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नई दिल्ली। वित्त मंत्री सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि पिछले वित्त वर्षाें के बजट की तरह ही अगले वित्त वर्ष का आम बजट भी देश के लिए अगले 25 वर्षाें का रोडमैप तैयार करने वाला होगा।

श्रीमती सीतारमण ने उद्योग संगठन फिक्की की 95वीं वार्षिक आम बैठक को संबोधित करते हुये कहा कि अगला बजट भी पहले के बजट की तरह ही होगा जो वर्ष 2047 में भारत में रहने वाले बच्चों के लिए देश को तैयार करने का रोडमैप होगा क्योंकि उस समय बच्चे अधिक विकसित भारत में रहने वाले होंगे। 

उन्होंने कहा कि देश मेें विनिर्माण क्षेत्र को मजबूत बनाये जाने के साथ ही सेवा क्षेत्र के नयेे क्षेत्रों में भी संभावनायें तलाशने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि देश में विनिर्माण क्षेत्र को मजबूत बनाने की आवश्यकता है और इसके लिए स्टार्टअप ने नवाचार लाने का मार्ग दिखाया है। उन्होंने उद्योग जगत से स्टार्टअप के नवाचार काे देखने की अपील करते हुये कहा कि विनिर्माण क्षेत्र को सभी क्षेत्रोंं में काम कर रहे स्टार्टअप से लाभ हो सकता है।

श्रीमती सीतारमण ने वैश्विक अनिश्चितता का उल्लेख करते हुये कहा कि इससे उत्पन्न हो रही संभावनाओं पर भारतीय उद्योग को ध्यान केन्द्रित करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि संभावित मंदी से पश्चिमी देश प्रभावित हो सकते हैं जिससे न सिर्फ भारत का निर्यात प्रभावित बल्कि इससे निवेश के कई अवसर भी मिलेगा। 

उन्होंने भारतीय उद्योग से स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में हो रहे बदलाव भी गौर करने की अपील की और कहा कि उद्योग यह भी बताये कि जलवायु परिवर्तन से वह किस तरह प्रभावित हो रहा है और इसके कारण बढ़ रही लागत को कम करने का भी सुझाव दे। उन्हाेंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के नाम पर कुछ देशों द्वारा लगाये जा रहे शुल्क के प्रति भी भारतीय उद्योग को स्वयं को तैयार करना होगा। 

वित्त मंत्री ने जी-20 का उल्लेख करते हुये कहा कि डिजिटल क्षमताओं में भारत की उपलब्धियां सराहनीय रही है। इसके बल वित्तीय क्षेत्र, भुगतान क्षेत्र, बैंकिंग, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में बहुत बदलाव देखा गया है। उन्होंने कहा कि सरकार जी-20 के हर मौके पर देश को प्रदर्शित कर रही है। उन्होंने घरेलू मांग की क्षमताओं का उल्लेख करते हुये कहा कि विश्व आर्थिक मंच की रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2030 तक भारतीय अर्थव्यवस्था में 14 करोड़ अतिरिक्त मध्यम परिवार और 1.4 करोड़ उच्च आय वाला परिवार शामिल होने वाला है। इससे घरेलू उद्योग के लिए अतिरिक्त मांग बढ़ने वाला है।