Head Office

SAMVET SIKHAR BUILDING RAJBANDHA MAIDAN, RAIPUR 492001 - CHHATTISGARH

प्रह्लाद सबनानी
केंद्र सरकार ने खुदरा एवं थोक कारोबारियों को सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों (एमएसएमई) के दायरे में शामिल कर लिया है। सरकार ने इस निर्णय की घोषणा करते हुए कहा कि खुदरा एवं थोक व्यापारियों को मजबूत करते हुए केंद्र सरकार एमएसएमई क्षेत्र को आर्थिक विकास के इंजन के रूप में विकसित करने हेतु कटिबद्ध है। एक अनुमान के अनुसार, केंद्र सरकार के उक्त निर्णय से देश के लगभग 8 करोड़ खुदरा एवं थोक व्यापारियों को लाभ होगा। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी खुदरा और थोक व्यापार को सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों के दायरे में लाने के निर्णय को 'ऐतिहासिक' कदम बताया है। साथ ही उन्होंने कहा है कि उनकी सरकार खुदरा एवं थोक व्यापारियों को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। 
खुदरा एवं थोक व्यापारी सप्लाई चैन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। एमएसएमई एवं अन्य औद्योगिक इकाईयों द्वारा निर्मित की जा रही वस्तुओं को खुदरा एवं थोक व्यापारी ही आम जनता को बेचते हैं। अगर खुदरा एवं थोक व्यापारियों के रूप में देश में एक मजबूत कड़ी उपलब्ध नहीं होगी तो सप्लाई चैन के असफल होने का खतरा खड़ा हो सकता है। यदि सप्लाई चैन मजबूत नहीं रही तो उक्त निर्मित वस्तुओं को बेचेगा कौन?
केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में की गई उक्त घोषणा के अनुसार खुदरा एवं थोक व्यापारियों को अपने संस्थानों का पंजीकरण कराना आवश्यक होगा। उद्यम आधार पर इन संस्थानों का पंजीकरण होगा। खुदरा एवं थोक व्यापारियों के संस्थानों के पंजीकरण के पश्चात इन्हें एमएसएमई क्षेत्र को दी जा रही सुविधाओं का लाभ मिलना प्रारम्भ हो जाएगा। इन इकाईयों को एमएसएमई क्षेत्र की इकाईयां माना जाएगा एवं बैंकों द्वारा इन पंजीकृत संस्थानों को प्रदान किए जाने वाले ऋणों को प्राथमिकता क्षेत्र के ऋणों में माना जाएगा। इससे एक तो खुदरा एवं थोक व्यापारियों को ऋण मिलने में आसानी होगी क्योंकि विभिन्न बैंकों के लिए प्राथमिकता क्षेत्र के ऋण प्रदान करने हेतु केंद्र सरकार एवं भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा लक्ष्य निर्धारित किए जाते हैं, जिन्हें बैकों को प्राप्त करना आवश्यक होता है। दूसरे, बैकों को प्राथमिकता क्षेत्र में प्रदान किये जाने वाले ऋणों को तुलनात्मक रूप से कम ब्याज की दर पर प्रदान करना होता है अत: अब खुदरा एवं थोक व्यापारियों को भी सस्ती ब्याज दरों पर ऋणों की प्राप्ति होने लगेगी। एक अनुमान के अनुसार, देश में लगभग 8 करोड़ खुदरा एवं थोक व्यापारी हैं लेकिन पंजीकृत संस्थानों की संख्या मात्र 35 से 37 लाख के बीच में ही है। इस प्रकार अभी इन व्यापारियों के गैर पंजीकृत संस्थानों को बैंकों से ऋण प्राप्त करने में बहुत कष्ट का सामना करना होता है साथ ही इन्हें ऋण यदि उपलब्ध होता भी है तो यह तुलनात्मक रूप से अधिक ब्याज की दर पर ही उपलब्ध हो पाता है। केंद्र सरकार द्वारा चलायी जा रही प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के अंतर्गत भी खुदरा एवं थोक व्यापारियों के पंजीकृत संस्थानों को ऋण मिलना प्रारम्भ हो जाएगा।
कोरोना महामारी के प्रथम एवं द्वितीय दौर के दौरान खुदरा एवं थोक व्यापारियों की कमर ही टूट गई थी। क्योंकि, प्रथम दौर में लागू किए गए कठिन लॉकडाउन के चलते तो व्यापारिक संस्थान पूर्णत: बंद कर दिए गए थे। महामारी के प्रथम दौर के बाद खुदरा एवं थोक व्यापारी कुछ सम्हल ही रहे थे कि मार्च 2021 माह में कोरोना महामारी का द्वितीय दौर आ गया था, जिसके कारण इन व्यापारिक संस्थानों द्वारा तरल पूंजी का अभाव महसूस किया जा रहा था। लेकिन अब खुदरा एवं थोक व्यापारियों के संस्थानों को एमएसएमई का दर्जा मिल जाने के कारण केंद्र सरकार, भारतीय रिज़र्व बैंक एवं विभिन्न अन्य बैकों की ऋण प्रदान करने की विशेष योजनाओं में कम ब्याज की दर पर ऋण प्राप्त करने में आसानी होगी। इससे खुदरा एवं थोक व्यापारियों की वित्त सम्बंधी समस्या का हल तो निकल ही आएगा।
एमएसएमई क्षेत्र, खुदरा एवं थोक व्यापारी वर्ग मिलकर देश में बहुत बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर निर्मित करते हैं। अभी खुदरा एवं थोक व्यापारी वर्ग को कम ब्याज की दर पर ऋण उपलब्ध कराने की सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है। परंतु, आगे चलकर एमएसएमई क्षेत्र को प्रदान की जाने वाली अन्य सुविधाओं यथा सरकारी क्षेत्र द्वारा उत्पादों को खरीदने में एसएसएमई क्षेत्र को दी जाने वाली प्राथमिकता एवं एमएसएमई क्षेत्र से खरीदी गई वस्तुओं के भुगतान को एक निश्चित समय सीमा के अंतर्गत करना आदि जैसी सुविधाओं का फायदा भी खुदरा एवं थोक व्यापारियों को दिया जाएगा ऐसी उम्मीद की जा रही है। 
भारत में यदि खुदरा एवं थोक व्यापारियों की सप्लाई चैन मजबूत होती है तो यह देश की अर्थव्यवस्था को तेजी से आगे बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो सकेगी। एक अनुमान के अनुसार हमारे देश में प्रतिवर्ष खुदरा व्यापार लगभग 115 लाख करोड़ रुपए का रहता है। देश की अर्थव्यवस्था को वर्ष 2023 तक यदि 5 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर का बनाना है तो खुदरा एवं थोक व्यापारियों को मजबूती प्रदान करनी ही होगी। सप्लाई चैन के मजबूत होने से, कोरोना महामारी के दौरान रुकी हुई व्यापार की गति को पुन: तेज किया जा सकेगा एवं न केवल वस्तुओं का उत्पादन करने वाली इकाईयों को लाभ होगा बल्कि वस्तुओं के निर्माण में भी तेजी लाई जा सकेगी।
यहां एक बात और स्पष्ट की जानी चाहिए कि खुदरा एवं थोक व्यापारियों को एमएसएमई के दायरे में लाने से वर्तमान में एमएसएमई इकाईयों पर ऋण की उपलब्धता की दृष्टि से कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि भारत में वर्तमान में बैंकों के पास पर्याप्त तरलता उपलब्ध है बल्कि बैंक तो ऋण प्रदान करने के लिए लालायित हैं एवं अच्छे ग्राहकों की खोज में लगे हैं। खुदरा और थोक व्यापारियों के रूप में बैंकों को तो नए ग्राहक उपलब्ध होने लगेंगे और देश समावेशी विकास की ओर आगे बढ़ेगा। कारोबारियों को अतिरिक्त तरल पूंजी उपलब्ध होने से इस क्षेत्र में रोजगार के अतिरिक्त नए अवसर निर्मित होने लगेंगे। इस प्रकार तो एक तरह से केंद्र सरकार के उक्त निर्णय से न केवल खुदरा एवं थोक व्यापारियों को बल्कि बैंकों को, आम जनता को, उत्पादकों को, बेरोजगार लोगों आदि को भी सीधे-सीधे ही लाभ होगा।
ऐसा कहा जाता है कि देश के प्रधानमंत्री के मन में छोटे व्यापारियों के लिए एक अलग प्रकार की जगह है। देश की अर्थव्यवस्था का बहुत बड़ा भार खुदरा एवं थोक व्यापारियों के कंधों पर है और यदि इस वर्ग की समस्याओं का समाधान निकाला जाता है तो इसे देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक अच्छा कदम माना जाना चाहिए। 
एक अनुमान के अनुसार देश में लगभग 8 करोड़ व्यापारी, लगभग 40 करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार उपलब्ध कराते हैं। अपना छोटा-सा व्यवसाय चलाने के लिए व्यापारियों को कई प्रकार के लाइसेन्स लेने पड़ते हैं, व्यापारियों की इस प्रकार की समस्याओं का समाधान भी निकाला जाना चाहिए। देश में हालांकि बहुत पुराने लगभग 2500 से ऊपर कानूनों को समाप्त कर दिया गया है परंतु आज भी कई कानून वर्ष 1947 से पहले के चले आ रहे हैं। ऐसे पुराने कानूनों का रिव्यू करके इन्हें समाप्त किया जाना चाहिए एवं आज के परिप्रेक्ष्य में नए कानून बनाए जाने चाहिए ताकि छोटे-छोटे व्यापारियों को अपना व्यवसाय करने में और भी आसानी हो। व्यवसाय के लिए आसान वातावरण प्रदान करने से छोटे-छोटे व्यवसायी अपने आप को देश की मुख्य धारा से जुड़ा महसूस करेंगे एवं देश के आर्थिक विकास में भी अपना योगदान बढ़ा सकेंगे। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली से देश के 8 करोड़ व्यापारियों में से केवल लगभग 1.25 करोड़ व्यापारी ही जुड़ पाए हैं। शेष व्यापारी कुछ परेशानियों की वजह से अभी तक जीएसटी प्रणाली से जुड़ नहीं पा रहे हैं। 
यदि देश के सभी व्यापारी जीएसटी प्रणाली से जुड़ जाते हैं तो देश के लिए टैक्स कलेक्शन बहुत अधिक बढ़ सकता है। अत: जीएसटी प्रणाली को भी अभी और सरल बनाए जाने की आवश्यकता है।

-प्रह्लाद सबनानी,
सेवानिवृत्त उप-महाप्रबंधक
भारतीय स्टेट बैंक