हिसार/ नई दिल्ली। 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर इनेलो के प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला ने सम्मान दिवस रैली में 10 राज्यों के 17 नेताओं को बुलाया, लेकिन रैली में सिर्फ 5 नेता ही पहुंचे। इससे मोदी के खिलाफ विपक्षी एकजुटता को झटका लगा है। हरियाणा के फतेहाबाद में सम्मान दिवस रैली के मंच पर एनसीपी चीफ शरद पवार, बिहार के सीएम नीतीश कुमार, डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, एसएडी नेता सुखबीर सिंह बादल और सीपीआई (एम) महासचिव सीताराम येचुरी।
देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल की 109 वीं जयंती पर हरियाणा के फतेहाबाद में 'सम्मान दिवस रैली' हुई। रैली के लिए इनेलो (इंडियन नेशनल लोकदल) प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला ने नीतीश कुमार सहित 10 राज्यों के 17 नेताओं को निमंत्रण दिया था, लेकिन मंच पर 5 बड़े नेता ही दिखे। इनमें नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव, एनसीपी चीफ शरद पवार, एसएडी नेता सुखबीर सिंह बादल और सीपीआई (एम) महासचिव सीताराम येचुरी शामिल थे।
इनेलो की रैली में नीतीश कुमार ने कांग्रेस सहित सभी दलों से एक साथ आने की अपील की। नीतीश ने कहा कि ऐसा होने के बाद भाजपा को 2024 के लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त मिलेगी। वहीं, तेजस्वी ने भाजपा पर निशाना साधते हुए पूछा कि अब एनडीए कहां है? शिवसेना, अकाली दल, जेडीयू जैसे भाजपा सहयोगियों ने लोकतंत्र बचाने के लिए इसे छोड़ दिया है।
इधर, सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि यह नया गठबंधन बनाने के लिए साथ आने का समय है। बादल ने आगे कहा कि एसएसडी, शिवसेना और जेडीयू ही असली एनडीए है, क्योंकि हमने इसकी स्थापना की थी। वहीं, शरद पवार ने कहा कि अब 2024 में सरकार बदलने का समय आ गया है।
ओम प्रकाश चौटाला से मुलाकात की वजह
नीतीश ने शिक्षक भर्ती घोटाले में सजा काटकर जेल से बाहर आए हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला से इसी महीने मुलाकात की थी। चौटाला की पार्टी इनेलो हरियाणा की क्षेत्रीय पार्टी है, जहां लोकसभा की 10 सीटे हैं। चौटाला की गिनती बड़े जाट नेताओं में होती है। हरियाणा के साथ-साथ पश्चिमी यूपी की भी 5 से ज्यादा सीटों पर जाट वोटर्स का असर है।
कांग्रेस का साथ सबसे अहम
नीतीश कुमार ने इस महीने दिल्ली दौरे पर सबसे पहले राहुल गांधी से मुलाकात की थी। कांग्रेस वर्तमान में लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी है। 2019 में कांग्रेस को 52 सीटों पर जीत मिली, जबकि 210 सीटों पर पार्टी दूसरे नंबर पर रही। यानी कुल 262 सीटें ऐसी हैं, जहां कांग्रेस भाजपा से सीधे मुकाबले में थी।