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भगवान कृष्ण की जन्माष्टमी का पर्व 30 अगस्त को पूरे देश में विधि-विधान से मनाया गया है। भगवान कृष्ण का पूजन वैष्णव परंपरा के अनुसार किया जाता है। इसी परंपरा के अनुसार भगवान कृष्ण के जन्म के छठे दिन उनकी छठी मनाई जाने की भी परंपरा है। इस साल कृष्ण जी की छठी का पूजन 04 सितंबर, दिन शनिवार को मनाया जाएगा। जो भी लोंग जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण का जन्म करवाते हैं और विधि पूर्वक लड्डू गोपाल का पूजन करते हैं वो जन्माष्टमी के छठे दिन कृष्ण छठी का भी पूजन करते हैं।आइए जानते हैं कृष्ण छठी पूजन की विधि और इसकी पौराणिक मान्यता के बारे में...
कृष्ण जी की छठी की पूजा : कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा के छठे दिन भगवान कृष्ण की छठी का पूजन किया जाता है। इस दिन सबेर स्नान आदि से निवृत्त होकर लड्डू गोपाल का को पंचामृत से स्नान करना चाहिए। इसके लिए लड्डू गोपाल को एक पात्र में रख कर बारी-बारी से दूध, दही, घी, शहद और गंगा जल से स्नान कराया जाता है। इसके बाद उन्हें नये वस्त्र पहनाकर लाल रंग के आसन पर स्थापित करें। इसके बाद भगवान को रोली या पीले चंदन से टीका लगा कर, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें। भगवान कृष्ण को माखन मिश्री का भोग लगाएं और तुलसी दल जरूर चढ़ाएं।
भगवान कृष्ण का नामकरण : मान्यता है कि भगवान कृष्ण का नामकरण छठी के दिन किया जाता है। परंपरा है कि भगवान कृष्ण के अंनत नामों कृष्ण, मोहन, नंदलाल, यशोदानंदन, देवकीनंदन, मुरारी आदि में से कोई एक प्रिय नाम चुन कर इस नाम से ही उन्हें बुलाना चाहिए। इस दिन घर में खाने के लिए कढ़ी चावल खाना शुभ माना जाता है। इस दिन आपको भी पीले वस्त्र ही पहनने चाहिए, भगवान कृष्ण को पीला रंग विशेष रूप से प्रिय है। भगवान कृष्ण की छठी का पूजन करने से जन्माष्टमी की पूजा पूरी होती है तथा आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।