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रायपुर। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में मध्य क्षेत्रीय परिषद की 23वीं बैठक भोपाल में हुई। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक में शामिल हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्र सरकार से छत्तीसगढ़ के लिए अधिक अधिकार मांगा है। मुख्यमंत्री ने कहा, अब यह समय आ गया है कि विकास के लिए राज्यों को ज्यादा से ज्यादा अधिकार संपन्न किया जाए।

छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि हमारे संविधान ने भारत को राज्यों का संघ कहा है। इसमें राज्य की अपनी भूमिका तथा अधिकार निहित हैं। हमने आजादी की गौरवशाली 75वीं सालगिरह मना ली है। इस परिपक्वता के साथ अब सर्वोच्च नीति नियामक स्तरों पर भी यह सोच बननी चाहिए कि राज्यों पर पूर्ण विश्वास किया जाए। वहां की स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप विकास के समुचित अधिकार राज्य सरकारों को दिए जाएं। मुख्यमंत्री ने कहा, राज्यों को पूरी लगन, निष्ठा और मेहनत से अपने राज्य की जरूरतों के अनुसार जनहित तथा विकास के कार्य करने हेतु व्यापक अधिकारों तथा अवसरों की आवश्यकता है। राज्यों का योगदान निश्चित तौर पर राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका का निर्वाह करता है। ऐसे में केंद्र सरकार को उदारतापूर्वक राज्यों को अधिकाधिक अधिकार तथा सामर्थ्य संपन्न बनाने की दिशा में गंभीरतापूर्वक विचार करना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 44% वन क्षेत्र, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग की आबादी की बहुलता, सघन वन क्षेत्रों में नक्सलवादी गतिविधियों का प्रभाव, कृषि-वन उत्पादों तथा परंपरागत साधनों पर आजीविका की निर्भरता जैसे कारणों से छत्तीसगढ़ के विकास हेतु विशेष नीतियों और रणनीति की जरूरत है। हम राज्य के सीमित संसाधनों से हरसंभव उपाय कर रहे हैं, लेकिन हमें केंद्र सरकार के विशेष सहयोग की जरूरत है। इस बैठक में छत्तीसगढ़ की ओर से मुख्य सचिव अमिताभ जैन, अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू और मुख्यमंत्री के सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी भी मौजूद रहे।

कृषि क्षेत्र के लिए यह मांगा
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गोधन न्याय योजना की जानकारी दी। उन्होंने कहा, राज्य में उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट पर, रासायनिक उर्वरकों के समान ‘न्यूट्रिएंट बेस्ड सब्सिडी’ देने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया है। उन्होंने उसको मंजूर करने की मांग की। मुख्यमंत्री ने कोदो-कुटकी का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी घोषित करने की मांग की। उन्होंने बताया, राज्य सरकार पहले ही तीन हजार रुपए प्रति क्विंटल का मूल्य तय कर चुकी है। उन्होंने लाख उत्पादकों के लिए भी ‘किसान क्रेडिट कार्ड’ तथा ‘फसल बीमा योजना’ को खोलने की मांग की। उनका कहना था, राज्य सरकार ने लाख उत्पादन को कृषि का दर्जा दिया है।

एथेनाल बनाने की अनुमति दें
मुख्यमंत्री ने कहा, हमने अतिशेष धान से बायो-एथेनॉल उत्पादन के लिए 25 निवेशकों के साथ करार किया है। इस संबंध में केंद्र सरकार की नीति में बदलाव की जरूरत है। केंद्रीय नीति में बायो-एथेनॉल उत्पादन के लिए प्रत्येक वर्ष कृषि मंत्रालय से अनुमति लेने का प्रावधान है। उद्योगों के लिए यह व्यवस्था अवरोध खड़ी कर रही है। ऐसे में यह बंधन खत्म किया जाए। आधिक्य अनाज घोषित करने का अधिकार एनवीसीसी की जगह राज्य को मिलना चाहिए।

विकास कार्यों के लिए यह मांग रखी
रायपुर के स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट को ‘इंटरनेशनल एयरपोर्ट’ का दर्जा तथा सर्वसुविधायुक्त कार्गो हब की स्वीकृति मांगी है। वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत राज्य सरकार को मात्र 5 हेक्टेयर वन भूमि के व्यपवर्तन की अनुमति है। इसे 40 हेक्टेयर तक बढ़ाए जाने का फैसला केंद्र सरकार के पास लंबित है। इसपर कार्रवाई की जाए। नक्सल प्रभावित जिलों से संबंधित 14 चिन्हित शासकीय गैरवानिकी कार्यों के लिए 40 हेक्टेयर तक भूमि व्यपवर्तन का अधिकार 31 दिसम्बर2020 को ही खत्म हो गया है। इसे पुनर्जीवित करने के लिए राज्य सरकार ने अनुरोध भेजा है, उसे स्वीकृति दी जाए। - ‘प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना’ के अंतर्गत निर्मित सड़कों में लगभग 426 वृहद पुल छूटे हुए हैं एवं नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग में 154 सड़कें जिनकी लंबाई 562 किलोमीटर स्टेज-1 जीएसबी स्तर तक पूर्ण हो चुकी हैं। अतएव स्टेज-2 की स्वीकृति की आवश्यकता है। दोनों कार्यों की अनुमानित लागत 1 हजार 700 करोड़ रुपए है।
केंद्र सरकार ने ‘प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना’ के कार्यों के लिए सितम्बर 2022 की समयावधि निर्धारित की है। बस्तर संभाग में कार्य पूरा करने के लिए अधिक समय प्रदान किया जाए।
नक्सल प्रभावित क्षेत्र में छूटे हुए 543 ग्रामों में शौचालय निर्माण को भी, दुर्गम क्षेत्र का कार्य मानते हुए प्रति शौचालय प्रोत्साहन राशि 12 हजार रुपए से बढ़ाकर 20 हजार रुपए करने का अनुरोध किया है।

सड़कों के लिए मांगा और समय
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने प्रदेश के नक्सल प्रभावित क्षेत्र, बस्तर संभाग तथा राजनांदगांव क्षेत्र के अंतर्गत आर.सी.पी.एल.डब्ल्यू.ई. योजना के अंतर्गत 624 करोड़ रुपए की लागत से 95 सड़कों एवं 63 पुलों की स्वीकृति सशर्त प्रदान की गई है। इन कार्यों को मार्च 2023 तक पूरा करना है। ऐसा न होने पर पूरी लागत राज्य सरकार को उठानी होगी। इन नक्सल प्रभावित दूरस्थ क्षेत्रों में सभी कार्यों के लिए वर्षाकाल एवं निविदा आमंत्रण उपरांत कार्यादेश जारी करने में समय लगेगा। ऐसे में सभी कार्य मात्र 8 माह में पूर्ण किया जाना संभव नहीं है। ऐसे में इस काम को मार्च 2024 तक बढ़ाए जाने का अनुरोध किया है।

नक्सल क्षेत्रों में केंद्रीय बलों की तैनाती का खर्च केंद्र उठाए
मुख्यमंत्री ने कहा, छत्तीसगढ़ में केन्द्रीय बलों की तैनाती पर 11 हजार 828 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ को पिछले वर्षों में केन्द्रीय करों की देय राशि में से एक हजार 288 करोड़ रुपए का समायोजन कर दिया। हमारा अनुरोध है कि राज्य को मिलने वाली राशि को इस तरह से समायोजित न किया जाए बल्कि पूरी 11 हजार 828 करोड़ रुपए की राशि छत्तीसगढ़ सरकार को वापस मिले। भविष्य में भी राज्य के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में केन्द्रीय बलों की तैनाती का पूरा खर्च भी राज्य सरकार उठाए।

नक्सल मोर्चे पर 15 अतिरिक्त बटालियन मांगी
मुख्यमंत्री ने कहा, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में केन्द्रीय सुरक्षाबलों के 40 कैंप स्थापित किए गए हैं। हमने केन्द्रीय सशस्त्र बल की 15 अतिरिक्त बटालियन की मांग की है। इसमें ‘बस्तरिया बटालियन’ तथा ‘इंडिया रिजर्व बटालियन’ भी शामिल है। उन्होंने ‘पुलिस बल आधुनिकीकरण योजना’ में समूह "ए’ में जम्मू एवं कश्मीर सहित 8 उत्तर-पूर्वी राज्यों को 90% केन्द्रीय सहायता एवं शेष राज्यों को समूह "बी’ के अंतर्गत 60% केन्द्रीय सहायता दी जाती है। छत्तीसगढ़ को 40% राशि राज्य के अंशदान के रूप में देना होता है। उन्होंने छत्तीसगढ़ को भी समूह ‘ए’ में रखने की मांग की।

वित्तीय मसलों पर भी की बात
मुख्यमंत्री ने खनिजों से मिलने वाली एडिशनल लेवी 4 हजार 170 करोड़ रुपए का छत्तीसगढ़ राज्य को हस्तांतरित करने की मांग की। उन्होंने कोयला एवं अन्य मुख्य खनिजों की रॉयल्टी दरों में संशोधन करने के लंबित प्रस्ताव पर फैसला लेने की भी अपेक्षा की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने सभी सरकारी कर्मचारियों के लिये नवीन अंशदायी पेंशन योजना के स्थान पर ‘पुरानी पेंशन योजना’ को बहाल करने की घोषणा की है। ‘न्यू पेंशन स्कीम’ की राज्य की लगभग 17 हजार 240 करोड़ रुपए की राशि केंद्र के पास लंबित है, जो हमें वापस मिलनी चाहिए।

जीएसटी क्षतिपूर्ति के मुद्दे पर अपनी बात रखते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि क्षतिपूर्ति का प्रावधान समाप्त होने से राज्य को गंभीर आर्थिक संकट से जूझना पड़ेगा। उत्पादक राज्य के रूप में छत्तीसगढ़ को इससे बहुत अधिक क्षति होगी। ऐसे में आगामी पांच वर्षों के लिए क्षतिपूर्ति अनुदान बढ़ाए जाने की मांग की है। 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर राज्यों को केन्द्रीय करों के संग्रहण में से 42% हिस्सा दिया जा रहा है। छत्तीसगढ़ के लिए केन्द्रीय बजट में अंतरण हेतु प्रावधानित राशि में 13 हजार 89 करोड़ रुपए कम प्राप्त हुए हैं। अतः हमें हक व हिस्से की पूरी राशि मिलनी चाहिए।
केन्द्रीय योजनाओं में केन्द्र का अंश लगातार कम किया जा रहा है, जिससे राज्य शासन पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ रहा है। अतः केन्द्रीय योजनाओं में केन्द्र व राज्य का अंश पूर्ववत होना चाहिए।

आदिवासी समाज का मुद्दा उठाया
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि अनुसूचित जनजातियों के बहुत से परिवारों के सरनेम हिन्दी तथा अंग्रेजी में उच्चारण तथा लिखने की शैली की भिन्नता के कारण विवादित हो जाते हैं। ऐसे परिवारों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलने में असुविधा होती है। गोंड, गोड़, गड़बा, पंडो, भारिया, कड़ाकू, संवरा, नगेशिया, धनगड़ आदि के प्रकरण फोनेटिक्स की असमानताओं के सुधार हेतु भारत सरकार के पास लंबित है। इन पर शीघ्र निर्णय लिया जाना चाहिए।