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अहमदाबाद। मनुष्य जन्म को पाने के बाद जिन्होंने जिनशासन को पाया है उनका आनंद अपरंपार है। जैन शासन की जिन्हें उपलब्धि हो गई वे अपने आनंद को अभिव्यक्त किए बिना नहीं रहते है।
अहमदाबाद में बिराजित प्रखर प्रवचनकार संत मनीषि, गच्छाधिपति प.पू.आ.देव राजयश सूरीश्वरजी महाराजा श्रोताजनों को संबोधित करते हुए फरमाते है करोड़पति हो या कोई मल्टी मिलियनेयर हो किसी मार्ग से वह पसार हो रहा है उस समय मार्ग में उसे 1000 की नोटर नीचे पड़ी हुई मिले तो वह तुरंत उसे उठा लेगा। अपार संपत्ति है फिर भी उसे उसमें संतोष नहीं है। कहते है दिन का अंत रात है। समुद्र का अंत किनारा है किन्तु लोभ एवं तृष्ठा का कोई अंत नहीं है। मानव के पास इतना कुछ होने के बाद भी उसे रास्ते पर मिली हुई चीज को उठाने का मन होता है क्योंकि वह चीज कीमती है। स्वभाविक ही उसके जीव में बदलाव आता है। रास्ते पर पड़ी हुई हजार रुपए की नोट को लेने के लिए किसी को कहना नहीं पड़ता है। ऑटोमेटिक भाव हुआ और उठा लिया। गुरू भगवंत का अपने प्रांगण में आने का तय हुआ हो तब आप अपने मन को - करके तैयार करते हो सुबह जल्दी उठना है और टाईम करके तैयार करते हो सुबह जल्दी उठना है और टाईम पर कार्यक्रम में भाग लेना है। पूज्यश्री फरमाते है जिस तरह कुछ काम करना हो तो नींद को अंदर करके उस काम को पूरा करके रहते तो इसी तरह मूल्यवान् ऐसा परमात्मा का शासन हमें मिला है हम जिस तरह से चाहेंगे उस तरह से जीवन बनाकर इस मानव जीवन को सार्थक करना है। भगवान का नाम लेने में आनंद आता है वैसे खुद का नाम लेने में भी आनंद बिजनेस जोरदार चलता है। बाप बीमार है उनकी सेवा में लगकर धंधे को गौण किया हो जीवन कृतकृत्य हो गया। आप जहां काम करते हो वहीं का कोई आदमी आपका बूरा करता हो। वह आदमी करोड़पति बन गया कुछ ही दिनों के बाद उसकी बूरा समय आया करोड़पति बन गया हो उसका बाप गुजर गया और आप हमदर्दी के लिए उसके घर जाते हो उसे आश्वासन देते हो अध में सफलं जन्म आज मेरा जन्म सफल हुआ। कोई कितना भी आपका बूरा करे आपके मन पर उसका असर नहीं लाना चाहिए। अच्छा काम किया तो अपना नाम लेने में भी हमें आनंद आता है।
एक बाद हैदराबाद जाना हुआ। कोई भाई हमें विनंति करके अस्पताल ले गए, अपरिचित व्यक्ति थे। हम भाई को मांगलिक सुनाकर आए। दो दिन में वे भाई स्वस्थ हुए। किसी अन्य परिचित के घर जाना हुआ उन्होंने कहा, साहेब! आप फालतु ऐसे नकाये भाई को मांगलिक सुनाने गए। आपको पता नहीं। वे भाई उसी को मांगलिक सुनाना व्यर्थ है। हमने उस भाई को कहा, कभी तो उसके जीवन में सुधार आएगा और वह ये बूरी आदत छोड़ेगा। किसी ने कहा है, कितने लोग आते है तो बहार आती है कितने लोग जाते है तो भी बहार आती है। कितने चालबाज होते है लोग उसे देखकर यही कहते है ये आदमी खराब है कब यहां उसे देखकर यही कहते है ये आदमी खराब है कब यहां से जाए। पूज्यश्री फरमाते है आप दुनिया का ध्यान रखो के नहीं, आपसे अट्ठाई हो सके के नहीं, आपसे करोड़ों का धान हो सके के नहीं मगर सच्चाई के पथ पर जरूर चलना है। आप जो भी क्षेत्र में हो जानबूझकर कभी किसी का बूरा करना नहीं अनजान से भी किसी का बूरा नहीं करना। मानलो अनजान सेकिसी का नुकसान किया हो तो मिच्छामि दुक्कड़ं देना। गुडविल करना। एक बार किसी को मिच्छामि दुक्कडं दिया वह अनंत जिनेश्वर का गुडविल हुआ। किसी के अपराध का मिच्छामि दुक्कडं देना आया वह भी अनंत जिनेश्वर का गुडविल हुआ।
एक आदमी तालाब में डूब रहा था। किसी दयालु को उस पर दया आई। वह उस आदमी को बचाने गया। तालाब के किनारे जाकर उसने उस आदमी से कहा, भैया! तेरा हाथ दो। वह आदमी हाथ देने को तैयार नहीं हुआ। उस तालाब के किनारे कोई सज्जन बैठा था उसने उस दयालु को कहा भैया! आप उसे हाथ देने को मत कहो बल्कि उसे कहो कि मेरा हाथ लो दयालु ने सज्जन की बात सुनकर उस आदमी से कहा, भैया! मेरा हाथ लो और वह तुरंत ही हाथ लेने को तैयार हो गया। पूज्यश्री फरमाते है, आदमी डूब रहा है फिर भी उसे देने के बदले किसी का लेने का ही उसे पसंद है। मानव जिस प्रकार  से कार्य करता है उस प्रकार से उसका गुडविल जाना जाता है।महामूल्यवान् मानव जन्म मिला, परमात्मा का शासन मिला आपसे जो सुकृत हो वो कर लेना है बस, रूपियों की कीमत से ज्यादा ये जिन शासन मिलना दुर्लभ है। गुडविल करके शीघ्र आत्मा से परमात्मा बनें।