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0 खाद-बीज संकट पर बवाल; भोजनावकाश तक कार्यवाही स्थगित

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन भी स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से इस्तीफे पर बवाल हुआ। मंत्री सिंहदेव के विभाग के प्रश्नों का जवाब देने मंत्री मो. अकबर खड़े हुए तो विपक्षी भाजपा सदस्यों ने हंगामा करना शुरू कर दिया और इस मामले सदन से वॉकआउट कर दिया। वहीं प्रधानमंत्री आवास योजना का काम पूरा नहीं होने को लेकर भी विपक्ष ने सरकार को घेरा। शून्यकाल में विपक्ष खाद-बीज संकट और किसानों की परेशानी को लेकर स्थगन प्रस्ताव लाया। इस पर सरकार की ओर से वक्तव्य आया, लेकिन विपक्ष काम रोककर चर्चा की मांग पर हंगामा करने लगा। हंगामा देख विधासनभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही को भोजनावकाश तक के लिए स्थगित कर दिया गया। 

सत्र के दूसरे दिन का प्रश्नकाल शुरू होते ही भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि पंचायत विभाग का प्रश्न है और पंचायत मंत्री इस्तीफा दे चुके हैं। सिंहदेव के विभाग के सवाल पर वन मंत्री मोहम्मद अकबर जवाब देने खड़े हुए तो भाजपा विधायकों ने आपत्ति की। वहां से मामला संभला तो पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने प्रधानमंत्री आवास योजना पर सवाल उठाए। उनका कहना था कि इसी प्रश्न की वजह से सिंहदेव को इस्तीफा देना पड़ा है। इस प्रश्न पर खूब हंगामा हुआ। उसके बाद भाजपा सदस्यों ने हंगामा करते हुए सदन से वॉकआउट किया।

प्रश्नकाल में दूसरा ही प्रश्न स्वास्थ्य विभाग से आया। भाजपा के रजनीश सिंह के सवाल पर वन मंत्री मोहम्मद अकबर जवाब देने खड़े हुए तो भाजपा विधायकों ने आपत्ति की। अजय चंद्राकर ने कहा, मंत्री इस्तीफा दे चुके तो क्या विभाग की जिम्मेदारी दी है। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने कहा, मंत्री नहीं हैं। उनकी जगह पर उन्होंने अधिकृत किया है। अजय चंद्राकर ने पूछा जो व्यक्ति इस्तीफा दे चुका वह अधिकृत कैसे कर सकता है।

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री ने अभी उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है। ऐसे में वे अब भी मंत्री हैं। रविंद्र चौबे ने कहा कि मंत्री ने अपने पत्र में इस्तीफा शब्द का उपयोग किया ही नहीं है। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि इस मामले का निपटारा होना चाहिए, मुख्यमंत्री भी यहां हैं। उनका जवाब आना चाहिए। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि प्रश्नकाल में व्यवस्था संबंधी कोई प्रश्न नहीं उठाया जा सकता, बाद में प्रश्नकाल शुरू हुआ।

पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने पूछा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत वर्ष 2019-20 से 2022-23 तक कितने आवास स्वीकृत हुए थे और कितनों में काम पूरा हो गया। डॉ. रमन सिंह ने कहा कि उनके यह प्रश्न लगाने के बाद ही मंत्री को दुखी होकर इस्तीफा देना पड़ा। मंत्री ने अपने पत्र में खुद स्वीकार किया है कि इस सरकार के कार्यकाल में एक ही घर नहीं बना। यह सरकार का सबसे बड़ा फेल्योर है। इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि इसमें संशोधन कर लीजिए। उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया है।

इस पर डॉ. रमन सिंह ने केंद्र सरकार से आए पत्रों का बंडल लहराते हुए कहा कि इसमें बार-बार आवास योजना की अनदेखी के बारे में चेताया गया। किसी पत्राचार का जवाब तक नहीं दिया गया। अंत में केंद्र सरकार ने पैसा वापस ले लिया। कोई मकान नहीं बना। आपके समय का 35 हजार आवास अभी तक पूर्ण नहीं हो पाया है। इस सवाल पर बवाल होता रहा, बाद में मंत्री के जवाब से असंतुष्ट भाजपा विधायकों ने सदन से वॉकआउट किया।

केंद्र सरकार ने ऋण लेने में भी अड़ंगा लगायाः मंत्री अकबर
जवाब में वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि 2019-20 के आवास निर्माण के लिए फरवरी 2022 की मंत्रिपरिषद की बैठक में 762 करोड़ का ऋण लेने का प्रस्ताव मंजूर हुआ। पंजाब नेशनल बैंक ने इसमें रुचि दिखाई। तभी रिजर्व बैंक ने उस पर रोक लगा दी। रिजर्व बैंक का कहना था कि ऋण लेने वाली बॉडी को अपने स्रोतों से कर्ज की भरपाई करने लायक होना चाहिए। अब ग्रामीण आवास की बॉडी के पास आय का ऐसा कोई स्रोत तो है नहीं। स्टेट बजट से देने पर मनाही है। तो फिर यह कर्ज नहीं मिल पाया। वन मंत्री ने कहा कि भारत सरकार हमारे जीएसटी और दूसरी मदों का पैसा देती नहीं है। इस तरह का अड़ंगा लगाती है। उसको तो आप लोग कुछ कहते नहीं हैं।

खाद बीज संकट पर भी विपक्ष का हंगामा 
भाजपा ने खाद-बीज के संकट को लेकर स्थगन प्रस्ताव दिया। शून्यकाल में शुरू हुआ मामला बहस तक नहीं पहुंचा। उसकी ग्राह्यता को लेकर ही बवाल हो गया। विपक्ष के आरोपों का सत्ता पक्ष के विधायकों ने हंगामा कर दिया। सत्ता पक्ष के विधायक भाजपा  सरकार के समय के मामले गिनाने लगे। इस बात को लेकर दोनों पक्षों के बीच काफी देर तक नोकझोंक होती रही। इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही को भोजनावकाश के लिए स्थगित कर दिया।