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पं. मनोज कुमार द्विवेदी, ज्योतिषाचार्य
भगवान शिव के परिवार में रहन-सहन और खानपान में काफी विषमताओं के बावजूद भी सभी प्रेम, एकता और भाईचारे की भावना से रहते हैं और इन सभी की परस्पर आपस में शत्रुता है लेकिन फिर भी इनके बीच में कभी कोई लड़ाई छिड़ी हो ऐसा नहीं हुआ। 
श्रद्धा और समर्पण भाव से शिव की उपासना करने से शिवत्व तो जागृत होता ही है। साथ में शिव तत्व की प्राप्ति भी होती है और यहीं से हमें जीवन में एकता और सन्तुलन की सीख भी मिलती है। ज्योतिषाचार्य पं. मनोज कुमार द्विवेदी ने बताया कि देवाधिदेव भगवान शिव के परिवार में यह देखने को मिलता है कि उनके परिवार में जितने वाहन हैं जैसे भगवान शंकर गले में सर्प धारण करते हैं। उनके पुत्र गणेश का वाहन चूहा है। सर्प और चूहा एक दूसरे के शत्रु होते हुए भी नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। भगवान कार्तिकेय का वाहन मोर है, जो कि सर्प का भक्षण करता है, लेकिन दोनों आपस में प्रेम से रहते हैं। भगवान शिव का वाहन बैल है, जबकि माता पार्वती का वाहन शेर है। दोनों एक दूसरे के दुश्मन होते हुए आपस में मिलजुलकर रहते हैं। 
भगवान शिव के परिवार में रहन-सहन और खानपान में काफी विषमताओं के बावजूद भी सभी प्रेम, एकता और भाईचारे की भावना से रहते हैं और इन सभी की परस्पर आपस में शत्रुता है लेकिन फिर भी इनके बीच में कभी कोई लड़ाई छिड़ी हो ऐसा नहीं हुआ। क्योंकि देवताओं के जो प्रतीकात्मक पशु वाहन हैं वे शत्रुता के बीच मित्रता का भाव जाग्रत करते हैं और अपने स्वभाव अपनी प्रवृति को छोड़े बिना सभी से मिलजुलकर रहते हैं। सामाजिक तौर पर देखें तो परिवारों में भी यह जरूरी है अलग-अलग विचारों, अभिरूचियों, स्वभावों के बावजूद हम लोग हिलमिल कर रहें अपनी सोच दूसरों पर न थोपी जाय और सबसे खास बात यह कि मुखिया और अन्य बड़े सदस्यों के गले में गरल थामें रखने का धीरज और सबको साथ लेकर चलने की आदत हो तभी संयुक्त परिवार चल सकते हैं। यह बात हमारे परिवार तक ही सीमित नहीं होनी चाहिए वरन् हमारे देश में विभिन्न धर्मो, जाति और विविधताओं के बीच एकता व संतुलन शिव परिवार की तरह जरूरी है। 
सर्वमान्य और सर्वोचित निर्णय ठण्डे दिमाग से ही लिए जा सकते हैं। महाशिव के मस्तक पर चन्द्रमा और गंगा का होना इस बात का संकेत है कि मस्तिष्क को सदा शीतल रखो। चन्द्रमा और गंगाजल दोनों में असीम शीतलता है। मानव मात्र को भगवान शिव यह संदेश देते हैं कि भले ही हमारा स्वाभाव और प्रकृति भिन्न हों पर हमें परस्पर मिल कर रहना चाहिए। 
चार सावन सोमवार पर बन रहा नक्षत्रों का विशेष संयोग 
सावन का पवित्र महीना रविवार, 25 जुलाई से आरंभ हो गया है। श्रावण मास का आरम्भ आयुष्मान योग में हो रहा है, जो कि सभी के लिए कल्याणकारी रहेगा। इस दिन चंद्रमा कुंभ राशि में होगा। वहीं रविवार के दिन श्रवण नक्षत्र का योग बन रहा है। श्रवण नक्षत्र का स्वामी चंद्रमा होता है। आपको बता दें कि भगवान शिव को चंद्रमा अत्यंत प्रिय है। इसी वजह से वे चंद्रमा को अपने मस्तक पर धारण करते हैं। इस दिन रात्रि में 10 बजकर 48 मिनट पर पंचक शुरू हो जाएगा। पंचक की विशेषता यह है कि इससे हर क्षेत्र में पांच गुना वृद्धि होती है। आप सभी को पता है कि सावन के महीने में सोमवार का विशिष्ट महत्व रहता है। इस दिन अगर श्रद्धा पूर्वक ढंग से भगवान भोले की पूजा की जाए तो भक्तों की हर मुराद पूरी होती है। इस वर्ष के सावन माह में भक्तों को 4 सोमवार का अवसर प्राप्त होगा। चारों सोमवार पर कई विशिष्ट नक्षत्र और योग बन रहे हैं। माना यह जा रहा है कि चारों सोमवार पर व्रत और पूजा करने से व्यक्ति को कई कल्याणकारी लाभ प्राप्त होंगे। 
प्रथम सोमवार : सावन का प्रथम सोमवार 26 जुलाई को पड़ेगा। इस दिन धनिष्ठा नक्षत्र सौभाग्य योग में है। चंद्रमा कुम्भ राशि में गोचर करेगा। धनिष्ठा नक्षत्र मंगल का माना जाता है। अगर इस नक्षत्र की स्थिति में पूजा की जाए तो वंश वृद्धि, संतानी की प्राप्ति आदि विभिन्न मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। 
दूसरा सोमवार : सावन महीने का दूसरा सोमवार कृतिका नक्षत्र में 2 अगस्त को पड़ेगा। इस दिन चंद्रमा अपनी सबसे ऊंची राशि वृषभ में होगा। इस योग को काफी शुभ माना गया है। वृद्धि योग में होने से इसे काफी कल्याणकारी माना जाता है। इस दिन सूर्य कृतिका नक्षत्र में होगा और चंद्रमा अपनी उच्च राशि में होगा। मान्यता है कि इस विशिष्ट योग के चलते व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। कहा जाता है कि यदि इस दिन व्रत या महादेव का अभिषेक किया जाए तो व्यक्ति की जिंदगी से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। उसके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। 
तीसरा सोमवार : सावन का तीसरा सोमवार 9 अगस्त को पड़ रहा है। यह दिन बुध के नक्षत्र अश्लेषा में है। इस दिन चंद्रमा कर्क राशि में रहेगा। वहीं करीब 9 बजकर 50 मिनट पर वह सिंह राशि के भीतर गोचर करेगा। अश्लेषा नक्षत्र में सोमवार का होना काफी शुभ माना गया है। मान्यता है कि अगर इस दिन भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाए तो व्यक्ति के जीवन से सभी परेशानियों का अंत हो जाता है। परिवार के भीतर शांति का वास होता है।  
चौथा सोमवार : सावन महीने का चौथा सोमवार 16 अगस्त को पड़ रहा है। इस दिन शनि के नक्षत्र अनुराधा का आरम्भ होगा। इसके बाद ज्येष्ठा नक्षत्र की शुरुआत होगी। इस दौरान चंद्रमा अपने सबसे नीचे की राशि वृश्चिक में रहेंगे। इस दौरान अगर भगवान शिव की श्रद्धा पूर्वक ढंग से पूजा और जलाभिषेक किया जाए तो व्यक्ति के जीवन में आने वाली तमाम बाधाएं खुद बा खुद दूर हो जाती हैं और उसे मनचाहा फल प्राप्त होता है।