नई दिल्ली। दो बार की ओलंपिक पदक विजेता और पूर्व विश्व चैंपियन दक्षिण अफ्रीकी एथलीट कास्टर सेमेन्या ने विश्व एथलेटिक्स की ओर से कराए जाने वाले जेंडर टेस्ट को एक बार फिर विवादों में ला दिया है। सेमेन्या ने खुलासा किया है कि 2009 में जब वह पहली बार 18 साल की उम्र में 800 मीटर में विश्व चैंपियन बनी थीं तो ट्रैक ऑफिशियल उन्हें शक की निगाहों से देख रहे थे। वह उन्हें पुरुष मान रहे थे।
सेमेन्या ने बताया कि उनका शक दूर करने के लिए उस दौरान उन्होंने ट्रैक ऑफिशियल को अपना शरीर दिखाने तक की पेशकश कर डाली थी। बावजूद इसके विश्व एथलेटिक्स ने उन्हें उनके शरीर में पुरुषत्व के हार्मोन टेस्टोस्टोरान को कम करने के लिए दवाईयां दीं। शायद यह दवाईयां गर्भनिरोधक गोलियां थीं।
दवाएं लेने पर उन्हें लगता था कि दिल का दौरा पड़ जाएगा
सेमेन्या ने एचबीओ रियल स्पोट्र्स को दिए इंटरव्यू में कहा कि यह विश्व चैंपियनशिप बर्लिन में हुई थी और उन्होंने सभी को बुरी तरह पछाड़ते हुए स्वर्ण जीता था। उनके मजबूत प्रदर्शन और मांसल शरीर के कारण उनका जेंडर टेस्ट कराया गया, जो दुनिया के सबसे बड़े विवादों का कारण बना। इस विश्व खिताब के बाद ही सेमेन्या को दूसरी महिलाओं के साथ दौडने के लिए जबरन टेस्टोस्टोरॉन कम करने की दवाईयां दी गईं। हालांकि वैश्विक संस्था ने कभी इन दवाओं का खुलासा नहीं किया।
सेमेन्या ने कहा कि इन दवाओं ने उन्हें बीमार बना दिया। उनका वजन बढ़ गया था। उनके मन में डर बैठ गया था कि कहीं उन्हें दिल का दौरा तो नहीं पड़ जाएगा। यह ठीक ऐसा था जैसे की हर रात कोई उनकी पीठ में छुरा भोंक रहा है, लेकिन उनके पास कोई चारा नहीं था। वह सिर्फ 18 साल की थीं और ओलंपिक में दौडना चाहती थीं। एथलीट को बिना बताए प्राकृतिक हार्मोन कम करने की दवाएं दिए जाने को विशेषज्ञों ने अनैतिक करार दिया।
विश्व एथलेटिक्स के वकील को अपनी जुबान काटकर फेंक देनी चाहिए
विश्व एथलेटिक्स के वकील जोनाथन टेलर ने इंटरव्यू में सेमेन्या को दवाएं देने के कदम का बचाव करते हुए कहा कि बड़े विशेषज्ञों ने ये दवाएं टेस्टोस्टोरान स्तर कम करने के लिए बताई थीं। सेमेन्या ने टेलर के जवाब पर कहा कि उन्हें अपनी जुबान काट कर फेंक देनी चाहिए। अगर वह समझना चाहते हैं कि इससे वह किस तरह प्रताड़ित हुई हैं तो यह दवाईयां उन्हें खुद लेनी चाहिए।
सेमेन्या ने 13 साल तक महिलाओं के साथ दौडने के लिए लड़ाई लड़ी। अब 31 साल की हो चुकी इस एथलीट पर 400 मीटर और उससे ऊपर की रेस में भाग लेने पर प्रतिबंध लग चुका है। अगर वह विश्व एथलेटिक्स की ओर से बताई गई दवाएं लेने को तैयार हो जाती हैं तभी वह इन रेसों में भाग ले सकती हैं, लेकिन उन्होंने इसके लिए मना कर दिया और 2019 के बाद से वह 800 मीटर में नहीं दौड़ीं। इसी के चलते वह टोक्यो ओलंपिक में अपने स्वर्ण की रक्षा नहीं कर सकीं। सेमेन्या टेस्टोस्टारन नियमों पर दो बार अपनी अपील हार चुकी हैं। उन्होंने तीसरी अपील मानवाधिकारों की यूरोपीय अदालत में की है, जो लंबित है।