नई दिल्ली। तवांग एलएसी पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प का मुद्दा सोमवार को संसद में भी छाया रहा। इसको लेकर विपक्षी सांसदों ने पहले हंगामा किया और फिर वॉकआउट कर दिया। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों का कहना है कि चेयर इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दे रही थी। विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने राज्यसभा के अध्यक्ष और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का वरोध किया और कहा कि चेयर को विशेष शक्तियों का प्रयोग करके मामले पर चर्चा करवानी चाहिए। वहीं केंद्रीय मंत्री पियूष गोयल ने खड़गे पर पलटवार किया और कहा कि कांग्रेस सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान कितने ऐसे मुद्दों पर चर्चा की थी।
गोयल ने कहा कि खड़गे इस तरह की बातें करके अपने पद की की प्रतिष्ठा कम कर रहे हैं। वहीं खड़गे ने कहा, मेरा अनुभव यहां काम नहीं आ रहा है। कम से कम विपक्ष की आवाज सुनें। क्या किताब में कुछ विशेष अधिकार हैं या नहीं? हम जरूरी मामलों की ओर ध्यान खींचने के लिए उनका उपयोग कर सकते हैं। कृपया चीन के मुद्दे पर बात की जाए। चीन हमारी जमीन पर अपने मकान और फैक्ट्रियां बना रहा है। अगर आप इस मामले को गंभीरता से नहीं लेंगे तो क्या फायदा होगा। मैं आपसे निवेदन करता हूं कि रूल 266 और रूल 267 के तहत इस मामले की चर्चा करवाई जाए।
गोयल ने कहा, विपक्ष लगातार अहम मुद्दों पर चर्चा की मांग करता रहता है। लेकिन मैं ऐसे तमाम मामले बता सकता हूं जब डिप्टी चेयरमैन मामला उठाते रहे लेकिन कांग्रेस के कार्यकाल में उनपर चर्चा नहीं हुई। यह भी सच है कि 2012 में आईयूएमएल नेता ई अहमद ने सदन में कहा था कि चीन ने जम्मू-कश्मीर में 38 हजार वर्ग किलोमीटर में अवैध कब्जा किया है। वहीं कांग्रेस ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार चीन के मुद्दे पर बात करने से भाग रही है। विपक्षी नेताओं ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए कई बार नोटिस दिया लेकिन चेयर ने इनको मंजूरी नहीं दी। इसके बाद कई बार विपक्षी नेता वॉकआउट कर चुके हैं। कांग्रेस का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी को खुद सदन में इस मामले पर जवाब देना चाहिए।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने रविवार को कहा था कि मोदी और शी जिनपिंग बहुत करीब हैं। जिनपिंग ने मोदी के बारे में बहुत अध्ययन कर लिया है और उसका यही नतीजा है। आप तो 2013 में कहा करते थे कि दिक्कत सीमा पर नहीं बल्कि दिल्ली में है।