0 उद्धव गुट 7 जजों की बैंच को मामला भेजने पर अड़ा
नई दिल्ली/मुंबई। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को असेंबली स्पीकर्स की पावर को लेकर आदेश सुरक्षित रख लिया। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान बेंच तेय करेगी कि 2016 के नबाम रेबिया के फैसले पर फिर से विचार के लिए महाराष्ट्र राजनीतिक संकट से संबंधित मामलों को 7-जजों की बैंच के पास भेजा जाएगा या नहीं।
पीठ ने गुरुवार को प्रतिद्वंद्वी शिवसेना ग्रुपों की दलीलें सुनी। इसके बाद आदेश सुरक्षित रख लिया। सुनवाई के दौरान शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट ने मांग की कि नबाम रेबिया मामले को फिर से विचार के लिए 7-जजों की पीठ के पास भेजा जाए।
क्या है नबाम रेबिया केस
2016 में सुप्रीम कोर्ट ने एक सुनवाई के बाद अरुणाचल प्रदेश में न केवल कांग्रेस सरकार को बहाल करने का आदेश दिया था, बल्कि स्पीकर के 14 विधायकों को अयोग्य ठहराने के फैसले को पलट दिया था। 2016 के नबाम रेबिया मामले में, 5-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा था कि अध्यक्ष को अयोग्य ठहराने की कार्यवाही तब शुरू नहीं की जा सकती जब उन्हें हटाने का प्रस्ताव लंबित हो। उद्धव ठाकरे खेमे की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि नबाम रेबिया मामले में निर्धारित कानून पर फिर से विचार करने की जरूरत है। सिब्बल ने कहा कि संविधान की 10वीं अनुसूची अपने राजनीतिक दल से निर्वाचित और मनोनीत सदस्यों के दलबदल को रोकने के लिए प्रदान करती है और इसमें दलबदल के खिलाफ कड़े प्रावधान शामिल हैं।
2016 में, 5-जजों की संविधान पीठ ने नबाम रेबिया मामले का फैसला करते हुए कहा था कि अगर स्पीकर को हटाने की पूर्व सूचना हाउस में लंबित है तो विधानसभा अध्यक्ष विधायकों की अयोग्यता के लिए याचिका पर आगे नहीं बढ़ सकते हैं।
शिंदे के नेतृत्व वाले बागी विधायकों के बचाव में आया था यह फैसला
यह फैसला एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले बागी विधायकों के बचाव में आया था, जो अब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हैं। ठाकरे गुट ने उनकी अयोग्यता की मांग की थी, जबकि महाराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर नरहरि सीताराम जिरवाल को हटाने के लिए शिंदे गुट का एक नोटिस सदन में लंबित था।