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0 कहा-कुर्बान किए जानवर का मांस मानव स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं, धार्मिक कारणों से जानवरों को मारना बंद करें

रायपुर। मंगलवार को देश की संसद में अपनी बात रखते हुए रायपुर से सांसद सुनील सोनी ने एक अहम मुद्दा उठाया। सोनी ने पशु क्रूरता अधिनियम में धार्मिक गतिविधियों में पशु वध की छूट को पूरी तरह से खत्म करने की मांग की। सोनी ने बताया कि इस परंपरा को बंद करने इस पर नियंत्रण करने की जरूरत है। कुर्बानी को सोनी ने पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिहाज से खतरनाक ठहराया।

संसद में सोनी ने कहा कि आज मैं पशू क्रूरता अधिनयम 1960 धारा 28 को खत्म करने की मांग करता हूं। ये धारा धार्मिक कारणों से पशुओं की कुर्बानी की अनुमति देती है। इस वजह से हजारों बकरियां, उूंट, भैंस जैसे बेजुबान जानवर मार दिए जाते हैं। सोनी ने कहा - इस तरह कुर्बान किए गए पशुओं के मांस का सेवन मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है क्योंकि पशुओं की कुर्बानी से पहले कोई आधिकारिक स्वास्थ्य जांच नहीं की जाती। उन्होंने कहा िक धार्मिक रीति-रिवाजों के नाम पर पशुओं को मौत के घाट उतारा जाता है। यह क्रूर कृत्य है। बूचड़खानों के अलावा सार्वजनिक स्थानों पर भी जानवरों को मारा जाता है। इसका पर्यावरण पर भी खराब असर होता है। 

लायसेंस जारी करें
सोनी ने कहा कि मेरा अनुरोध है कि पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 की धारा 28 को हटाया जाए। जो लोग जानवरों की कुर्बानी करना चाहते हैं उनके लिए सिर्फ लाइसेंस प्राप्त बूचड़खानों में ही कुर्बानी की अनिवार्यता तय की जानी चाहिए।’’ सोनी ने कहीं भी कभी भी इस तरह से कुर्बानी किए जाने का विरोध किया है।

पीटा इंडिया ने शुरू की है मुहिम
जानवरों के संरक्षण के लिए बनी संस्था पीटा ने एक मुहिम शुरू की है। इस अभियान में “पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960” की धारा 28 को हटाने की मांग की गयी है जिसके अंतर्गत “किसी भी समुदाय के धर्म/मजहब के हिसाब से किसी भी जानवर की हत्या करना इस अधिनियम में अपराध नहीं माना जाएगा। पीटा इंडिया की इस मांग को अब तक छत्तीसगढ़ के सांसद गुहाराम अजगले, विजय बघेल का भी समर्थन मिला है। हरियाणा और यूपी के भी बहुत से सांसदों ने इसका समर्थन करने की बात कही है। लगातार मिल रहे सियासी समर्थन की वजह से माना जा रहा है कि जल्द ही सरकार इस नियम को खत्म करते हुए धार्मिक कारणों से जानवरों की कुर्बानी को लेकर नियम जारी कर सकती है