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शरद पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। शरद पूर्णिमा को जागृत पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन चंद्रमा और मां लक्ष्मी की पूजा का विधान है। शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा कि रोशनी अमृत समान माना गया है। मान्यता है कि इस दिन चंद्र दर्शन और पूजन से निरोगी काया की प्राप्ति होती है। साथ ही पौराणिक मान्यता है कि मां लक्ष्मी का समुद्र से आभिर्भाव शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था। इस दिन मां लक्ष्मी के पूजन से धन-धान्य की प्राप्ति होती है। इस साल शरद पूर्णिमा 19 अक्टूबर, दिन मंगलवार को मानाई जाएगी। आइए जानते हैं शरद पूर्णिमा के दिन किए जाने वाले उपायों के बारे में.... 
1-आयुर्वेद में शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की रोशनी को अमृत समान माना गया है। इस दिन रात्रि में चंद्र दर्शन करने और चंद्रमा का त्राटक करने से नेत्र विकार दूर होते हैं।
2- शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की रोशनी में बैठने से शरीर के सभी रोगाणुओं का नाश होता है तथा सांस संबंधी बीमारियों में भी लाभ मिलता है।
3- शरद पूर्णिमा के दिन दूध और चावल की खीर को बना कर, साफ कपड़े से ढक कर रात भर के लिए चंद्रमा की रोशनी में रख देना चाहिए। सबरे इस खीर को खाने से रोग प्रतिरोधकता में वृद्धि होती है।
4- शरद पूर्णिमा को कुमार पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन कार्तिकेय भगवान के पूजन से कुवांरी लड़कियों को योग्य वर मिलता है।
5- शरद पूर्णिमा को मां लक्ष्मी का जन्मदिन माना जाता है। इस दिन रात्रि जागरण और मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
6- शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी को गुलाबी रंग के फूल और इत्र, सुंगध जरूर चढ़ाना चाहिए। ऐसा करने से मां लक्ष्मी शीघ्र प्रसन्न होती हैं।
 7- शरद पूर्णिमा पर अष्ट लक्ष्मी का पूजन करने का विधान है। इस दिन मां लक्ष्मी के पूजन में एक पर सुपारी को कलावा लपेट कर अर्पित करें। 
पूजन के बाद सुपारी को अपनी तिजोरी में रख दें, तिजोरी के धन में तेजी से बढ़ेगा।
8- शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी को खीर, मखाना, बताशा और सफेद वस्त्र अर्पित करें। धन-संपदा का आशीर्वाद मिलेगा।