अहमदाबाद। दुनिया में कितने लोग अंदर से कुछ अलग है एवं बाहर का दिखाना कुछ अलग तरीके से लोगों को दिखाने के लिए करते हैं। कहते है जो व्यक्ति अच्छा कार्य करता है दुनिया उन्हें मान-सम्मान देती है उनका आदर करती है एवं उन्हें चाहती भी है। भले वह व्यक्ति अंदर से अच्छा नहीं परंतु लोगों को दिखाने के लिए वह लोगों की नजर में धूल झौंककर अच्छा दिखाने का प्रयत्न करता है। खुद समझता है कि मैं अच्छा नहीं हूं लेकिन लोगों को अच्छा दिखाने का प्रयत्न कर रहा है। उसे ये बात हमेशा खटकती रहती है कि मैं दूसरों को भूरख बनाता हूं और मेरी पोल कभी न कभी खुलेगी ही।
अहमदाबाद में बिराजित प्रखर प्रवचनकार, संत मनीषि, गच्छाधिपति प.पू.आ. देव राजयश सूरीश्वरजी महाराजा श्रोताजनों को संबोधित करते हुए फरमाते है आज के अध्ययन का प्रश्न है ऋजुता से जीव क्या प्राप्त करता है? ऋजुता से जीव काय की सरलता, भाव (मन) की सरलता, भाषा की सरलता एवं अविसंवाद (अवंचकता) को प्राप्त करता है।
किसी अंग्रेजी चिंतक ने कहा एक व्यक्ति को कुछ दिनों तक मूर्ख बना सकते है। कुछ लोगों को थोड़े समय तक मूर्ख बना सकते है मगर पूरी दुनिया की जिंदगी भर मूर्ख नहीं बना सकते क्योंकि एक कहावत है भगवान के घर देर है अंधेर नहीं पाप का घंडा कभी न कभी फूटता ही है। जब पाप का घड़ा फूटता है तब वह व्यक्ति लोगों की नजर में मायावी कहलाता है और उस मायावी को लोग धिक्कार एवं तिरस्कार की नजर से देखते है। इस धिक्कार एवं तिरस्कार से मायावी को भंयकर आत्र्तध्यान होता है। तथा वह लोगं की नजर से भी गिर जाता है। उस मायावी के ऊपर का भाव भी कम हो जाता वह तो झूठा है। लोग उस पर विश्वास करना छोड़ देते है। शास्त्रकार महर्षि फरमाते है आप कोई भी कार्य नियम एवं नीति पूर्वक करोंगे तो आपको किसी से कुछ छुपाना नहीं पड़ेगा। जो है उससे विपरीत बताना वह माया-झूठा एवं कपट ही है।
पूज्यश्री फरमाते है महान कवि उदयरत्न ने क्रोध-मान एवं लोभ की सज्झाय बनाई परंतु जिस तरह माया की सज्झाय में बताया माया मां मिथ्यात्व वसे। आप थोड़ी भी माया करोंगे मिथ्यात्व गुणस्थापक में चले जाओंगे। जो व्यक्ति सरल होता है वह कभी झूट नहीं बोलता है तता माया भी नहीं करता है ऐसे व्यक्ति को कभी मिथ्यात्व में नहीं जाना पड़ता है।
सरल मानवी काया से भी सरल ही होता है। कुछ वर्षों पूर्व की बात है जब हम नूतन दीक्षित थे। उस समय एक भाई रोज वंदन करते आते थे। एक दिन वे उपाश्रय में आए। हमने तो उन्हें पहचाना नहीं? और वे वंदन करके चले गए। हमारे पास उनका कोई मित्र बैठा था साहेब! इन्हें पहचाना नहीं? हमने कहां कहां नहीं। अरे साहेब! आपको रोज वंदन करने सफेद बाल वाले भाई आते थे ना, ये वहीं भाई है। साहेब! आप इस उपाश्रय की चोर दिवालों में रहते हो इसीलिए आपको दुनिया की कुछ खबरे नहीं है। साहेब! इस भाई ने कल ही सफेद को कलप करवाया है इसे हम हमारी भाषा में डाई कहते है।हमने इस बात की जांच की कि उन्होंने डाई क्या करवाया। तब कारण पता चला कि उन्हें बूढ़ापा अच्छा नहीं लगता है अपनी उम्र की छूपनाने के लिए ही डाई करवाया। अब तो एक नई बात आई है कि चेहरे की झुरियां से व्यक्ति की उम्र का ख्याल आता है इसलिए आजकल के युवान-युवति अपने चेहरे की झुरियां को दूर करने मशीन से झुरियां खींचवाकर युवा दिखाने की माया करते है।
कहते है जिसमें सरलता है ऐसा वृद्ध व्यक्ति जो उम्र है सो बताता है। काया के लिए कुछ नहीं करता है इसी तरह भाषा में भी सरलता रखना है जैसा विचारा वैसा ही बोलता है। जो व्यक्ति मन-वचन-माया इन तीनों में समान (सरलता) रहता है वह व्यक्ति इस पृथ्वी पर चलता हुआ साक्षात् भगवान है। चाहे उस व्यक्ति ने कभी अपने जीवन में मासक्षमण का तप किया न हो, चाहे उसने अपनी जिंदगी दौरान कभी दान भी नहीं दिया हो तथा चाहे उस व्यक्ति ने अपने जीवन में कभी पर परमात्मा की पूजा भी नहीं की हो फिर भी वह व्यक्ति अपने मन-वचन-काया की सरलता से धर्म को प्राप्त करता है।जीवन में एक बात का ख्याल जरूर करो आप जो है वैसा ही लोगों के सामने पेश आवो फालतू दिखावा न करो सरल बनकर शीघ्र आत्मा से परमात्मा बनें।
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