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जम्मू। भारतीय सेना ने मंगलवार को सुबह सुंदरबनी सेक्टर में महादेव मेनका फायरिंग रेंज में वीडीजी का एक स्पेशल फायरिंग प्रैक्टिस सेशन रखा। जिसमें एलओसी के पास के गांवों के 50 से ज्यादा लोग शामिल हुए।

सीआरपीएफ राजौरी में विलेज डिफेंस गार्ड (वीडीजी) को हथियारों की ट्रेनिंग दे रही है। उन्हें आधुनिक राइफल एसएलआर की ट्रेनिंग दी जा रही है। राजौरी के डांगरी गांव में आतंकवादियों ने 7 हिंदुओं की हत्या कर दी थी। इसके बाद ग्रामीणों ने मांग की थी कि उन्हें हथियार दिए जाएं।

अब सीआरपीएफ ने कैंप लगाकर उन लोगों को चुना है, जो वीडीजी का हिस्सा बनना चाहते थे। उन्हें ट्रेनिंग दी जा रही है। मंगलवार को सुंदरबनी सेक्टर में महादेव मेनका फायरिंग रेंज में फायरिंग प्रैक्टिस हुई। जिसमें एलओसी के पास के गांवों के 50 से ज्यादा लोग शामिल हुए।

रिपब्लिक डे पर अलर्ट रहें विलेज गार्डः सीआरपीएफ
हाल में हुए हमलों के बाद जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने 26 जनवरी को होने वाले गणतंत्र दिवस समारोह के मद्देनजर VDG को सतर्क रहने के लिए कहा है। आशंका है कि आतंकवादी जम्मू क्षेत्र में शांतिपूर्ण माहौल को बाधित कर सकते हैं। इसलिए वीडीजी जम्मू, सांबा और कठुआ जिलों के साथ-साथ भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा (IB) पर भी सक्रिय हो गए हैं।

आतंकियों का ठिकाना बताने वाले को 10 लाख का इनाम
हमले के सिलसिले में पूछताछ का सिलसिला मंगलवार को नौवें दिन भी जारी रहा। अब तक 50 से ज्यादा को हिरासत में लिया गया है। आतंकवादियों का पता लगाने के लिए बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान भी चल रहा है। जिले में कई जगहों पर पुलिस पोस्टर भी लगे हैं, जिसमें आतंकवादियों के बारे में सूचना देने वाले को 10 लाख का इनाम देने की घोषणा की गई है।

हमले के बाद राजौरी में लगा था ग्राम रक्षा समिति का कैंप
हमले के बाद राजौरी जिले के कई गांवों में 5 जनवरी को ग्राम रक्षा समिति (VDC) का कैंप लगाया गया था। इसमें उन लोगों के नामों की लिस्ट बनाई गई थी, जो वीडीसी का सदस्य बनना चाहते थे। हमले के बाद डांगरी के सरपंच धीरज शर्मा ने बताया था कि क्षेत्र में एक ग्राम रक्षा समिति (VDC) थी, लेकिन पुलिस ने 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों से हथियार वापस ले लिए थे। उन हथियारों को फिर से अलॉट भी नहीं किया गया। अगर VDC के सदस्यों के पास हथियार होते तो वे आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब देते।

क्या है विलेज डिफेंस कमेटी 
1990 के दशक में जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने पहाड़ी इलाकों में बढ़ते आतंकी हमलों के खिलाफ ग्राम सुरक्षा समिति का गठन किया गया था। इसके चलते लोगों को खुद की और अपनों की रक्षा करने के लिए हथियार चलाना सिखाया जाता था। इस कमेटी में स्थानीय लोगों को भर्ती करके उन्हें हथियार दिए गए थे। बाद में जब आतंकी हमले रुक गए, तब सदस्यों से हथियार वापस ले लिए गए। हाल ही में वीडीसी यानी ग्राम रक्षा समिति का नाम बदलकर अब ग्राम रक्षा गार्ड (VDG) कर दिया गया।