अहमदाबाद। सबके जीवन में कुछ दिन खास होते है। किसी को भी अपना जन्मदिन विशेष आनंद की अनुभूति करवाता है। उनमें से कुछ विरल और महान व्यक्ति ही ऐसे होते है जिनके जन्म से जन्मदिन से समस्त विश्व के जीवों को शाता, समाधि, आनंद की अनुभूति हो। तीर्थंकर परमात्मा के जन्म से तो समस्त चौदह राजलोक के जीवों को आनंद होता है, यहां तक की नरक के जीवों जो जन-जन के आस्था का केन्द्र बन चुकी हैं ऐसे वात्सल्यमूर्ति प.पू. प्रवर्तिनी वाचंयमा श्री जी म.सा. (पू.बेन म.सा.) का जन्मदिन आया।
परम शासन प्रभाविक, गीतार्थ गच्छाधिपति प.पू.आ.देव राजयशसूरीश्वरजी म.सा ने उपस्थित धर्मानुरागी आराधकों को संबोधित करते हुए फरमाया कि सेवा, समर्पण एवं साधना से एकत्रित हुए पुण्य से आज पू.बेन म.सा इन ऊंचाइयों तक पहुंच पाये हैं। इमारत बनने के पश्चात् उसकी सुंदरता निहारने लोग दूर-दूर से आते है लेकिन इमारत की नींव डालते समय या बनते समय केवल कुछ लोग ही उसमें शामिल होते हैं। तब कोई और सहाय करने खड़े नहीं रहते पू. बेन म.सा. के जीवन में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिलता है। उन्होंने अपने जीवनकाल दरम्यान बस इमारत की नींव में काम करने का ही कार्य किया है। केवल नि:स्पृह भाव से तीन-तीन पीढिय़ों की निस्वार्थ भाव से उत्कृष्ट सेवा की. पं.पू.दादा गुरूदेव लब्धि सू.म.सा., पू.पू. गुरूदेव विक्रम सू.म.सा. और वर्तमान गच्छाधिपति प.पू.राजयश सू.म.सा. तीनों की जो अद्भुत सेवा की है वह अविस्मरणीय है। इतनी उच्च कक्षा का समर्पण है कि जो कुछ भी अच्छा हो, श्रेष्ठ हो उसका श्रेय केवल पू.गुरू भगवंतों के चरणों में अर्पण करते और कोई त्रुटि हो तो उसे स्वयं स्वीकार कर लेते। साधना तो उनकी अद्भूत एवं अकल्पनीय है। सर्वप्रथम गुरू कृपा की साधना की जिससे मंत्र साधना में सिद्धि हासिल कर सके। बहुत ही अल्प संयम पर्याय में उन्होंने नमस्कार महामंत्र की अनुपम साधना की और आगे बढ़ते-बढ़ते पाश्र्व-पद्मावती के महान साधिका-आराधिका-उपासिका बनें। इस तैयार हुई महान इमारत को देखने-मिलने-सुनने सब उत्सुक होते है। पूज्यश्री ने फरमाया कि ऐसे तो चमत्कार को नमस्कार किया जाता है पर इन साध्वीजी भगवंत ने इसे बदल डाला नमस्कार महामंत्र की महान साधना से चमत्कारों का सर्जन करने लगी। कितनों के जीवन परिवर्तन किये। तो अनेकों के ह्रदय परिवर्तन किये, सैकड़ों को धर्म मार्ग में जोड़े। ये सब तब ही शक्य हो पाता है कि जब जीवन में साधना की हो अत: यह एक साधना की सिद्धि है। ऐसे विरल व्यक्तित्व के स्वामी पू.बेन म.सा. ने मात्र ग्यारह वर्ष की अल्पायु में आज से 72 पूर्व संयम अंगीकार किया। गृहस्थ अवस्था में तो वह गांधीवादी थे तथा जैन धर्म के सिद्धांतों से क्रियाओं से कोसो दूर थे। उनकी प्रतिभा इतना जबरदस्त थी कि जब वे चौथी कथा के विद्यार्थी थे तब एक बार नेताजी का भाषण सुनने गये। कुछ कारण से अचानक ही नेता श्री गेबु भाई को बहुत खांसी आई तो वे अपना भाषण पूर्ण नहीं कर पाये और उतने में छोटी सी वसु ने उठकर बहादुरी से बाकी का भाषण बहुत ही सहजता से सरलता से पूर्ण कर दिया।
ऐसे अद्भुत प्रतिभाशाली, पुण्यशाली, सत्व-शाली, पू.बेन म.सा. के 84 वें जन्मदिन के उपलक्ष्य में पाश्र्व पभावती सह गौतम स्वामी का सुंदर अनुष्टान, बहनों की समूह सामयिक भव्य अंगरचना का आयोजन किया गया। ये महान साध्वीजी भगवंत शासन के दिग्गज आचार्य समान सत्व एवं प्रतिभा के स्वामी है। अनेक गुणों के धारक, प्रकृष्ट पुण्यतिथि, शासन प्रभाविका पू.बेल म.सा. के जीवन से कुछ सीखें, अपनाये और उन्हीं की तरह यात्किंचित् साधना कर आत्मा से परमात्मा बनें।
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