आज हम जिस युवा भारत को देख रहे हैं वह कभी एक महान नेता का सपना हुआ करता था जिसने देश में कंप्यूटर क्रांति की नींव रखी। देश में सरकारी घोटालों की असलियत को खुद अपने मुंह से स्वीकारने वाले युवा और कर्मठ नेता राजीव गांधी की आज जयंती है। कांग्रेस के राज में कभी कमान राजीव गांधी जैसे नेता के हाथ में भी थी जिन्होंने अपने अल्पकाल के शासन में ही देश को ढेरों सपने दिखाए।
भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी के बेटे, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी की आज जयंती है। 40 साल की उम्र में देश के सबसे युवा और देश के नौवें प्रधानमंत्री होने का गौरव इस लौह-पुरुष को हासिल है। 'आधुनिक भारतÓ के शिल्पकार कहे जाने वाले स्वर्गीय राजीव गांधी ने ही देश में पहली बार तकनीक को प्राथमिकता दी थी और इसी ने 'राजीव गांधी कम्प्यूटर साक्षरता मिशनÓ को जन्म दिया। अपने शासन काल में जिस कम्प्यूटर को व्यापक तौर पर इस्तेमाल करने के लिए उन्हें विरोध झेलना पड़ा वही आज देश की असली ताकत बना हुआ है। अगर हम देश में राजीव गांधी को 'कम्प्यूटर क्रांतिÓ का जनक कहें तो गलत नहीं होगा।
20 अगस्त, 1944 को जन्में राजीव गांधी इंदिरा गांधी के पुत्र थे। इनका पूरा नाम राजीव रत्न गांधी था। सन 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के पश्चात वह भारी बहुमत से प्रधानमंत्री बने। राजीव गांधी और उनके छोटे भाई संजय गांधी की प्रारंभिक शिक्षा देहरादून के प्रतिष्ठित दून स्कूल में हुई थी। आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने लंदन के इम्पीरियल कॉलेज में दाखिला लिया साथ ही कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से इंजीनीयरिंग का पाठ्यक्रम भी पूरा किया। भारत लौटने के बाद राजीव गांधी ने लाइसेंसी पायलट के तौर पर इण्डियन एयरलाइंस में काम करना शुरू किया। कैम्ब्रिज में पढ़ाई के दौरान राजीव गांधी की मुलाकात एंटोनिया मैनो से हुई, विवाहोपरांत जिनका नाम बदलकर सोनिया गांधी रखा गया। 3 जून, 1980 को राजीव के छोटे भाई संजय गांधी की दुर्घटना में मृत्यु हुई तब उन्होंने अपनी मां को सहयोग देने के लिए राजनीति में प्रवेश किया। वहीं 1984 में मां की हत्या ने उन्हें पूर्ण रूप से कॉग्रेस के प्रति समर्पित नेता बना दिया।
राजीव गांधी का व्यक्तित्व : राजीव गांधी को एक सरल स्वभाव का व्यक्ति माना जाता है। पार्टी में उनकी छवि एक उदार नेता की थी। प्रधानमंत्री बनने के बाद वह कोई भी निर्णय जल्दबाजी में ना लेकर अपने कार्यकर्ताओं से विचार-विमर्श करने के बाद ही लेते थे। वह सहनशील और निर्मल स्वभाव के व्यक्ति थे। आम लोगों के बीच जाकर उनके साथ हाथ मिलाना उन्हें जैसे अपनी मां इंदिरा गांधी से आदतन विरासत के तौर पर मिला था।
राजीव गांधी का राजनैतिक योगदान : राजनैतिक पृष्ठभूमि होने के बावजूद राजीव गांधी ने कभी भी राजनीति में रुचि नहीं ली। भारतीय राजनीति और शासन व्यवस्था में राजीव गांधी का प्रवेश केवल हालातों की ही देन था। दिसंबर 1984 के चुनावों में कांग्रेस को जबरदस्त बहुमत हासिल हुआ। इस जीत का नेतृत्व भी राजीव गांधी ने ही किया था। अपने शासनकाल में उन्होंने प्रशासनिक सेवाओं और नौकरशाही में सुधार लाने के लिए कई कदम उठाए। कश्मीर और पंजाब में चल रहे अलगाववादी आंदोलनकारियों को हतोत्साहित करने के लिए राजीव गांधी ने कड़े प्रयत्न किए। भारत में गरीबी के स्तर में कमी लाने और गरीबों की आर्थिक दशा सुधारने के लिए 1 अप्रैल सन 1989 को राजीव गांधी ने जवाहर रोजगार गारंटी योजना को लागू किया जिसके अंतर्गत इंदिरा आवास योजना और दस लाख कुआं योजना जैसे कई कार्यक्रमों की शुरुआत की।
राजीव गांधी को दिए गए पुरस्कार : राजीव गांधी को समाज और राजनीति में अपने उत्कृष्ट योगदान के लिए देश के सर्वोच्च सम्मान 'भारत रत्नÓ से अलंकृत किया गया।
उनका शासन काल कई आरोपों से भी घिरा रहा जिसमें बोफोर्स घोटाला सबसे गंभीर था। इसके अलावा उन पर कोई ऐसा दाग नहीं था जिसकी वजह से उनकी निंदा हो। पाक दामन होने की वजह से ही लोगों के बीच राजीव गांधी की अच्छी पकड़ थी।
श्रीलंका में चल रहे लिट्टे और सिंघलियों के बीच युद्ध को शांत करने के लिए राजीव गांधी ने भारतीय सेना को श्रीलंका में तैनात कर दिया। जिसका प्रतिकार लिट्टे ने तमिलनाडु में चुनावी प्रचार के दौरान राजीव गांधी पर आत्मघाती हमला करवा कर लिया। 21 मई, 1991 को सुबह 10 बजे के करीब एक महिला राजीव गांधी से मिलने के लिए स्टेज तक गई और उनके पांव छूने के लिए जैसे ही झुकी उसके शरीर में लगा आरडीएक्स फट गया। इस हमले में राजीव गांधी की मौत हो गई।
देश में राजीव गांधी की मौत के बाद बहुत बड़ा रोष देखने को मिला। पहले ही उनकी मां की हत्या कर दी गई थी और उसी क्रम में बेटे राजीव की मौत से देश दहल गया था। देश ने एक ऐसा युवा नेता खो दिया था जो आने वाले सालों में देश की सूरत बदलने वाला था। आज कांग्रेस चाहे किसी भी राह पर चल रही हो पर वह राजीव गांधी के मूल सपनों की विपरीत दिशा ही दिखा रही है जहां उन्होंने भ्रष्टाचार मुक्त विकास की बात कही थी।