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नई दिल्ली। इस समय दुनिया भर में महंगाई की रफ्तार काफी तेजी से बढ़ रही है। इससे भारत भी अछूता नहीं है। बढ़ती मुद्रास्फीति के दौर में पेट्रोल, डीजल, सीएनजी, तेल और आदि कई जरूरी वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं। ऐसे में इसका बुरा असर लोगों की जेबों पर पड़ रहा है। दुनिया भर के कई देशों में महंगाई की दरें डबल डिजिट को क्रॉस कर रही हैं।

वहीं अमेरिका में महंगाई की दरों ने पिछले 40 सालों के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है। रिपोर्ट्स की मानें, तो अमेरिका में महंगाई की दरें 8.6 फीसदी को क्रॉस कर चुकी हैं। महंगाई बढ़ने का बड़ा कारण कोरोना महामारी और रूस यूक्रेन युद्ध हैं। दोनों बड़ी घटनाओं का बुरा असर वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर पड़ा है। ऐसे में बाधित हुई आपूर्ति श्रृंखला ने दुनिया भर में मुद्रास्फीति की रफ्तार को बढ़ाने में एक बड़ी भूमिका निभाई है।

इस समय विश्व भर में जरूरी वस्तुओं को लेकर मांग काफी ज्यादा है। वहीं आपूर्ति कम है। इसी वजह से कई देशों में महंगाई की दरें रोजाना तेजी से बढ़ रही हैं। इसी को देखते हुए हाल ही में अमेरिका के सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व ने 0.75 फीसदी दरों की बढ़ोत्तरी की थी।

वहीं भारत में भी रिजर्व बैंक ने महंगाई को नियंत्रित करने के लिए रेपो रेट में 0.40 फीसदी की बढ़ोत्तरी की है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर रेपो रेट क्या होते हैं, और महंगाई को नियंत्रित करने में इनकी क्या भूमिका है?

क्या होता है रेपो रेट
रेपो रेट से तात्पर्य उन दरों से है, जिस पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, बैंकों को कर्ज देता है। बैंकों को कर्ज के रूप में जो ये राशि मिलती है। उससे वह अपने ग्राहकों को लोन ऑफर करते हैं। आरबीआई जब भी रेपो रेट को बढ़ाता है। उस दौरान ग्राहकों को मिलने वाले कर्ज की दरें महंगी हो जाती हैं।

महंगाई को नियंत्रित करने के लिए आरबीआई क्यों बढ़ा देती है रेपो रेट की दरें?
आरबीआई द्वारा रेपो रेट बढ़ाने के बाद बैंक ज्यादा महंगी दरों पर ग्राहकों को लोन ऑफर करते हैं। ऐसे में बाजार में लिक्विडिटी काफी कम हो जाती है। इसी से महंगाई को नियंत्रित किया जाता है। इसे इस तरह समझिए कोरोना महामारी के दौरान दुनिया भर समेत भारत में मांग काफी कम हो गई थी। इस कारण आरबीआई ने उस दौरान रेपो रेट कम करके बाजार में लिक्विडिटी बढ़ाकर कृत्रिम तौर पर मांग को बढ़ा दिया था।

वहीं अब परिस्थितियां बिल्कुल भिन्न हैं। दुनिया भर में जरूरी वस्तुओं को लेकर मांग काफी तेजी से बढ़ रही है। इस कारण महंगाई की दरों में तेज इजाफा देखने को मिल रहा है। ऐसे में बाजार से लिक्विडिटी को कम करने के लिए आरबीआई ने रेपो रेट को बढ़ा दिया है। रेपो रेट बढ़ने के कारण बैंकों से मिलने वाला लोन काफी महंगा हो जाता है। लोन महंगा होने से बाजार में लिक्विडिटी कम हो जाती है।

लिक्विडिटी कम होने से चीजों को लेकर मांग भी कम हो जाती है। ऐसे में धीरे धीरे महंगाई कम होने लगती है। आरबीआई ऐसे ही रेपो रेट की दरों को कम और ज्यादा करके महंगाई को घटाता बढ़ाता है। कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर आगे आने वाले वक्तो में भी महंगाई की दरें बढ़ती हैं, तो आरबीआई द्वारा रेपो रेट में और भी ज्यादा वृद्धि की जा सकती है।