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अमिताभ स.
'बहुत दुखद होता है एक डॉक्टर का जाना... क्योंकि उनके न रहने से कई जिंदगियां बचने से वंचित रह जाती हैं।Ó कोरोना से जान गंवाने वाले एक योद्धा डॉक्टर को दी श्रद्धाजंलि का मर्म है कि हर जिंदगी अनमोल है, लेकिन जब एक डॉक्टर जाता है तो 1343 व्यक्तियों के इलाज से वंचित रहने की नौबत आ जाती है।
अकेले भारत में बीते साल कोविड की पहली लहर की चपेट में आने से 748 डॉक्टरों और मध्य मई तक दूसरी लहर में कोरोना संक्रमण से 420 डॉक्टरों की दुखद मौत हुई है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अनुसार इनमें से अस्सी फीसदी डॉक्टरों की उम्र 50 साल से ऊपर थी। सबसे कम उम्र 26 साल के डॉ. अनस मुजाहिद मरने से एक दिन पहले तक दिल्ली के एक सरकारी अस्पताल में कोरोना मरीजों की देखरेख में जुटे रहे। कऱीब सवा साल में 1168 से ज़्यादा डॉक्टरों की मौतें हुईं हैं।
हालात तब इतने बदतर हैं, जब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देश में कुल आबादी के अभी तक महज 1.8 फ़ीसदी लोग ही कोरोना संक्रमित हुए हैं। अफ़सोस की बात है कि कोविड से इतने डॉक्टर दुनिया के किसी और देश में नहीं मरे हैं। जबकि बाकी स्वास्थ्य कर्मियों की मौतों की गिनती बताने वाला कोई आधिकारिक स्रोत नहीं है। मई के किसी एक दिन कोविड पॉजि़टिव के 3,700 नए मरीज़ों में से 290 स्वास्थ्य कर्मी बताए गए थे। जाहिर है कि मृत डॉक्टरों के आंकड़े तो हैं, नर्स या अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के है ही नहीं।
फिर भी, 'द गार्डियनÓ समाचारपत्र की हालिया खबर से अंदाजा लगाया जा सकता है कि बीते साल कोविड की पहली लहर में अमेरिका के 3,607 स्वास्थ्य कर्मियों की मौत हुई थी, जिनमें से सर्वाधिक 32 फीसदी नर्सें थीं। मरने वाले फिजीशयन डॉक्टरों का प्रतिशत 17 था। यही अनुपात भारत में भी स्टीक बैठता है। पिछले दिनों अकेले तमिलनाडु में कोविड से डॉक्टर तो 10 मरे, वहीं नर्स, लैब सहायक, सीटी स्कैन ऑपरेटर वगैरह मिलाकर कुल 43 मौतें हुई हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के मुताबिक मई के हर दिन देश में औसत कऱीब 3,000 लोगों की कोरोना से मौत हुई है, जिनमें से हर रोज कम से कम 20 डॉक्टरों की कोविड संक्रमण से मृत्यु हो रही है। ये डॉक्टर सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों के अलावा मेडिकल कॉलेजों में कार्यरत हैं। हालांकि डॉक्टरों की वास्तविक मौतें आंकडों से कहीं ज्यादा होने का अंदेशा है क्योंकि करीब साढ़े 3 लाख डॉक्टर ही इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सदस्य हैं।
'द न्यूयॉर्क टाइम्सÓ की रिपोर्ट विश्व स्वास्थ्य संगठन के हवाले से खुलासा करती है कि भारत में महामारी से जानी नुकसान सरकारी आंकडों से कहीं अधिक है। गौरतलब है कि हालात तब इतने बदतर हुए, जब देश के 66 फीसदी डॉक्टरों और मेडिकल स्टॉफ को वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी हैं। सरकारें डॉक्टरों, नर्सों और सभी स्वास्थ्य कर्मियों की सेवाओं को ताली-थाली और फूल बरसाने जैसे शगूफ़ों से कहने और दिखाने भर के सम्मान से कोरोना योद्धाओं को नवाज़ती तो हैं लेकिन कोविड की जंग में शहीद स्वास्थ्य कर्मियों के परिवारों को घोषित मुआवज़ा, सम्मान या सहायता राशि देने में ढीली चाल से काम करती हैं। न ही संक्रमित स्वास्थ्य कर्मियों के इलाज के लिए अलग से कोई व्यवस्था है। कुछ तो उन अस्पतालों में दाखिल हो जाते हैं, जहां वे काम करते हैं, लेकिन सब के पास ऐसी सुविधा नहीं होती। बीते साल केंद्र सरकार ने 'प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज : इंश्योरेंस स्कीम फॉर हेल्थ वर्कर्स फाइटिंग कोविडÓ के अंतर्गत कोविड से मरने वाले स्वास्थ्य कर्मियों के परिजनों को 50-50 लाख रुपये के मुआवज़े की घोषणा तो की थी लेकिन अभी तक कोविड की पहली लहर में जानें गंवा चुके सभी डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों के परिजनों को मुआवज़ा या सहायता राशि नहीं मिली है।
विभिन्न राज्यों ने भी कोविड से 'शहीदÓ हुए स्वास्थ्य कर्मियों को अलग-अलग मुआवजे का ऐलान किया था। भुगतान में ज्यादातर राज्यों का रवैया भी केंद्र से बेहतर नहीं है। 'द हिंदूÓ अखबार की खबर के मुताबिक़ विगत 15 मई तक बिहार में कोरोना से मरे 120 डॉक्टरों में से केवल एक के परिवार को केंद्र से सम्मान राशि मिली है। जबकि दिल्ली के मुख्यमंत्री दूसरी लहर में शहीद हुए डॉक्टरों के घर-घर जाकर, एक-एक करोड़ रुपये की सहायता राशि सौंपने की शुरुआत कर चुके हैं। सरकार ने लोकसभा में बताया था कि देश भर में, जनवरी 2021 तक कोविड से जान गंवा चुके 174 डॉक्टरों, 116 नर्सों और 199 हेल्थ वर्कर्स के परिवार ने ही मुआवज़े या सम्मान राशि की मांग की है। हालांकि इस स्कीम के तहत कुल 22.12 लाख स्वास्थ्य कर्मी पंजीकृत हैं। उधर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का मत है कि केंद्र सरकार को 736 डॉक्टरों की पहली लिस्ट सौंपी हुई है, लेकिन विगत अप्रैल तक केवल 168 डॉक्टरों के परिजनों को ही राशि मिली है। नि:संदेह डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों से बड़ी कोई सेवा नहीं है। उनके परिजनों को सम्मान राशि के भुगतान में देरी अमानवीय है।