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कजरी तीज का व्रत सुहागिन महिलाएं अखण्ड़ सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखती हैं। कजरी तीज का व्रत भाद्र पद मास की कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है। इसे स्थानीय लोग कजली तीज, बूढ़ी तीज या सतूड़ी तीज के नाम से भी जानते हैं। इस साल कजरी तीज का व्रत 25 अगस्त, दिन बुधवार को रखा जाएगा। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना से निर्जल व्रत रहती हैं। व्रत का पारण चंद्रमा को अर्घ्य दे कर किया जाता है। आइए जानते हैं कजरी तीज व्रत की तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि...
कजरी तीज की तिथि और मुहूर्त : कजरी तीज का व्रत भाद्र पद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि पर रखा जाता है। पंचांग के अनुसार तृतीया तिथि 24 अगस्त को सायकाल 04 बजकर 05 मिनट से शुरू हो कर 25 अगस्त को शाम 04 बजकर 18 मिनट तक रहेगी। लेकिन उदया तिथि होने के कारण कजरी तीज का व्रत 25 अगस्त को रखा जाएगा। कजरी तीज का व्रत वैसे तो सुहागिन महिलाएं ही रखती हैं लेकिन मान्यता है कि जिन लड़कियों की शादी में बाधांए आ रही हो वो भी कजरी तीज का व्रत रखती हैं। 
कजरी तीज व्रत की पूजन विधि : कजरी तीज के दिन नीमड़ी माता का पूजन किया जाता है। इन्हें माता पार्वती का ही रूप माना जाता है। इस दिन महिलाएं सुबह स्नान आदि से निवृत्त हो कर निर्जल व्रत का संकल्प लेती हैं। भोग लगाने के लिए माल पुआ बनाया जाता है। पूजन के लिए मिट्टी या गोबर से छोटा तालाब बनाया जाता है, इसमें नीम की डाल पर चुनरी चढ़ाकर नीमड़ी माता की स्थापना की जाती है। महिलाएं पूरे दिन व्रत रख कर सोलह श्रृगांर कर माता का पूजन करती हैं। नीमड़ी माता को हल्दी, मेहंदी, सिंदूर, चूडिय़ा, लाल चुनरी, सत्तू और माल पुआ चढ़ाए जाते हैं। व्रत का पारण चंद्रमा को अर्घ्य दे कर किया जाता है। मां की कृपा से अखण्ड़ सौभाग्य की प्राप्ति होती है।