सुकमा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि हमारा निरंतर प्रयास है कि आदिवासियों को जल, जंगल, जमीन का अधिकार मिले, जिन्हें परेशानी है, उनसे चर्चा के लिए द्वार खुले हैं। जिन्हें भारतीय संविधान पर विश्वास नहीं, उनसे संवाद करना मुमकिन नहीं है। मुख्यमंत्री आज सुकमा में प्रेसवार्ता को सम्बोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा कि सुकमा में आज बहुत बदलाव आया है। आवागमन, शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण के स्तर में हुई है वृद्धि। आदिवासियों की आय में वृद्धि हो रही है, क्षेत्र में लघु वनोपज खरीद बढ़ी है। अंदरूनी क्षेत्रों में राशन दुकान खोले जा रहे हैं, बंद पड़े स्कूलों का पुनः संचालन हो रहा है। सुकमा, जहां से नक्सलवाद की शुरुआत हुई थी, आज वहां नक्सलवाद बहुत पीछे जा चुका है। ग्रामीण जो पहले सुरक्षा कैंप का विरोध करते थे, आज सुरक्षा कैंप की मांग कर रहे हैं।
ग्रामीणों और सुरक्षा बलों के मध्य मैत्री संबंध स्थापित हुए हैं। उन्होंने कहा कि वास्तविक हितग्राहियों को वन अधिकार मान्यता पत्र मिल रहा है, जिसमें वे कृषि के साथ, पशुपालन, मछलीपालन, मुर्गीपालन आदि कार्य कर रहे हैं। गौठानों में रोजगारमूलक गतिविधियों से महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ा है, महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन रही हैं।
मुख्यमंत्री ने सुकमा जिला प्रशासन द्वारा प्रारंभ की गई सुविधा शिविरों के आयोजन की पहल की सराहना करते हुए कहा कि इस अनूठी पहल से अंदरूनी गांव के निवासियों को भी आधार, जाति, निवास प्रमाण पत्र, आयुष्मान कार्ड मिल रहे हैं। जिले में 31 हजार से अधिक बच्चों को घर पहुंचाकर जाति प्रमाण पत्र दिए गए हैं।