ऐसा माना जाता है कि शनि साढ़ेसाती के केवल नकारात्मक प्रभाव ही झेलने पड़ते हैं। लेकिन ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक ये धारणा बेहद गलत है। न्यायप्रिय देवता शनि महाराज के बारे में कहा जाता है कि वो लोगों के कर्मों को देखकर उनके फल देते हैं। कहते हैं कि जिस प्रकार व्यक्ति कर्म करता है, ठीक उसी प्रकार के फलों की प्राप्ति उस व्यक्ति को होती है।
हालांकि, ज्यादातर मामलों में शनि साढ़ेसाती की वजह से लोग परेशान रहते हैं। कहा जाता है कि शनिदेव अगर किसी व्यक्ति से नाराज हो तो उसे शनि साढ़ेसाती का प्रकोप और अधिक झेलना पड़ता है। वर्तमान समय में शनि मकर राशि में स्थित हैं और वक्री चाल चल रहे हैं। कहा जाता है कि शनि की उल्टी चाल का सबसे ज्यादा असर शनि साढ़े साती और ढैय्या से पीडि़त लोगों पर पड़ सकता है। जानकारों के मुताबिक 11 अक्टूबर तक शनि वक्री ही रहेंगे।शनि साढ़े साती के तीन चरण: ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि शनि की साढ़े साती तीन चरणों में लोगों को प्रभावित करती है। बताया जाता है कि साढ़े साती की शुरुआत यानी पहले चरण में लोगों की किसी शारीरिक या मानसिक परेशानियों से जूझना पड़ सकता है। वहीं, शनिदेव के प्रकोप के कारण जब लोगों को आर्थिक नुकसान होने लगे तो इसे दूसरा चरण माना जाता है। जबकि आखिरी चरण में शनि पहले की दोनों की स्थिति की भरपाई करते हैं।शनि साढ़े साती का प्रभाव कैसे होगा कम: माना जाता है कि शनि साढ़ेसाती और ढैय्या के दुष्प्रभावों से बचने के लिए शनिवार की शाम या रात के समय पूजा करनी चाहिए। इससे शनि महाराज प्रसन्न होते हैं। शनि के बुरे प्रभाव से व्यक्ति को व्यापार, नौकरी से लेकर वैवाहिक जीवन तक में दिक्कतें आने लगती हैं। लेकिन अगर शनि मजबूत स्थिति में हैं तो ये इससे लोगों के सामने सफलता के रास्ते खुलते हैं।क्या करें दूसरे उपाय: ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि जिस व्यक्ति की राशि में शनि साढ़ेसाती चल रही हो उस व्यक्ति को कुष्ठ रोगियों की सेवा करनी चाहिए।
ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति शनि साढ़ेसाती के दौरान कुष्ठ रोगियों की सेवा करता है शनिदेव उसे परेशान नहीं करते हैं। इसके अलावा, पक्षियों को सात प्रकार का अनाज दान करने से मान्यता है कि शनि साढ़ेसाती का नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है।