टीकाकरण नीति में बदलाव करके पहले रजिस्ट्रेशन कराने की अनिवार्यता खत्म कर दी गई फिर भी इसकी चिंता करनी होगी कि गरीब और ग्रामीण टीकाकरण से वंचित न रह जाएं। इसी के साथ इसके लिए भी सजग रहना होगा कि टीकाकरण अभियान किसी अफवाह का शिकार न बनने पाए।
नई टीकाकरण नीति पर अमल के पहले ही दिन 83 लाख से अधिक टीके लगाए जाना एक बड़ी उपलब्धि है। यह एक ऐसी शानदार कामयाबी है, जो एक ओर जहां टीकाकरण में लगे स्वास्थ्य कर्मियों को उत्साह प्रदान करेगी, वहीं आम लोगों को भी टीका लगवाने के लिए प्रेरित करेगी। नि:संदेह यह कामयाबी इसलिए हासिल हो सकी, क्योंकि केंद्र और राज्य सरकारों ने मिलकर काम किया। जहां केंद्र सरकार ने राज्यों को अधिक संख्या में मुफ्त टीके उपलब्ध कराए, वहीं राज्यों ने उन्हें लगाने के लिए अपने स्वास्थ्य तंत्र को सजग एवं सक्रिय किया। केंद्र और राज्यों ने अपनी प्रतिबद्धता से देश की क्षमता का जो उल्लेखनीय प्रदर्शन किया, उसके लिए वे बधाई के पात्र हैं। केंद्र और राज्यों के बीच यह तालमेल कायम रहना चाहिए, ताकि कोविड महामारी से लड़ी जा रही कठिन लड़ाई को आसान बनाया जा सके। अब यह कहा जा सकता है कि आने वाले दिनों में प्रतिदिन एक करोड़ या इससे भी अधिक टीके लगाए जा सकें। एक समय कठिन दिखने वाला यह लक्ष्य अब कहीं अधिक आसान नजर आने लगा है।
टीकाकरण अभियान को जो अप्रत्याशित गति मिली, उससे यह स्पष्ट है कि टीकाकरण नीति में बदलाव अपेक्षित था। उचित यह होगा कि केंद्र और राज्य सरकारें यह सुनिश्चित करें कि गत दिवस टीका लगाने के मामले में जो बड़ा लक्ष्य हासिल किया गया, वह कायम रहे। यह संभव है, क्योंकि अभी करीब 67 हजार टीकाकरण केंद्र ही हैं। इनमें निजी क्षेत्र के टीकाकरण केंद्र दो हजार के लगभग ही हैं। स्पष्ट है कि इसके लिए प्रयास किए जाने चाहिए कि निजी क्षेत्र के टीकाकरण केंद्र और बढ़ें। इसकी गुंजाइश भी है, क्योंकि टीका बनाने वाली कंपनियों के कुल उत्पादन का 25 प्रतिशत टीके निजी अस्पताल खरीद रहे हैं। टीकाकरण की रफ्तार जहां तक संभव हो सके, वहां तक बढ़ाना इसलिए आवश्यक है, क्योंकि एक तो संक्रमण की तीसरी लहर का खतरा बरकरार है और दूसरे कुछ लोग अभी भी ऐसे हैं, जो टीका लगवाने से हिचक रहे हैं। संक्रमण की तीसरी लहर का सही तरह मुकाबला तभी संभव होगा, जब उसके आने के पहले ज्यादा से ज्यादा लोगों को टीका लग जाए। अभी करीब 28 करोड़ लोगों को टीके लगे हैं। कोशिश यह होनी चाहिए कि जब तक तीसरी लहर आए, तब तक इतने ही और लोगों को टीके लग जाएं। यह अच्छा है कि टीकाकरण नीति में बदलाव करके पहले रजिस्ट्रेशन कराने की अनिवार्यता खत्म कर दी गई, फिर भी इसकी चिंता करनी होगी कि गरीब और ग्रामीण टीकाकरण से वंचित न रह जाएं। इसी के साथ इसके लिए भी सजग रहना होगा कि टीकाकरण अभियान किसी अफवाह का शिकार न बनने पाए।
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