ईंधन की कीमतें बहुत संवेदनशील होती हैं, लेकिन इन दिनों उनकी ओर से सरकारें थोड़ी उदासीन हो गई हैं। नतीजा सबके सामने है। राष्ट्रीय राजधानी में पेट्रोल की कीमतें मंगलवार को 35 पैसे की बढ़ोतरी के साथ ही 100 रुपये के आंकड़े से ऊपर पहुंच गईं। कीमतों में संशोधन के बाद पेट्रोल दिल्ली में 100.21 रुपये प्रति लीटर पर बिकने लगा, जबकि डीजल 89.53 रुपये प्रति लीटर पर बेचा जा रहा था। दिल्ली के साथ ही कोलकाता में भी पेट्रोल की कीमत 100 रुपये का आंकड़ा पार कर गई है। कोलकाता में पेट्रोल 100.19 रुपये प्रति लीटर पर बिक रहा है। डीजल की कीमत 92.44 रुपये प्रति लीटर है। मुंबई में पेट्रोल प्रति लीटर 106 रुपये के पार बिक रहा है, जबकि डीजल 97.08 रुपये प्रति लीटर के पार। चेन्नई में भी पेट्रोल और डीजल क्रमश: 101 रुपये और 94.08 रुपये प्रति लीटर के पार बिक रहा है। अब हम यह मान सकते हैं कि भारतीय लोग पेट्रोल के लिए प्रति लीटर 100 रुपये से ज्यादा चुकाने लगे हैं। आज से लगभग 18 साल पहले भारत में लोग प्रति लीटर महज 33 रुपये खर्च करते थे, आज उससे लगभग तीन गुना अधिक कीमत अदा कर रहे हैं, तो आधुनिक जीवन में पेट्रोल के बढ़ते महत्व को समझा जा सकता है।
पेट्रोल हमारे देश में केवल ईंधन का स्रोत नहीं है, यह सरकारों के लिए कमाई का भी बड़ा स्रोत है। इस पर न केवल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उतार-चढ़ाव का असर पड़ता है, बल्कि घरेलू अर्थव्यवस्था और राजनीति भी इस पर असर डालती है। कोरोना के समय जब सरकारों की कमाई घटी है, तब पेट्रोल और डीजल से सरकारों की आशा बहुत बढ़ गई है। लोगों को भी यह ध्यान रखना चाहिए कि वे जो कीमत चुका रहे हैं, वह केवल ईंधन की कीमत नहीं, बल्कि वे देश के राजस्व में भी योगदान दे रहे हैं। क्या इन कीमतों को नए नजरिए से देखने की शुरुआत कर देनी चाहिए? युवाओं का विकासशील देश कोरोना की वजह से आर्थिक आपदा से गुजर रहा है। हम गौर कर सकते हैं कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों का बढऩा आज बड़ा राजनीतिक विषय नहीं है। इस मद में अर्जित हो रहा राजस्व न केवल केंद्र सरकार, बल्कि राज्य सरकारों के भी खजाने में जाएगा।
भारत ही नहीं, दूसरे देशों में भी पेट्रोल को कमाई बढ़ाने के स्रोत के रूप में देखा जा रहा है। पिछले महीने के अंत में पाकिस्तान में पेट्रोल की कीमत में 23 रुपये और डीजल की कीमत में 20 रुपये की बढ़ोतरी एकबारगी ही कर दी गई। पाकिस्तान में भी वहां की मुद्रा के हिसाब पेट्रोल की कीमत तीन अंकों में पहुंच गई है। भारत के पड़ोसी देशों में पेट्रोल और डीजल की कीमतें अपेक्षाकृत कम हैं, जिसकी चर्चा लोग अक्सर करते हैं। बहरहाल, भारत में 4 मई के बाद से ईंधन की कीमतों में लगातार ऊपर की ओर रुझान बना हुआ है। साल 2021 में अब तक पेट्रोल की कीमतों में करीब 15 फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है। वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों और विदेशी विनिमय दरों में उतार-चढ़ाव की पृष्ठभूमि में ईंधन की कीमतों में वृद्धि हुई है। हालांकि, इसमें सबसे अधिक प्रभावी कारक कर की उच्च दर रही है। केंद्र और राज्य सरकारें चाहें, तो अपने करों में कमी करके उपभोक्ताओं को कुछ राहत दे सकती हैं। खासकर, डीजल की कीमतों को संभालना जरूरी है, ताकि महंगाई और ज्यादा न बढ़े।
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