भारत का सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम यानी एमएसएमई सेक्टर राष्ट्रीय आर्थिकी अवसंरचना की रीढ़ है. यह वैश्विक आर्थिक झटकों और प्रतिकूलताओं से उबरने के लिए आर्थिकी को लचीलापन प्रदान करता है। महामारी की सर्वाधिक मार झेलनेवाले इस क्षेत्र को तात्कालिक तौर राहत की जरूरत है। राजकोषीय प्रोत्साहन के अलावा, इस क्षेत्र को ऐसे राजनीतिक-अर्थिक दृष्टिकोण की भी आवश्यकता है, जो एमएसएमई के हितों को प्राथमिकता देता हो। छोटी इकाईयों को नियमन के बोझ से राहत देने और वित्तीय सहायता से नयी ऊर्जा आयी है।
केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत एमएसएमई को पुनर्परिभाषित करने के लिए कई कदम उठाये हैं। इस क्षेत्र के लिए ऋण सुगमता, अधीनस्थ ऋण, सरकारी निविदाओं में वरीयता जैसे फैसले सराहनीय हैं। पंजीकरण के लिए एमएसएमई उद्यम पोर्टल और शिकायत निवारण पोर्टल की शुरुआत की गयी है। यह पोर्टल एमएसएमई संगठनों, इकाइयों, कर्मचारियों और इच्छुक उद्यमियों को शिकायत दर्ज कराने, सुझावों को साझा करने या सरकारी सहायता के लिए सूचना प्राप्त करने जैसी सुविधाएं देता है।
बीते वर्ष मई में शुरू होने के बाद इस पोर्टल पर शिकायतों में 33.2 प्रतिशत की तेजी आयी है। देश के कुल विनिर्माण उत्पादन में एमएसएमई की हिस्सेदारी 45 फीसदी, जबकि निर्यात में 40 फीसदी है। कृषि के बाद यह क्षेत्र रोजगार देनेवाला सबसे बड़ा क्षेत्र है। देश में 3।61 करोड़ इकाईयों के साथ एमएसएमई विनिर्माण जीडीपी में 6.11 प्रतिशत और सेवा गतिविधियों से जीडीपी में 24.63 प्रतिशत का योगदान देता है।
वर्ष 2025 तक पांच ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए एमएसएमई मंत्रालय का लक्ष्य है कि जीडीपी में इसकी हिस्सेदारी को 50 प्रतिशत तक बढ़ाई जाएं। हालांकि, मौजूदा हालातों के चलते एसएमई के उत्पादन में बहुत कमी आई है। रोजगार और आमदनी में बढ़ोतरी के साथ एसएमई क्षेत्र लोगों की आय बढ़ाने, जीवन स्तर उठाने और उपभोक्ता खर्च बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकता है। इंटरनेट की पहुंच बढ़ाने, उपभोक्ताओं को डिजिटल भुगतान के प्रति जागरूक करने जैसे उपायों से एमएसएमई सेक्टर को मजबूती मिलेगी।
सरकार ने एमएसएमई क्षेत्र को समर्थन देने के लिए कई विधायी, नियामक और वित्तीय उपायों की शुरुआत की है। इन प्रयासों से एमएसएमई के आकार को बढ़ाने, उभरती वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में भागीदार बनाने और आर्थिक विकास को गतिशीलता प्रदान करने के लिए एक नीतिगत वातावरण बनेगा।
विभिन्न क्षेत्रों में सुधारों की श्रृंखला से एमएसएमई क्षेत्र के विकास के लिए उपयुक्त परिस्थितियों का निर्माण होगा। नये कृषि कानूनों समेत अनेक सुधारों से संसाधकों, समूहों, बड़े खुदरा व्यापारों और निर्यातकों के लिए नयी संभावनाओं की राह खुलेगी। इससे किसानों के साथ दीर्घकालिक पारस्परिक फायदेमंद संबंध मजबूत होंगे। कारोबार सुगमता और निवेशकों में विश्वास बढ़ोतरी से यह क्षेत्र अर्थव्यवस्था में अपने योगदान को नयी ऊंचाइयों पर ले जा सकेगा।