मुंबई। दुनिया भर में ब्याज की दरें ऊंची रहने से सहमे निवेशकों की बिकवाली से बीते सप्ताह 1.36 प्रतिशत तक टूटे घरेलू शेयर बाजार पर अगले सप्ताह वैश्विक आर्थिक गतिविधियों और विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के रुख का असर रहेगा।
बीते सप्ताह बीएसई का तीस शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 843.86 अंक अर्थात 1.36 प्रतिशत लुढ़ककर सप्ताहांत पर 62 हजार अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे 61337.81 अंक पर आ गया। इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी भी 227.6 अंक यानी 1.23 प्रतिशत गिरकर 18500 अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे 18269 अंक रह गया।
समीक्षाधीन सप्ताह में बीएसई की दिग्गज कंपनियों की तरह मझौली और छोटी कंपनियों पर बिकवाली का दबाव रहा। इससे मिडकैप 356.35 अंक की गिरावट लेकट सप्ताहांत पर 25739.21 अंक पर रहा। हालांकि स्मॉलकैप की मामूली गिरावट से बाजार को समर्थन मिला। स्मॉलकैप महज 41.81 अंक फिसलकर 29516.75 अंक पर आ गया।
विश्लेषकों के अनुसार, बीते सप्ताह अमेरिकी फेडरल रिजर्व के नीतिगत दरों में बढ़ोतरी के ठीक एक दिन बाद यूरो क्षेत्र, ब्रिटेन, स्विटज़रलैंड, डेनमार्क, नॉर्वे, मैक्सिको और ताइवान के केंद्रीय बैंक ने भी महंगाई पर लगाम लगाने का हवाला देते हुए गुरुवार को ब्याज दरें बढ़ा दी। साथ ही अगले साल भी ब्याज दरों में बढ़ोतरी की जाने के संकेत दिए। इससे दुनिया के शेयर बाजार एक महीने के निचले स्तर तक गिर गए। इसका असर दोनों स्थानीय मानक सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी पर पड़े तथा कमोबेश अगले सप्ताह भी इसका प्रभाव देखा जा सकेगा।
इसके अलावा चीन से आने वाली खबरें, कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और डॉलर सूचकांक अगले सप्ताह बाजार की दिशा निर्धारित करने वाले अन्य महत्वपूर्ण कारक होंगे। साथ विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के निवेश प्रवाह पर भी बाजार की नजर रहेगी।
एफआईआई ने दिसंबर में अबतक कुल 99,241.74 करोड़ रुपये की लिवाली जबकि कुल 106,731.79 करोड़ रुपये की बिकवाली की है। उन्होंने बाजार से 7,490.05 करोड़ रुपये निकाल लिए। हालांकि, इस अवधि में घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) की निवेश धारणा मजबूत रही है। उन्होंने बाजार में कुल 76,371.13 करोड़ रुपये का निवेश किया जबकि 65,819.51 करोड़ रुपये निकाल लिए, जिससे वह 10,551.62 करोड़ रुपये के लिवाल रहे।