नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में नोटबंदी पर हलफनामा दायर किया है। इसमें कहा गया है कि 500 और 1000 के नोटों की तादाद बहुत ज्यादा बढ़ गई थी। इसलिए फरवरी से लेकर नवंबर तक आरबीआई से विचार-विमर्श के बाद ही 8 नवंबर को इन नोटों को चलन से बाहर करने यानी नोटबंदी का फैसला लिया गया था। इस मामले की अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी।
सरकार ने किया अपने फैसले का बचाव
सरकार ने नोटबंदी के अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि नोटबंदी करने का निर्णय रिजर्व बैंक के केंद्रीय निदेशक मंडल की विशेष अनुशंसा पर लिया गया था। नोटबंदी से जाली करंसी, टेरर फंडिंग, काले धन और कर चोरी जैसी समस्याओं से निपटने की प्लानिंग का हिस्सा और असरदार तरीका था। यह इकोनॉमिक पॉलिसीज में बदलाव से जुड़ी सीरीज का सबसे बड़ा कदम था।
नोटबंदी से हुए फायदे भी गिनाए
केंद्र ने अपने जवाब में यह भी कहा कि नोटबंदी से नकली नोटों में कमी, डिजिटल लेन-देन में बढ़ोत्तरी, बेहिसाब आय का पता लगाने जैसे कई लाभ हुए हैं। अकेले अक्टूबर 2022 में 730 करोड़ का डिजिटल ट्रांजैक्शन हुआ, यानी एक महीने 12 लाख करोड़ रुपए का लेन-देन रिकॉर्ड किया गया है, जो 2016 में 1.09 लाख ट्रांजैक्शन यानी करीब 6952 करोड़ रुपए था।
5 जजों की बेंच कर रही सुनवाई
नोटबंदी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गईं थीं। सबसे पहले विवेक नारायण शर्मा ने केंद्र सरकार को चुनौती दी थी। 2016 के बाद से नोटबंदी के खिलाफ 57 और याचिकाएं दर्ज कराई गई थीं। जस्टिस एस अब्दुल नजीर, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन, और जस्टिस बीवी नागरत्ना वाली 5 जजों की संविधान पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है।