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अहमदाबाद। उत्तराध्ययन सूत्र के एक एक शब्द हमारी आत्मा को परम विशुद्ध बनाता है, इसीलिए इस अध्ययन का नाम सम्यक्त्व पराक्रम अध्ययन पड़ा है। आज के अध्ययन का प्रश्न है मान पर विजय प्राप्त करने से जीव क्या प्राप्त करता है? कहते हैं आप किसी के पास मान-सम्मान मांगोंगे, नहीं मिलेगा। आप सम्मान की आशा छोड़ दो। सम्मान पाने की झंखना को छोड़ेंगे मान आपके पीछे आए बगैर नहीं रहेगा। अब तक जो भी महापुरुष हो गए। उन्होंने कभी भी मान की झंखना नहीं की। मान उनके पीछे चला आया, इसीलिए वे प्रसिद्ध हुए।
अहमदाबाद में बिराजित प्रखर प्रवचनकार संत मनीषि, गच्छाधिपति प.पू.आ.देव राजयश सूरीश्वरजी महाराजा श्रोताजनों को संबोधित करते हुए फरमाते है हमारे दिमाग में एक बात बैठ गई है कि मैं किस लिए किसी के सामने झुकूं। हमारे पूर्वजों ने हमारे लिए सुंदर कहावत बनाई नये ते सहू ने गमे। आप कौन? जिसमें नम्रता गुण है। जिसमें जरा सा भी अभियान नहीं। जिनमें ये गुण है उसी में सम्यक्त्व पराक्रम का प्रकटीकरण होता है। हमारी परंपरा के मुताबिक जिन भक्त ऐसा रावण तथा अन्य परंपरा के मुताबिक शिवजी का भक्त ऐसा रावण किस लिए मारा गया? रावण शक्तिशाली था तथा परस्त्री में लम्पट था। पर स्त्री में लम्पट ऐसा रावण यदि चाहता तो वह सीता के साथ भोग सुख किसी भी प्रकार से भोग लेता परंतु उसके मन में एक बात खट की कि जंगल में भ्रमण करने वाला राम यदि सीता को अपने साथ ले जा सकता है तो मैं तो उससे भी ग्रेट हुं। मैं भी सीता को अपने साथ ले जा सकता हूं ये अभियान उसके दिल में आया और वह इस अभियान के कारम युद्ध के मैदान में सीता को उठाकर ले जाने के कारण मारा गया। पूज्यश्री फरमाते है रावण में नम्रता होती, किसी का मान सम्मान देखकर यदि वह खुश हो जाता तो उसे भी मान सम्मान मिले बिना नहीं रहता। अक्सर कितने लोगों को किसी का मान-सम्मान देखकर पहले तो आंखे जलती है फिर ह्रदय जलता है और दीप में विचार करने से आत्मा के गुणों भी जलने लगते है। शास्त्रकार महर्षि फरमाते है इस मान मिलाने की इच्छा से पैदा हुई ईष्र्या आंखो में आग लगाती है और अपनी आत्मा में भी आग लगाती है। अरे! कोई कहना है ये तो गुंडा है। अयोग्य व्यक्ति है लोगों को उल्लू बनाता है फिर भी लोग रसे मान देते है। किसी को मान मिलता है उसमें अपना क्या जाता है? किसी को भी मान खुद के पुण्य के बगैर नहीं मिलता है। फलाणे व्यक्ति को मान मिला उसमें अपने को क्यों जलना? पूज्यश्री फरमाते है इन सभी सवालों का जवाब अपनी अंतर आत्मा को जाकर पूछेंगे तो जवाब मिलेगा। सर्टिफिकेट मैं ही इस मान के लायकू हूं। आप यदि इस मान के लायक होते तो संसार स्वयं ही तुम्हारी महत्ता करता। ही इस नॉट विजविंग किसी के पास मांगने नहीं जाना, लोग अपने आप तुम्हारे कार्य को देखकर आईएम ओनली विजविंग देते है मान देते है। हम लोगों के आगे बड़ा बनने का प्रयत्न करते है हमें बडप्पन चाहिए। हम मान मिलाने के लिए क्या कुछ नहीं करते है। पूज्यों के पास से दृष्टांत सुना है एक जमाने में गांव के अंदर जो भी व्यक्ति करोड़पति बनता राजा की तरफ से उसके घर की छत्त पर धजा फरकारई जाती थी। एक बार चाचा भत्तीजे के बीच में बात हुई। भत्तीजे ने चाचाजी से कहा, चाचाजी 84 लाख इकट्ठे हो गए है अब एक करोड़ में सिर्फ 16 लाख बाकी है। यदि मैं 16 लाख मिला लूं तो चाचा मेरे घर के ऊपर भी धजा फरकेगी। चाचा से पूछा, भतीजे! इससे मुझे क्या फायदा? तब भत्तीजे ने कहा, मामा-काका के घर पर धजा फरक रही है तो मैं क्यूं बाकी रहूं। भत्तीजे ने रात दिन मेहनत करके किसी भी प्रकार से 16 लाख रूपिये इकट्ठे किए। चाचा के घर जाकर करोड़ रूपिये इकट्ठे होने की बात की। धजा फरकाना है ये भी बात रखी। चाचा ने खूब समझाया मगर वे माने नहीं। राजा को समाचार मिले। राजा के आदमी कोटि ध्वज लाकर भत्तीजे के घर पर फरर्का। कुछ समय बीता। राज्य पर शत्रु का आक्रमण हुआ। राजा ने ऐलान किया युद्ध के लिए पैसों की जरूरत है जिसके घर पर कोटि ध्वज चढ़ी है उन लोगों को कंपलसरी 50 लाख रूपिये देने पड़ेंगे। यह बात सुनकरभत्तीजा पछताया और दु:खी हुआ। पूज्यश्री फरमाते है मान मिलाने वालों की ऐसी ही बूरी दशा होती है।
दुनिया का सबसे बड़ा श्रीमंत बीई202 है। दो सौ अबज का मालिक है। वह व्यक्ति खाना खाने के बाद अपने हाथों अपनी प्लेट की धूलाई करता है उसका उसके अपमान जनक नहीं लगता है। खुद का काम खुद को करने में शर्म किस बात की आती है।नम्रता से जीव जीने का लाभ लेना है अब तक मान से जीवन जीया कितनी बार फंसना हुआ अब अपनी नाम को बदलो मान में फंसने के बदले हमें मान की आशा रखे बगैर इस संसार सागर से तिर जाना है। इस इतनी बात अपने ह्रदय में बिठाकर परमात्मा के प्रति कृतज्ञ बनकर शीघ्र आत्मा से परमात्मा बनें।