाना ही है
अहमदाबाद। आज वैशाख वद छटू विश्व विख्यात, जगत प्रख्यात प्राय: शाश्वत तीर्थ ऐसे सिद्धाचल की ध्वजारोहण तिथि है। खास तौर से भक्त वर्ग इस ध्वजा पर पालीताणा जाते है मगर इस बार लोक डाऊन के कारण भक्तों की भीड़ खास नहीं होगी। हर बार हजारों लोग अपने व्यस्त कार्यक्रम के बावजूद दादा की यात्रा करके इस ध्वजा में शामिल होते है। आज का दिन कितना पवित्र एवं मंगलकारी दिन है कि जिस तीर्थ पर करोंगे मुनिओं मोक्ष में गए ऐसे पावनकारी तीर्थ की ध्वजा का दिन हमें प्राप्त हुआ है तथा आज ही के दिन गत वर्ष शांत स्वभावी तपस्वी ऐसे प.पू.आ.देव श्री पझयश सूरीश्वरजी महाराजा की स्वर्गारोहण तिथि है। इस महापुरुष ने भी कैसे पवित्रकारी दिन को पसंद किया है।
अहमदाबाद में बिराजित प्रखर प्रवचनकार, संत मनीषि, गच्छाधिपति प.पू.आ.देव राजयश सूरीश्वरजी महाराज श्रोताजनों को संबोधित करते हुए सूरीश्वरजी महाराजा श्रोताजनों को संबोधित करते हुए फरमाते हैं कि जो जन्म लेता है उसे एक न एक दिन इस जगत को छोड़कर जाना ही है। किसी ने एक सुन्दर कृति बनाई है, काम जाना ही है। किसी ने एक सुन्दर कृति बनाई है, काम ऐसा करीयो जैसे धन्ना शा ने किया राठकपुर बनवाके जग में नाम कर दिया। जिस प्रकार धन्ना शा ने राणकपुर बनवाया आज जो भी व्यक्ति राणकपुर जाता है उनकी कलाकारी को याद करता है इसी तरह अरिहंत का नाम लेते है तुरंत ही परोपकार गुण स्मरण में आता है। लब्धि सूरि महाराजा को याद करते है तो गुणानुवाग नेत्र के पटल पर आते है कि उन्होंने अपने जीवन दरम्यान कभी किसी का अवगुण नहीं गया मात्र उनका यहीं कहना था कि हरेक में रहे गुणों को देखों और कभी किसी की निंदा नहीं करना।
आज उन्हीं के परम्परा में आए 2 गुरूदेव विक्रमसूरि महाराजा के शिष्य पू. पझयश सूरीश्वरजी महाराजा जिनकी आज प्रथम पुण्यतिथि है। आज सोला रोड के प्रांगण में गच्छाधिपति की शुभ निश्रा तथा पू.आ.देव अजितयश सूरीश्वरजी महाराजा की उपस्थिति में भव्य गुणानुवाद सभआ का आयोजन किया गया. मानव ने किस प्रकार से कार्य किया उस प्रकार से उसके कार्य की सराहना की जाती है। आज पू. पझयशसूरि महाराजा हमारे बीच नहीं है परंतु उनके गुण वारंवार उनकी याद दिला देता है।
पूज्यश्री ने फरमाया जिस दिन हमने किसी के गुण नहीं गाए वह दिनहमारा बांझ तुल्य है। पझयश सूरि का संसारी नाम कनु भाई-पिता श्री जेचंदभाई पूर्व से ही संस्कारी एवं शासन समर्पित आत्मा। मुंबई मुलुन्द्र निवासी है। कनुभाई पहले से शांत स्वभावी आत्मा। बोलने की आदत खूब कम थी। पूज्यश्री फरमाते है सुखी बनना है तो जितना जरूरी है उतना ही बोलना। पांच वाक्य का दो वाक्य में काम बन जाए उतना ही बोलना।  शार्ट और स्वीट सबको लगे स्वीट। कनुभाई पू्ज्य गुरूदेव विक्रयसूरि जी के शिष्य बनें। वैसे तो उन्होंने अभ्यास खूब किया। ज्ञान-ध्यान-स्वाध्याय सभी में के आगे थे।
विनय वह शासन प्रभावना के लिए सबसे बड़ा गुण कहा गया है। छोटे हो या बड़े सभी को पझयश सूरि म. हाथ जोड़कर ही बात करते थे। बाहर से जब भी वे उपाश्रय में प्रवेश करते अंजलि पूर्वक मत्थएण वंदामि करते हुए ही अंदर आते थे।
शास्त्रकार महर्षि वैयावच्च को अप्रतिपाती गुण बताया है। दूसरे भी अनेक गुण होते है लेकिन वैयावच्च गुण का फल कुछ ज्यादा ही फलदायक है। पूज्यश् वडील जयंतसूरि महाराजा में जो वैयावच्च गुण था वहीं परंपरा पझयशसूरि महाराजा में दिखाई दी। कहते है पझयश सूरि महाराजा ने जयंत सूरि मं.विक्रमसूरि महाराजा की तो वैयावच्च की ही परंतु पूज्यश्री फरमाते है जब माटुंगा में पूज्यश्री की प्रथम पीठिका चल रही थी तब पझयश सूरि महाराजा ने पूज्यश्री की खूब ही भक्ति की। पूज्यश्री ने फरमाया कभी कोई साधु गोचरी गया हो और बिना गोचरी (आहार) लिए वापिस लौटा हो तो गुरूदेव पझयश सूरि महाराजा को गोचरी वहोरने भेजते। जबरदस्त लाभांतराम का क्षय कभी भी किसी भी समय वे गोचरी गए खाली कभी नहीं लौटे। जबरदस्ता पुण्योदय एवं भक्ति गुण। छोटा बड़ा साधु मकान में व्याख्यान अथवा अन्य कार्यों में व्यस्त हो तो पझयश सूरि महाराजा बिना किसी को कहे चूपके से उनका काप पहिलेहण विगेरे क्रिया कर लेते थे।
पूज्यश्री पर जब भी उनका पत्र आता था हर पत्र में एक बात अवश्य लिखी होती हितशिक्षा जरूर देना. वे हमेशा गुरूदेव को कहा करते, मेरा आयुष्य कम है। ये जानकारी होते हुए वे हर हमेशा सावधानी से अपनी आराधना क्रिया में मस्त रहते। एक वर्ष में छूटक 100 उपवास तो वे कर ही लेते थे।
कहते है जब वे देववंदन करते थे एक एक सूत्र खूब ही एकाग्रता से चिंतन पूर्वक बोलते थे वे स्तवन से ज्यादा सूत्र पर अधिक महत्व देते थे। गत वर्ष ही खूब समाधि पूर्वक उनका कालधर्म हुआ। पूज्यश्री फरमाते है उन्होंने सिद्धाचल की ध्वजा का कितना सुन्दर दिन पसंद किया है। बस, आज के दिन गुरूदेव से यही प्रार्थना है वे जहांभी है आशीष बरसाते रहे तथा उनके गुणों का अनुकरण हम सभी भी करें।