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यूर्य देव का मिथुन राशि से कर्क राशि में प्रवेश करने की घटना कर्क संक्रांति कहलाती है। इस वर्ष सूर्य की कर्क संक्रांति 16 जुलाई दिन शुक्रवार को है। कर्क संक्रांति एक माह यानी 17 अगस्त 2021 तक रहेगी, अर्थात् सूर्य देव कर्क राशि में पूरे एक माह के लिए रहेंगे। धार्मिक दृष्टि से कर्क संक्रांति का विशेष महत्व है। कर्क संक्रांति से ही सूर्य दक्षिणायन होते हैं। मकर संक्रांति के समय सूर्य उत्तरायण होते हैं। सूर्य की यह दो स्थितियां क्रमश: 6 माह के लिए होती हैं। इस प्रकार से कहा जाए तो सूर्य 6 माह के लिए उत्तरायण और 6 माह के लिए दक्षिणायन होते हैं। सूर्य क्रमश: एक-एक माह के लिए कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक और धनु राशि में रहते हैं।
देवताओं की रात्रि है दक्षिणायन: धार्मिक मतों के अनुसार, दक्षिणायन को देवताओं की रात्रि कहा जाता है। इस समय काल में सभी देवी-देवता योग निद्रा में होते हैं। दक्षिणायन से चातुर्मास का प्रारंभ होता है। ऐसे में इस समय में कोई मांगलिक कार्य जैसे विवाह, लगन, सगाई, मुंडन आदि संस्कार नहीं होते हैं। दक्षिणायन से रात्रि लंबी और दिन छोटे होने लगते हैं, वहीं उत्तरायण में दिन लंबे और रात्रि छोटी होती है। उत्तरायण देवताओं का दिन होता है, जिसे मांगलिक कार्यों के लिए उत्तम माना जाता है।
   कर्क संक्रांति का पुण्य काल 16 जुलाई को प्रात: 05 बजकर 34 मिनट से शाम को 05 बजकर 09 मिनट तक है। यह कुल अवधि 11 घंटे 35 मिनट की है।

महा पुण्य काल

कर्क संक्रांति का महा पुण्य काल उस दिन 02 घण्टे 18 मिनट का है। महा पुण्य काल का समय दोपहर 02 बजकर 15 मिनट से शाम को 05 बजकर 09 मिनट तक है।

कर्क संक्रान्ति का क्षण

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16 जुलाई को शाम 05 बजकर 09 पर।

कर्क संक्रांति का प्रभाव

ज्योतिष के अनुसार, कर्क संक्रांति व्यापारियों के लिए अच्छा साबित हो सकता है। कर्क संक्रांति से धन और समृद्धि में वृद्धि होती है। लोगों की सेहत ठीक रह सकती है। देश में अनाज भण्डारण में वृद्धि होगी। वस्तुओं की लागत सामान्य हो सकती है।