शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष के प्रत्येक ग्यारहवीं तिथि को एकादशी कहते हैं। अपरा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा पूरे श्रद्धाभाव से की जाती है। एकादशी भगवान विष्णु को बेहद पंसद है। ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष में पडऩे वाले एकादशी तिथि को अपरा एकादशी या फिर अजला एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष अपरा एकादशी 06 जून दिन रविवार को है। आइए जानते हैं कि अपरा एकादशी की पूजा किस विधि से की जाती है।
अपरा एकादशी पूजा विधि : अपरा एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि कार्यों से निवृत हो लें। इसके बाद पूजा स्थल पर भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें। अपरा एकादशी व्रत का संकल्प लेकर विष्णु जी से व्रत के सफलतापूर्वक पूरा होने की प्रार्थना करें। उसके बाद उनको रोली, अक्षत्, धूप, दीप, नौवेद्य, चंदन, श्वेत पुष्प आदि अर्पित करें। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का एक माला यानी 108 बार जप करें। श्रीहरि को फलों का भोग लगाएं तथा पूजा में तुलसी का पत्ता अवश्य अर्पित करें। पूजा के अंत में धूप-दीप जलाकर भगवान विष्णु की आरती करें। पूजा के दौरान अपरा एकादशी व्रत की कथा का श्रवण करें। दिनभर फलाहार करें। शाम को पुन: भगवान की आरती करें और फलाहार करें। अगले दिन यानी द्वादशी तिथि को व्रत का पारण उसे पूरा करें। पारण से पूर्व गरीब और ब्राह्मण को भोजन कराएं और यथाशक्ति दान-दक्षिणा देकर विदा करें।
अपरा एकादशी को इन चीजों से दूर रहें : अपरा एकादशी के दिन कांसे के बर्तन में भोजन करने की मनाही है। इसके अलावा एकादशी के दिन चावल नहीं खान चाहिए क्योंकि इसे व्रत में वर्जित माना गया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन चावल का त्याग करने से व्रत का दोगुना फल मिलता है।एकादशी के व्रत में लहसुन, प्याज और मसूर की दाल के सेवन से बचें।
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