0 भारत बायोटेक ने बनाई है, बूस्टर डोज के तौर पर लगेगी
0 आज से ही प्राइवेट अस्पतालों में मिलेगी
नई दिल्ली। भारत सरकार ने दुनिया की पहली नेजल कोरोना वैक्सीन को मंजूरी दे दी है। कोवैक्सिन बनाने वाली हैदराबाद की भारत बायोटेक ने इसे वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन (WUSM) के साथ मिलकर बनाया है। नाक से ली जाने वाली इस वैक्सीन को बूस्टर डोज के तौर पर लगाया जा सकेगा।
सबसे पहले नेजल वैक्सीन को प्राइवेट अस्पतालों में उपलब्ध कराया जाएगा, जिसके लिए लोगों को पैसे देने होंगे। न्यूज एजेंसी के मुताबिक इसे शुक्रवार से ही कोरोना वैक्सीनेशन प्रोग्राम में शामिल कर लिया गया है। भारत बायोटेक की इस नेजल वैक्सीन का नाम iNCOVACC रखा गया है। पहले इसका नाम BBV154 था। इसे नाक के जरिए शरीर में पहुंचाया जाएगा।
इसकी खास बात यह है कि शरीर में जाते ही यह कोरोना के इन्फेक्शन और ट्रांसमिशन दोनों को ब्लॉक करती है। इस वैक्सीन में इंजेक्शन की जरूरत नहीं पड़ती, इसलिए इससे चोट लगने का खतरा नहीं है। साथ ही हेल्थकेयर वर्कर्स को भी खास ट्रेनिंग की जरूरत नहीं पड़ेगी।
बूस्टर डोज की तरह दी जाएगी वैक्सीन
इंट्रानेजल वैक्सीन को कोवैक्सिन और कोवीशील्ड जैसी वैक्सीन्स लेने वालों को बूस्टर डोज के तौर पर दिया जाएगा। हालांकि इसे प्राइमरी वैक्सीन के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है। भारत बायोटेक के मैनेजिंग डायरेक्टर और चेयरमैन डॉ. कृष्णा एल्ला ने कुछ समय पहले कहा था कि पोलियो की तरह इस वैक्सीन की भी 4 ड्रॉप्स काफी हैं। दोनों नॉस्ट्रिल्स में दो-दो ड्रॉप्स डाली जाएंगी।
नेजल वैक्सीन क्या होती है?
फिलहाल हमें मांसपेशियों में इंजेक्शन के जरिए वैक्सीन लगाई जा रही है। इस वैक्सीन को इंट्रामस्कुलर वैक्सीन कहते हैं। नेजल वैक्सीन वो होती है जिसे नाक के जरिए दिया जाता है, क्योंकि ये नाक के जरिए दी जाती है, इसलिए इसे इंट्रानेजल वैक्सीन कहा जाता है। यानी इसे इंजेक्शन से देने की जरूरत नहीं है और न ही ओरल वैक्सीन की तरह ये पिलाई जाती है। यह एक तरह से नेजल स्प्रे जैसी है।
नेजल वैक्सीन काम कैसे करती है?
कोरोनावायरस समेत कई माइक्रोब्स (सूक्ष्म वायरस) म्युकोसा (गीला, चिपचिपा पदार्थ जो नाक, मुंह, फेफड़ों और पाचन तंत्र में होता है) के जरिए शरीर में जाते हैं। नेजल वैक्सीन सीधे म्युकोसा में ही इम्यून रिस्पॉन्स पैदा करती है। यानी, नेजल वैक्सीन वहां लड़ने के लिए सैनिक खड़े करती है जहां से वायरस शरीर में घुसपैठ करता है। नेजल वैक्सीन आपके शरीर में इम्युनोग्लोबुलिन A (igA) प्रोड्यूस करती है। माना जाता है कि igA इन्फेक्शन को अर्ली स्टेज में रोकने में ज्यादा कारगर होता है। ये इन्फेक्शन रोकने के साथ-साथ ट्रांसमिशन को भी रोकता है।
यह बाकी वैक्सीन से कितनी अलग है?
देश में अब तक 8 वैक्सीन को मंजूरी मिल चुकी है। ये सभी इंट्रामस्कुलर वैक्सीन हैं, यानी इन्हें इंजेक्शन के जरिए दिया जाता है। वहीं, iNCOVACC इंट्रानेजल वैक्सीन है। सरकार से इसे मंजूरी मिलने के बाद अब ये देश की पहली इंट्रानेजल वैक्सीन हो गई है। अभी तक देश में स्पूतनिक, कोवीशील्ड और कोवैक्सिन लगाई जा रही है। ये तीनों वैक्सीन डबल डोज वैक्सीन हैं। iNCOVACC को केवल एक बार ही दिया जाएगा।