Head Office

SAMVET SIKHAR BUILDING RAJBANDHA MAIDAN, RAIPUR 492001 - CHHATTISGARH

tranding


0 कटाई उपरान्त प्रबंधन एवं मूल्य संवर्धन पर दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ

रायपुर। छत्तीसगढ़ में विभिन्न खाद्यान, लघु धान्य तथा लघु वनोपज फसलों के प्रचुर मात्रा में होने वाले उत्पादन के प्रसंस्करण तथा मूल्य संवर्धन से किसानों की आर्थिक स्थिति में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। इसके लिए फसलों की कटाई उपरान्त प्रौद्योगिकी का विकास कर कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन को बढ़ावा देना होगा। यह निष्कर्ष इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय द्वारा आज यहां ‘‘कृषक उत्पादों की कटाई उपरान्त प्रौद्योगिकी एवं मूल्य संवर्धन’’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय वेबिनार के उद्घाटन सत्र में प्रतिपादित हुआ।
इस वेबिनार के उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक कृषि अभियांत्रिकी, डॉ. एस.एन. झा थे। समारोह की अध्यक्षता इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति, डॉ. गिरीश चंदेल ने की। इस दो दिवसीय वेबिनार में किसानोें द्वारा उत्पादित फसलांे की कटाई के उपरान्त उनके प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न विषय विशेषज्ञों द्वारा सार्थक विमर्श किया जाएगा।
    वेबिनार के उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक डॉ. एस.एन. झा ने कहा कि कृषि अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी के विकास की वजह से आज देश खाद्यान उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गया है, लेकिन आज भी किसानों की कृषि से होने वाली आय संतोषजनक नहीं है। उन्होंने कहा कि फसलों की कटाई उपरान्त प्रौद्योगिकी तथा फसलों के मूल्य संवर्धन को बढ़ावा दिये जाने की जरूरत है। उन्होंने किसानों की आय बढ़ाने के लिए फसलों का प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन किये जाने पर जोर दिया।
कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. चंदेल ने इस अवसर पर कहा कि छत्तीसगढ़ में सीताफल, तेंदु, चिरौंजी, कोदो, कुटकी, रागी तथा अन्य लघु धान्य फसलें एवं लघु वनोपजों का प्रचुर मात्रा में उत्पादन होता है लेकिन इनके प्रसंस्करण तथा मूल्य संवर्धन की सुविधा उपलब्ध नहीं होने के कारण किसानों को यथोचित लाभ नहीं मिल पाता है। उन्होंने फसलों के प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन हेतु आवश्यक अधोसंरचनाएं एवं सुविधाएं उपलब्ध कराने पर बल दिया। डॉ. चंदेल ने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण हेतु नये स्टार्टअप्स को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
कार्यशला के प्रथम दिवस विभिन्न विषय विशेषज्ञों द्वारा खाद्य प्रसंस्करण की आवश्यकता, खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी, खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में उद्यमिता के अवसर, कटाई उपरान्त प्रबन्धन एवं खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता, कृषि प्रसंस्करण में स्टार्टअप्स के अवसर, अकाष्ठाीय वनोपज का प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन आदि विषयों पर व्याख्यान दिया गया। स्वागत भाषण कार्यशाल के समन्वयक डॉ. षड़ानन पटेल द्वारा दिया गया तथा खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एम.पी. त्रिपाठी द्वारा अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया गया। कार्यक्रम में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के संचालक अनुसंधान डॉ. विवेक त्रिपाठी, निदेशक विस्तार डॉ. पी.के. चन्द्राकर, अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ. जी.के. श्रीवास्तव, अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय, रायपुर डॉ. एम.पी. ठाकुर, अधिष्ठाता कृषि अभियांत्रिकी महाविद्यालय, रायपुर डॉ. विनय पाण्डेय सहित अनेक कृषि वैज्ञानिक, उद्यमी तथा बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

 संवर्धन पर दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ