Head Office

SAMVET SIKHAR BUILDING RAJBANDHA MAIDAN, RAIPUR 492001 - CHHATTISGARH

नकारात्मक विचार मन्मय कोष को विकृत करने से प्राणमय कोष पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जब प्राण विचलित हो जाता है तब स्थूल शरीर पर यह विकृति रोग के रूप में दिखाई देती है। हमेशा उत्तम विचारों को जीवन में जगह देनी चाहिए ताकि हम स्वस्थ और समृद्ध रह सकें।
विचारों का सीधा प्रभाव हमारे व्यक्तित्व, जीवन के निर्माण एवं ऊर्जा पर पड़ता है। सकारात्मक ऊर्जा के प्रबल होने से हम किसी भी कार्य को पूरी लगन एवं तन्मयता के साथ कर पाते हैं। इसके विपरीत नकारात्मक ऊर्जा हमारे विवेक को क्षीण कर देती है। इससे हमारी निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है। जब हम सही निर्णय नहीं ले पाते तब हमारा जीवन दिशाहीन हो जाता है। लिहाजा हम सही दिशा में अपनी सफलता के लिए प्रयास भी नहीं कर पाते। स्वामी विवेकानंद जी कहते हैं कि हम जैसा सोचते और विचार करते हैं, वैसे ही बन जाते हैं। एक राजा था। शत्रु उस पर बार-बार हमला करते। उस पर शत्रुओं ने लगातार छह बार हमला किया और सातवीं बार राजा हार गया। वह बहुत ही हताश हो गया और जंगल में जाकर एक गुफा में छिप गया। वहां उसे थकान की वजह से नींद आ गई। जब वह जागा तो देखा कि एक मकड़ी सामने की दीवार पर जाला बना रही है। वह इस कोशिश में कई बार असफल हुई, लेकिन उसने बार-बार उठकर प्रयास किया और अंतत: उसने जाला बना लिया। मकड़ी के इस उपक्रम को देख राजा को विचार आया कि जब एक छोटी-सी निरीह मकड़ी बार-बार पुन: प्रयास से जीत सकती है तो मैं क्यों नहीं? राजा गुफा से बाहर निकला। उसने पुन: अपनी सेना संगठित की। पूरे मनोयोग से युद्ध किया। फिर वह जीत गया। यह विचार की ही शक्ति थी कि जो छोटी-सी मकड़ी राजा के लिए प्रेरणास्रोत बन गई।